Rajasthan Student Union Election 2023: राजस्थान सरकार के छात्रसंघ चुनाव नहीं करवाने के आदेश के बाद प्रदेशभर में छात्र शक्ति उबाल पर है जहां चुनावों पर रोक लगते ही छात्र नेता आंदोलन पर उतर आए हैं. जयपुर में राजस्थान यूनिवर्सिटी के कैंपस में विवेकानंद पार्क में रविवार रात से छात्रों का जमावड़ा लगा हुआ है जहां अब छात्रसंघ चुनाव की मांग को लेकर आधा दर्जन छात्र भूख हड़ताल पर बैठ गए हैं.
वहीं छात्रों के आंदोलन को देखते हुए कैंपस के बाहर भारी पुलिस जाब्ता तैनात किया गया है. इधर प्रदेश के कई जिलों में यूनिवर्सिटियों में छात्रनेताओं ने सरकार के फैसले के खिलाफ अपना विरोध जताया है.
मालूम हो कि 13 साल के बाद एक बार फिर छात्र संघ चुनावों पर शनिवार देर रात गहलोत सरकार ने रोक लगाने का फैसला लिया. सरकार ने आदेश के पीछे चुनावों में धन बल और भुजबल का हवाला देकर नियमों की धज्जियां उड़ाने का हवाला दिया.
छात्रनेताओं की भूख हड़ताल शुरू
बता दें कि राजस्थान यूनिवर्सिटी में रविवार देर रात से ही छात्र नेता जुटने लगे थे जिसके बाद सोमवार सुबह से छात्रनेताओं ने अनशन पर बैठने का फैसला किया. इस दौरान धरने पर छात्रसंघ चुनाव की मांग को लेकर NSUI सहित सभी छात्र नेता मौजूद हैं. छात्रों का कहना है की छात्रसंघ के चुनाव राजनीति की पहली सीढ़ी होती है ऐसे में सरकार चुनाव की तारीखों का ऐलान करे.
वहीं छात्र संगठन एबीवीपी का कहना है कि गहलोत सरकार अपने संगठन की हार से डर गई जिसके बाद यह फैसला लिया गया है. इसके अलावा एनएसयूआई से जुड़े छात्र नेताओं का कहना है कि एक बार छात्रसंघ चुनाव रोकने के फैसले पर पुन विचार करना चाहिए. मिली जानकारी के मुताबिक आरयू कैंपस में NSUI के साथ साथ कई निर्दलीयों सहित 8 छात्रनेता भूख हड़ताल पर बैठे हैं.
JNVU के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष ने लिखा पत्र
वहीं जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष रवींद्र सिंह भाटी ने मुख्यमंत्री के नाम पत्र लिख चुनाव करवाने की मांग की है. भाटी ने लिखा है कि अगर छात्र संघ चुनाव में कोई उम्मीदवार लिंगदोह कमेटी के नियमों की पालना नहीं कर रहा तो उसके ख़िलाफ़ एक्शन लिया जाये ना कि चुनावों पर रोक लगा दी जाये. किसी लोकतांत्रिक देश में चुनाव लड़ने के हक़ और किसी छात्र को अपने हक़ के लिये लड़ने वाले छात्रनेता को चुनने जैसी पवित्र व्यवस्था को भंग कैसे कर सकते है ?
भाटी ने कहा कि आज जब आपने चुनावों पर ही रोक लगा दी तब चिंता का विषय ये होना चाहिए कि दूर-दराज स्थित ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाले छात्र के हक और अधिकार की लड़ाई इस कमजोर होती व्यवस्था में आखिर लड़ेगा कौन?