जयपुर। महापौर की कुर्सी से लेकर विधायक के टिकिट के लिए जोर आजमाइश में लगी मुनेश गुर्जर के खिलाफ अब अपने ही खुलकर विरोध में उतर आए हैं। भले ही मुनेश गुर्जर ने महापौर की कुर्सी दुबारा स्थित लग्न में सम्भाली हो, लेकिन अभी से ही कुर्सी फिर से अस्थिर होने लग गई है। शहर के विधायकों और मेयर के बीच चल रही सियासी रार में प्रताप गुट के पार्षदों ने सोमवार को पीसीसी अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा से मिलकर मुनेश गुर्जर को गिरफ्तार करने मांग की है।
डोटासरा से पार्षद मनोज मुद्गल के नेतृत्व में करीब एक दर्जन पार्षद मिले थे और करीब 37 पार्षदों के हस्ताक्षर वाला पत्र सौंपा। वहीं, दूसरी ओर मुनेश खेमे के पार्षद ने कहा कि विधायकों ने दवाब से 37 पार्षदों के साइन कराए हैं। जब ये बहुमत की बात कर रहे हैं तो निगम में फ्लोर टेस्ट करा लीजिए, इन्हें पता चल जाएगा कि किसके पास कितना संख्याबल है। हम कल शहर अध्यक्ष से मिलेंगे और बोर्ड मीटिंग में वोटिंग कराने की बात रखेंगे। रही बात साइन की तो हमारे पास भी 50 पार्षदों के इस्तीफे पर साइन के लेटर हैं। हमें संगठन पर पूरा भरोसा है।
जीरो टॉलरेंस नीति पर जनता उठा रही सवाल
पार्षदों के प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि मुनेश गुर्जर ने पूरी कांग्रेस को बदनाम कर दिया है। मुनेश गुर्जर के पति सुशील गुर्जर और उसके दलाल मुनेश गुर्जर की उपस्थिति में लाखों रुपए लेते थे और इसके बाद वह सभी फाइलों पर साइन करती थीं। यह सारा भ्रष्टाचार का वाकया छह बार एसीबी की रिकॉर्डिंग में सत्यापित हुआ है। इसके बावजूद एसीबी ने महापौर के पति, पीए और एक दलाल को गिरफ्तार करने के बाद भी मुनेश गुर्जर को गिरफ्तारी नहीं किया।
इससे सरकार की जीरो टॉलरेंस पर जनता सवाल उठा रही है। महापौर की गिरफ्तारी नहीं होने से जनता में गलत संदेश जा रहा है, इसलिए महापौर को तुरंत प्रभाव से गिरफ्तार किया जाए और जिन 300 लोगों ने एसीबी के पोर्टल पर सीधी शिकायतें दर्ज कराई हैं, उनके पैसे वापस दिलाएं जाए और महापौर के सभी लोकरों की जांच की जाएं।
महापौर नहीं रख रहीं मोबाइल, निगम में लोग हो रहे परेशान
एसीबी की रेड पड़ने के बाद से ही महापौर मुनेश गुर्जर मोबाइल नहीं रख रही है। उन्होंने कोर्ट से स्टे भी ले लिया और निगम मुख्यालय में दुबारा कामकाज भी सम्भाल लिया, लेकिन मोबाइल नहीं रखने के कारण लोग उनसे लगातार सम्पर्क नहीं बना पा रहे हैं।
लोगों का कहना है कि भले राजनीतिक रूप से वे अभी व्यस्त हैं, लेकिन वे हेरिटेज की जनता की महापौर हैं, ऐसे में फोन नहीं होने पर कोई परेशान आदमी अपनी फरियाद कै से उन तक पहुंचाएगा। सच बेधड़क ने भी कई बार उनसे सम्पर्क करने की कोशिश की, लेकिन उनका नंबर बंद आया।
महापौर ने सरकार के खिलाफ जाकर लिया कोर्ट से स्टे
पार्षद मनोज मुद्गल ने कहा कि मुनेश गुर्जर ने कांग्रेस सरकार के निलंबन के आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती देकर प्रोसीजर की मानवीय भूल से स्टे का फायदा उठा लिया। जो महापौर कांग्रेस सरकार के आदेश के खिलाफ स्टे ले रही है, वह कांग्रेस की कभी भी सगी नहीं हो सकती। नगर निगम कांग्रेस के 80% पार्षद इसकी गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं। इसने पार्षदों का बहुमत भी खो दिया है। यदि नैतिकता होती तो सरकार के फैसले को चुनौती देने की बजाय इस्तीफा दे देतीं।
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