(हिमांशू शर्मा) : जयपुर। लोकसभा और विधानसभा चुनावों को लेकर भारतीय जनता पार्टी की चुनावी पिच तैयार होने लगी है। माहौल और हालात को देखते हुए तस्वीर साफ होने रही है कि भाजपा का चुनावों का एजेंडा हिंदुत्व का ही रहने वाला है। इसी के तहत राजस्थान में Mission 2023-24 को फतह करने के लिए प्रदेश भाजपा ने मूवी स्पेशल प्लान तैयार किया है। पिक्चर्सके जरिए अपने हिंदूत्व के एजेंडे को भाजपा आमजन तक पहुंचाने में जुट गई है।
चुनावों से पहले अपने मुद्दों को और अपनी बात को लाखों लोगों तक पहुंचाने के लिए भाजपा ने पिक्चर्स का सहारा लिया है और स्पेशल प्लान तैयार है। इस प्लान के तहत पहले कश्मीर फाइल्स और केरला स्टोरी दिखाई गई, अब भाजपा इंदिरा गांधी के शासन काल में देश में लगे आपातकाल की मूवी दिखाएगी। इसके लिए पार्टी ने राष्ट्रीय नेताओं और केंद्रीय मंत्रियों से लेकर लोकसभा व विधानसभा में बूथ स्तर तक जिम्मेदारी तय की है। भाजपा ने ‘इमरजेंसी’ पर शॉर्ट मूवी बनवाई है। 25 जून को आपातकाल की बरसी के दिन जन सम्मेलन के जरिए भारतीय जनता पार्टी की ओर से आपातकाल पर बनवाई गई डॉक्यूमेंट्री भी दिखाई जाएगी।
भाजपा ने पहले दिखाई थी ‘द केरला स्टोरी’
अपने हिंदुत्व के एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए भाजपा ने लोगों को फ्री में केरला स्टोरी फिल्म दिखाई थी। यह फिल्म आतंकी संगठन ISIS की करतूतों, जबरन धर्म परिवर्तन के दावों पर बनी थी। जिसका जिक्र पीएम नरेंद्र मोदी ने कर्नाटक में एक चुनावी सभा में भी किया था। वहीं राजस्थान में कांग्रेस व भाजपा फिल्म को लेकर आमने-सामने हो गई थी। एमपी और यूपी में भाजपा शासित राज्यों में फिल्म को टैक्स फ्री कर दिया गया था और राजस्थान में भाजपा नेताओं ने टैक्स फ्री की मांग की थी। इसी तरह घाटी से कश्मीरी पंडितों के पलायन पर बनी कश्मीर फाइल्स को भी भाजपा की ओर से दिखाया गया था।
कश्मीर फाइल्स के बाद अब अजमेर फाइल
फिल्म ‘कश्मीर फाइल्स’ और ‘के रल स्टोरी’ को बॉक्स ऑफिस पर मिली कामयाबी के बाद फिल्म निर्माता अजमेर में साल 1992 में घटी एक घटना पर आधारित कहानी को फिल्म में तब्दील कर रहे हैं। अजमेर के रेपकांड की इस घटना ने पूरे देश में सनसनी मचा दी थी। इस कहानी पर वेब सीरीज के बाद ‘अजमेर फाइल्स’ बनाने की तैयारी है। वहीं इसको लेकर मुस्लिम संगठनों और धर्म गुरुओं ने विरोध करना शुरू कर दिया है। पूर्व शिक्षा राज्यमंत्री वासुदेव देवनानी ने कहा कि अजमेर फाइल्स फिल्म के माध्यम से यदि सच्चाई का पर्दाफाश होता है तो इसमें किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए।
लोकतंत्र के लिहाज से काला दिन
भाजपा इमरजेंसी की याद इसलिए दिलाना चाहती है, क्योंकि कांग्रेस नेता मोदी सरकार पर लोकतंत्र की हत्या के आरोप लगाते रहे हैं। भाजपा चुनावों से ठीक पहले उस दिन को याद दिलाना चाहती है, जिसे भारतीय राजनीति का इतिहास लोकतंत्र की हत्या का काला दिन बताता है। यह वह दिन था जब 25 जून 1975 की आधी रात को आपातकाल की घोषणा की गई और इमरजेंसी 21 मार्च 1977 तक लगी रही। उस दौरान तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली सरकार की सिफारिश पर भारतीय संविधान की धारा 352 के अधीन देश में आपातकाल की घोषणा की थी।
आपातकाल में चुनाव स्थगित हो गए थे, लेकिन नेता जय प्रकाश नारायण की अगुवाई में विपक्ष एकजुट हो गया। देश में इंदिरा के खिलाफ आंदोलन छिड़ गया। इस लड़ाई में इंदिरा गांधी को सिंहासन छोड़ना पड़ा। वहीं मोरारजी देसाई की अगुवाई में जनता पार्टी का गठन हुआ। 1977 में फिर आम चुनाव हुए। इसमें कांग्रेस की हार हुई और इंदिरा खुद रायबरेली से चुनाव हार गईं। यह भारत के आजाद होने के बाद पहली बार ऐसा मौका था जब आजादी के 30 साल बाद पहली गैर कांग्सी रे सरकार बनी थी। इसलिए भजपा इसे जन-जन तक पहुंचाना चाहती हैं।