राजस्थान में 13 साल बाद फिर लगी छात्रसंघ चुनाव पर रोक, जानिए-सरकार ने क्यों लिया ये फैसला?

राजस्थान में 13 साल बाद एक बार फिर छात्रसंघ चुनाव पर रोक लग गई है।

Gehlot government

Student Union Election : जयपुर। राजस्थान में 13 साल बाद एक बार फिर छात्रसंघ चुनाव पर रोक लग गई है। यानी शैक्षणिक सत्र 2023-24 में प्रदेश के विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों में छात्रसंघ चुनाव नहीं होंगे। सरकार के इस फैसले से स्टूडेंट़्स में आक्रोश व्याप्त है। स्टूडेंट्स ने गहलोत सरकार के फैसले के बाद देर रात राजस्थान यूनिवर्सिटी के गेट पर सीएम गहलोत का पुतला दहन कर विरोध-प्रदर्शन किया। बता दे कि साल 2010 में कांग्रेस की सरकार ने ही छात्रसंघ चुनाव को हरी झंडी दी थी। लेकिन, आखिर ऐसी क्या वजह रही कि कांग्रेस सरकार को ही अब छात्रसंघ चुनाव पर ब्रेक लगाना पड़ा है।

दरअसल, देर रात हुई मीटिंग में प्रदेशभर की यूनिवर्सिटीज के कुलपतियों ने नई शिक्षा नीति-2020 लागू करने व यूनिवर्सिटी में चल रही एडमिशन और रिजल्ट प्रक्रिया का हवाला देकर छात्रसंघ चुनाव पर रोक लगाने की मांग की थी। जिस पर सर्वसम्मति से इस साल चुनाव नहीं कराने का फैसला किया गया है।

कुलपतियों का कहना था कि यदि छात्रसंघ चुनाव कराये जाते हैं तो शिक्षण कार्य प्रभावित होंगे और राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप सेमेस्टर सिस्टम लागू करने में असुविधा रहेगी। छात्रसंघ चुनावों में छात्र नेता धन और भुजबल का खुलकर प्रयोग करते है। जिससे लिंगदोह समिति की सिफारिशों का भी उल्लंघन होता है।

सीएम गहलोत ने पहले ही दे दिए थे संकेत

मीटिंग से पहले सीएम गहलोत ने भी यही मुद्दा उठाया था और इस बार छात्रसंघ चुनाव नहीं कराए जाने के संकेत दिए थे। सीएम गहलोत ने कहा था कि छात्रसंघ चुनाव में स्टूडेंट इस तरह पैसे खर्च करते हैं, जैसे विधायक-सांसद के चुनाव लड़ रहे हों। आखिर, पैसा कहां से आ रहा है और इतने पैसे क्यों खर्च किए जा रहे हैं। जबकि यह सब लिंगदोह कमेटी की सिफारिशों का सीधा-सीधा उल्लंघन है।

छात्र नेता ही लिंगदोह कमेटी की सिफारिशों की धज्जियां उड़ा रहे हैं, उसको हम बर्दाश्त नहीं करेंगे। गहलोत ने कहा था कि जब राजस्थान में छात्रसंघ चुनाव बंद थे, तब मैं ही मुख्यमंत्री था और हमने ही फिर से चुनाव शुरू करवाए थे। लेकिन, छात्रसंघ चुनाव पर शिक्षा राज्य मंत्री राजेंद्र यादव ही अंतिम फैसला लेंगे।

2010 में गहलोत ने ही दी थी छात्रसंघ चुनाव को हरी झंडी

गौरतलब है कि साल 2010 में गहलोत सरकार ने ही छात्रसंघ चुनाव को हरी झंडी दी थी। इससे पहले प्रदेश में चार साल तक छात्रसंघ चुनाव नहीं हुए थे। साल 2005 छात्रसंघ चुनाव के दौरान जमकर बवाल हुआ था। जिसके बाद हाईकोर्ट ने साल 2006 में छात्रसंघ चुनाव पर रोक लगा दी थी।

इसके बाद साल 2010 में एक बार फिर छात्रसंघ चुनाव की शुरुआत हुई थी। हालांकि, कोरोना के कारण साल 2020 और 2021 में छात्रसंघ चुनाव नहीं हुए थे। पिछले साल 29 जुलाई को एक बार फिर सरकार ने छात्रसंघ चुनाव कराने का फैसला किया था। लेकिन, अब फिर से छात्रसंघ चुनाव पर रोक लगा दी गई है।

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