21 Gun Salutes: आज देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ( President Of India) को उनके शपथ ग्रहण समारोह के बाद 21 तोपों की सलामी दी गई थी। तोपों की इस सलामी को लेकर हर किसी के मन में ये सवाल जरूर उठता है कि आखिर एक नहीं, दो नहीं… पूरे 21 तोपों की सलामी आखिर क्यों और किन-किन मौकों पर दी जाती है? तो आज हम आपको बताते हैं कि आखिर इस 21 तोपों की सलामी के पीछे का इतिहास क्या है, और कब-कब ये सलामी दी जाती है?
क्या है 21 तोपों की सलामी
इस तरह की सलामी देना किसी व्यक्ति विशेष या राजकीय कार्य को सम्मानित करने की एक प्रक्रिया है। यह सरकार निश्चित करती है किन मौकों पर यह सम्मान दिया जाएगा। राजनीति, साहित्य, कला और अन्य क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्य करने वालों के निधन होने पर अंतिम संस्कार के समय भी तोपों की सलामी दी जाती है। हालांकि वो सलामी 21 तोपों की नहीं होती।
यह है तोपों की सलामी का इतिहास
तोपों की सलामी देने का प्रचलन 14वीं शताब्दी में शुरू हुआ था। उन दिनों जब किसी देश की सेना समुद्र के रास्ते किसी देश में जाती थी। तो समुद्र तट पर 7 तोपों से फायर किया जाता था। लेकिन इसका मकसद सिर्फ य़ह संदेश पहुंचाना होता था कि वे उनके देश पर हमला करने नहीं आए हैं। उस समय यह चलन में था कि हारी हुई सेना को अपना गोला-बारूद खत्म करने के लिए कहा जाता था। जिससे वो दोबारा उसका इस्तेमाल नहीं कर सके। उनके जहाज पर 7 तोप हुआ करती थीं, क्योंकि 7 संख्या को शुभ माना जाता है।
ब्रिटिश राज से चली आ रही ये परंपरा
दरअसल 21 तोपों की ये सलामी देने की परंपरा भारत में ब्रिटिश काल से चली आ रही है। देश की आजादी से सर्वोच्च सलामी 101 तोपों की दी जाती थी। जो केवल भारत में शासित ब्रिटिश राजा को दी जाती थी। इसे उस वक्त शाही सलामी के तौर पर भी जाना जाता था। उस वक्त भारत में शासित ब्रिटिश शाही परिवार के सदस्यों और महारानी को 31 तोपों की सलामी भी दी जाती थी। यह सलामी भारत के वायसराय और गवर्नर को भी दी जाती है। वहीं 21 तोपों की सलामी देश के प्रमुख विेदेशी संप्रभु और उनके परिवार के सदस्यों को दी जाती थी।
आजादी के बाद इन मौकों पर दी जाती है 21 तोपों की सर्वोच्च सलामी
देश के आजाद होने के बाद सर्वोच्च सलामी 21 तोपों की मानी गई। राष्ट्रपति को भारतीय गणराज्य का प्रमुख माना जाता है। इसलिेए राष्ट्रपति को कई मौकों पर 21 तोपों की सलामी देकर सम्मानित किया जाता है। प्रत्येक राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण समारोह के बाद उसे 21 तोपों की सलामी से सम्मानित करने का प्रोटोकॉल है। राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रपति दोनों को स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर 21 तोपों की सलामी दी जाती हैं।
इन मौकों पर दी जाती है 21 तोपों की सलामी
राष्ट्रपति को 21 तोपों की सलामी देने के अलावा देश के महत्वपूर्ण राजकीय कार्यों में भी तोपों की सलामी देने की परंपरा है। भारतीय सैनिकों को भी यह सलामी दी जाती है जिन्होंने युद्ध काल में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया हो। इसके अलावा उनके शहीद या निधन होनेे पर अंतिम संस्कार के दौरान भी तोपों की सलामी दी जाती है। इसके अलावा राजकीय शोक के दिन राष्ट्रीय ध्वज झुका होने पर तोपों की सलामी दी जाती है।
दिवंगत जनरल बिपिन रावत को दी गई थी 17 तोपों की सलामी
पिछले साल हेलिकॉप्टर क्रैश में जान गंवाने वाले CDS जनरल बिपिन रावत के अंतिम संस्कार के वक्त उन्हें 17 तोपों की सलामी दी गई थी। दरअसल सेना में हाई रैंक के अधिकारी, आर्मी और एअरफोर्स के चीफ ऑफ स्टाफ को 17 तोपों की सलामी दी जाती है। इसलिए बिपिन रावत को 17 तोपों की सलामी दी गई थी।
21 तोपों की सलामी लेकिन प्रयोग में सिर्फ 8 तोप
आपको यह जानकर हैरानी होगी कि यह सलामी होती तो 21 तोपों की है, लेकिन इसमें सिर्फ 8 तोप ही प्रयोग की जाती है। इसमें से 7 तोप का ही इस्तेमाल किया जाता है। 1 तोप अतिरिक्त रखी जाती है ताकि तकनीकी असुविधा होने पर इसे प्रयोग में लाया जा सके। प्रत्येक 7 तोप 3 गोलें फायर करती हैं। इस तरह से 21 तोपों की सलामी दी जाती है। इस पारंपरिक रेजिमेंट का मुख्यालय उत्तर प्रदेश के मेरठ में है। इसमें 122 जवान कार्यरत हैं। हालांकि यह रेजिमेंट स्थाई नहीं है। जब यह रेजिमेंट दूसरी जगह शिफ्ट होता है। तो उसकी जगह नया रेजिमेंट बन जाता है।
2.25 सेकेंड में होता है 1 फायर
तोपों से गोले का फायर करने का समय 2.25 सेकेंड का होता है। यानि 2.25 सेकंड में एक फायर होता है। इसके पीछे भी एक कारण है। दरअसल हमारा राष्ट्रगान जन गण मन 52 सेकेंड का होता है। 21 तोपों की सलामी भी 2.25 सेकेंड के साथ 52 सेकेंड में खत्म हो जाती है।