Vice President Jagdeep Dhankhar : जयपुर। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि आज जीवन के हर क्षेत्र में राष्ट्रवाद को बढ़ावा देने की जरूरत है। उन्होंने स्वास्थ्य के क्षेत्र में राष्ट्रवाद की बात करते हुए उन्होंने आयुर्वेद जैसी प्राचीन चिकित्सा पद्धतियों को अपनाने की अपील की। जयपुर में छात्रों के एक प्रश्न का जवाब देते हुए उन्होंने आर्थिक क्षेत्र में राष्ट्रवाद को बढ़ाने की बात करते हुए कहा कि कुछ पैसे ज्यादा कमाने के लिए दिवाली के दीये या पतंगें जैसी चीजें बाहर से मांगना उचित नहीं है। हमें हर हाल में देश को आगे रखना चाहिए। एक बार आयुर्वेद और आयुष की पद्धति देश में गति पकड़ेगी तो तेजी से बढ़ती चली जाएगी। आयुर्वेद के छात्रों का भविष्य उज्ज्वल है। वे जयपुर में राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान में छात्रों से संवाद कर रहे थे।
उपराष्ट्रपति अपनी पत्नी डॉ.सुदेश धनखड़ के साथ रविवार को एक बार फिर प्रदेश के दौरे पर रहे। राज्यपाल कलराज मिश्र उपराष्ट्रपति की सांगानेर एयरपोर्ट पर अगवानी की। यहां से वह पहले सुबह झुंझुनूं पहुंचे और दोरासर स्थित सैनिक स्कूल में विद्यार्थियों को संवाद किया और लोहार्गल धाम, राणी मंदिर में दर्शन किए। उन्होंने कहा कि हम में से कुछ लोग 2047 में नहीं होंगे, लेकिन जब भारत अपनी आजादी के 100 साल पूरे करेगा, तब हम टॉप पर होंगे। हमें यह कामयाबी तभी मिलेगी जब लोग स्वस्थ होंगे। हम सदियों से सुनते आ रहे हैं कि ‘पहला सुख निरोगी काया’, लेकिन एक और कहावत है कि ‘हींग लगे न फिटकरी रंग चोखा होय’ और आयुर्वेद ऐसा करने में सक्षम है। उन्होंने कहा कि एलोपैथिक दवाइयां फायदा तो जल्दी देती हैं, लेकिन उनके अपने साइड इफेक्ट भी हैं।
चांद पर शिवशक्ति और तिरंगा का जिक्र
धनखड़ ने चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग का जिक्र करते हुए कहा कि आने वाले समय में जब लोग पूछेंगे कि शिवशक्ति और तिरंगा कहां है? तो जवाब दिया जाएगा चांद पर है, पूछा जाएगा यह नाम कब पड़ा? जवाब होगा 23 अगस्त 2023 को। योग पूरी दनिु या को भारत की देन है। उन्होंने डिजिटल ट्रांजेक्शन का जिक्र करते हुए कहा कि विश्व का 46% लेनदेन भारत में होता है। देश में बढ़ते डिजिटल डाटा उपभोग की बात करते हुए धनखड़ ने कहा कि हर भारतीय के अंदर एकलव्य है हमें कोई सिखाए या न सिखाए, हम स्वयं सीख जाते हैं।
अभिरुचि वाले क्षेत्र में करें मेहनत
झुंझुनूं में सैनिक स्कूल के विद्यार्थियों से संवाद के दौरान धनखड़ ने कहा कि फे ल होने का डर विद्यार्थी की ताकत को कम करता है, इसलिए असफलता का भय नहीं रखें। जिस भी क्षेत्र में विद्यार्थी अभिरुचि रखते हैं, उसमें कड़ी मेहनत करें व आगे बढ़े। उपराष्ट्रपति सैनिक स्कूल के बच्चों से संवाद कर अपनी पुरानी याद करते हुए भाव विभोर हो गए। उन्होंने स्कूल के स्टूडेंट्स से अपना एक्सपीरियंस शेयर करते हुए कहा- मैं पढ़ने में होशियार था, लेकिन मेरी अंग्रेजी कमजोर थी। सैनिक स्कूल में ही मेरा पुनर्जन्म हुआ है। आज में जो कुछ भी हो वह सैनिक स्कूल की देन है। संवाद के बाद उप राष्ट्रपति ने बच्चों के साथ चाय पी। उसके बाद अपनी पत्नी के साथ स्कूल में पौधारोपण भी किया। साथ ही, उन्होंने स्कूल में व्यायामशाला, खरीदारी केंद्र, अतिथि गृह, बालिका छात्रावास, एकीकृत खेल प्रांगण, बहुउद्देश्यीय हॉल आदि का उद्घाटन और शिलान्यास किया।
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