नई दिल्ली। केंद्र सरकार के वित्त मंत्रालय ने वर्ष 2023 में कर्मचारी भविष्य निधि (EPFO) की ब्याज दर में बढ़ोतरी की है। वित्त मंत्रालय ने EPFO की ब्याज दर मौजूदा 8.1 प्रतिशत से बढ़ाकर 8.15 प्रतिशत कर दिया है। इसके साथ ही, ईपीएफओ में कॉन्ट्रीब्यूट करने वाले कर्मचारियों को अब और भी कई बड़े बेनिफिट्स मिलने वाले हैं। भारत सरकार के श्रम और रोजगार मंत्रालय ने भारतीय कर्मचारी प्रोत्साहन निधि योजना, 1952 की पैरा 60 (1) के तहत मौजूदा वित्त वर्ष 2022-23 के लिए प्रत्येक सदस्य के खाते में ब्याज के क्रेडिट की मंजूरी दी है।
यह खबर भी पढ़ें:-EPFO Marriage Advance: इस शर्त को पूरा करके आप भी निकाल सकते हैं शादी के लिए एडवांस पैसा,
केंद्रीय मंत्री ने किया सिफारिश
यूनियन श्रम और रोजगार मंत्री भूपेंद्र यादव के अनुसार, ईपीएफओ (EPFO) के केंद्रीय मंत्री और रोजगार मंत्रालय के संचालन मंडल ने वर्ष 2023 के लिए 8.15% ब्याज दर की सिफारिश की थी। उन्होंने 2023 के वित्तीय वर्ष के लिए 28 मार्च को इस सिफारिश की थी। आमतौर पर वित्त मंत्रालय द्वारा वित्तीय वर्ष की पहले तिमाही में ब्याज दर की घोषणा की जाती है और ग्राहकों को फाइनेंस मंत्रालय की FY23 अधिसूचना का बेसब्री से इंतजार था। लेकिन अब वित्त मंत्रालय से अनुमति मिलने के बाद ये लाभ कर्मचारियों को जल्द ही उपलब्ध होगा।
मौजूदा ब्याज दर से होगा लाभ
2023 के लिए ईपीएफ योगदान के लिए 8.15% ब्याज दर, 2012 से न्यूनतम स्तर की 8.1% की बंद दर से हाई है। पहले, ईपीएफ जमा करने वाले कर्मचारियों की उम्मीद थी कि ईपीएफओ के योगदान पर ब्याज दर में अधिकतर दर मिलेगी। FY23 में ईपीएफओ की आय की अनुमानित राशि 90,497.57 करोड़ रुपए है। ईपीएफओ देश में 70.2 मिलियन (7.2 करोड़) योगदानकर्ता सदस्यों और 0.75 मिलियन योगदानकर्ता संस्थानों के साथ सबसे बड़ा पेंशन निधि प्रबंधक है। सदस्यों की पासबुक को कर के और कर-मुक्त योगदानों में विभाजित किया जाना था क्योंकि FY22 के लिए सदस्यों की पासबुक में सॉफ्टवेयर समस्याएं थीं। यह 2021-22 में 2.5 लाख रुपए के ऊपर के योगदानों पर आयकर के कारण था।
यह खबर भी पढ़ें:-किसानों की हुई बल्ले-बल्ले, पीएम किसान योजना के अलावा सरकार हर साल देगी 36,000 रुपए!
काफी कम है ये ब्याज दर
वर्तमान में पहले के मुकाबले कुछ वर्षों में ब्याज दर कम रही है। 2020 से पहले की ब्याज दरों पर नजर डाले तो कर्मचारियों को काफी अच्छा ब्याज मिलता था। कोरोना के बाद यह 8.1 प्रतिशत रह गई थी। लेकिन यदि हम उससे पहले की ब्याज दरों की ओर देखें, तो 2020-21 में 8.50%, 2019-20 में 8.65% तक पहुंची थी। इसी तरह, 2013 से 2015 तक यह 8.75% तक पहुंची थी। लेकिन कोरोना के बाद, सरकार ने इसे काफी कम कर दिया था।