MIG-21 Aircraft Crash : बीते गुरुवार की रात को राजस्थान के बाड़मेर में वायुसेना का MIG – 21 विमान क्रैश हो गया। इस दर्दनाक हादसे ने विमान उड़ा रहे दो पायलट शहीद हो गए। वायुसेना के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ये जानकारी मिली। प्रशिक्षण उड़ान के दौरान ही ये हादसा हो गया।
इससे पहले भी कई MIG-21 विमानों के दुर्घटनाग्रस्त होने की खबरें आई हैं। साल एक आंकड़े के मुताबिक पिछले 6 दशकों में MIG-21 एयरक्राफ्ट से जुड़ी करीब 400 घटनाएं हुई हैं। जिसमें 200 से अधिक पायलटों की जान चली गई। इसके बाद 2021 तक यह आंकड़ा 292 के पार चला गया। इसलिए यहां ये जानना बेहद जरूरी हो गया है की आखिर वायुसेना के ये एयरक्राफ्ट लगातार दुर्घटना के शिकार क्यों हो रहे हैं।
60 के दशक में रूस से खरीदा गए थे विमान
मिग-21 विमान को साल 1963 में रूस से भारतीय वायु सेना ने खरीदा था। वायुसेना को शीत युद्ध के दौरान अपनी युद्धक क्षमता मजबूत करने के लिए इस एयरक्राफ्ट के 874 विमानों को अपने सैनिक बेड़े में शामिल किया था। इन विमानों की खरीद के बाद उनकी अपग्रेडिंग की प्रक्रिया भी जारी रही। इसके बाद, मिग-21 को अपग्रेड किया गया और मिग-बाइसन सेना में शामिल हुआ।
पिछले 6 दशक में 400 घटनाएं, 200 की मौत
MIG-21 विमानों से जुड़ी जानकारी देते हुए साल 2012 में पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी ने संसद में कहा था कि रूस से खरीदे गए 872 मिग विमानों में से आधे से ज्यादा दुर्घटनाग्रस्त हो गए हैं। इन हादसों में 171 पायलट, 39 नागरिक और सेवा से जुड़े आठ अन्य लोगों सहित 200 से अधिक लोग अपनी जान गवां चुके हैं।
मिग-21 यानी ‘विडो मेकर’
यही नहीं ये विमान कुछ पैरामीटर्स पर वायुसेना के लिए बेहद उपयोगी माने जाते हैं। लेकिन लगातार हादसे के शिकार होने के कारण इसे विडो मेकर यानी औरतों को विधवा करने वाला विमान या फिर उड़ाता ताबूत कहा जाता है। यहां आपको यह बताना भी जरूरी है कि जिस देश से हमने यह विमान खरीदा था अब उसी देश ने इस विमान का इस्तेमाल करना बंद कर दिया है। जी हां रूस अब इन विमानों को अपने सैनिक बेड़े से निकाल भी चुका है।
अमेरिका जैसे देशों ने निकाला, भारत में अभी भी उपयोग
वहीं अमेरिका, वियतनाम, बांग्लादेश, अफगानिस्तान यहां तक कि पाकिस्तान भी इन विमानों का इस्तेमाल अब नहीं करता। लेकिन भारत में अभी भी यह विमान इस्तेमाल किए जा रहे हैं। इसलिए यहां सवाल ये भी उठता है कि आखिर क्यों इतने हादसे पेश होने के बाद भी भारतीय वायुसेना इन विमानों का इस्तेमाल क्यों कर रही है।
इंडिया स्पेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय वायुसेना धीरे-धीरे इन विमानों का इस्तेमाल करना बंद कर देगी। इसमें एक औऱ खुलासा यह हुआ कि साल 1960 में भारतीय बेड़े में शामिल हुए MIG-21 विमानों ने 90 के दशक में ही अपना रिटायरमेंट पीरियड पूरा कर लिया था। इसके बावजूद इन विमानों को अपग्रेड कर चलाया जा रहा है।
वायुसेना के पास तकनीकी दक्ष विमानों की कमी
एक आधिकारिक रिपोर्ट के मुताबिक लंबे समय से भारतीय वाय़ुसेना के पास तकनीकी तौर पर मजबूत एअरक्राफ्ट का सूखा पड़ा हुआ था। शिनूक, राफेल, बोफोर्स के आने से पहले हमारे पास MIG-21 का ही विकल्प था। हालांकि अभी भी हमारे पास शिनूक, राफेल, बोफोर्स उतनी तादाद में नहीं हैं कि एक प्रशिक्षण उड़ान या फिर युद्ध में सिर्फ उन्हें इस्तेमाल किया जा सके। इसलिए वायुसेना को MIG-21 विमानों से ही काम चलाना पड़ता है।
वहीं मिग विमानों को उड़ाने वाले पायलटों की अक्सर ये शिकायत रहती है कि ये विमान बहुत तेजी से लैंड करते हैं। कॉकपिट की खिड़कियों का डिजाइन ऐसा रहता है कि पायलट रनवे को ठीक से देख नहीं पाते। दूसरी तरफ सिर्फ एक इंडन वाला विमान होने के चलते यह विमान हमेशा खतरे में रहता है।