Rajasthan: चुनाव से पहले निकला ‘जातिगत जनगणना’ का जिन्न, किसे फायदा-किसका नुकसान?

पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा ने गुरुवार को एक कार्यक्रम में कहा कि बीजेपी रिजर्वेशन को खत्म करने पर तुली हुई है लेकिन हम बार-बार सीएम साब से कह रहे हैं कि जातिगत जनगणना होनी चाहिए.

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जयपुर: राजस्थान में विधानसभा चुनावों से पहले एक बार फिर जातिगत जनगणना का मुद्दा तूल पकड़ रहा है जहां सीएम अशोक गहलोत के बाद अब पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा ने भी जातिगत जनगणना को लेकर अपनी बात रखी है. डोटासरा ने गुरुवार को एक कार्यक्रम में कहा कि बीजेपी रिजर्वेशन को खत्म करने पर तुली हुई है लेकिन हम बार-बार सीएम साब से कह रहे हैं कि जातिगत जनगणना होनी चाहिए.

उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ने इसके लिए पीएम मोदी को भी चिट्ठी लिखी है और हम जातिगत जनगणना करवाएंगे. मालूम हो कि इससे पहले भी सूबे में जातिगत जनगणना का मुद्दा उठ चुका है जहां ओबीसी आरक्षण में विसंगति को लेकर बायतु विधायक हरीश चौधरी ने आंदोलन किया था.

वहीं अब सीएम अशोक गहलोत ने भी एक बार फिर गुरुवार को धौलपुर में आयोजित सभा के दौरान कांग्रेस के छत्तीसगढ़ अधिवेशन को याद कर जातिगत जनगणना के प्रस्ताव का जिक्र किया. मालूम हो कि इस प्रस्ताव में केंद्र सरकार से जातिगत जनगणना की मांग की गई थी. वहीं बीजेपी खेमे की ओर से राजस्थान में इस मामले को लेकर अभी तक चुप्पी का माहौल है.

डोटासरा ने उठाई जातिगत जनगणना की मांग

डोटासपा ने बीजेपी पर हमला बोलते हुए कहा कि आरएसएस-बीजेपी वाले बौखला गए हैं क्योंकि उनकी संख्या कम है जिसके चलते वह इसका विरोध कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि ये आज आरक्षण खत्म करने की ओर चल रहे हैं लेकिन मेरी पार्टी और हम सब मिलकर बीजेपी को कामयाब नहीं होने देंगे.

वहीं सीएम गहलोत ने धौलपुर में कहा था कि जातिगत जनगणना से किसी का नुकसान नहीं होगा बल्कि इससे सभी समुदायों को फायदा मिलेगा. उन्होंने कहा कि हर किसी को यह पता होना चाहिए कि समाज में किस जाति के कितने लोग हैं और उनकी कितनी हिस्सेदारी है. सीएम ने कहा कि जातिगत जनगणना को लेकर हम सभी मिलकर केंद्र सरकार के मांग करेंगे.

150 सीटों पर OBC वोटर्स मजबूत

बता दें कि साल के आखिर में होने वाले विधानसभा चुनावों को लेकर बीजेपी और कांग्रेस तमाम दांवपेंच चल रही है वहीं प्रदेश की 200 सीटों में करीब 150 विधानसभा सीटों पर ओबीसी मतदाताओं का काफी प्रभाव है जहां ओबीसी वोटर्स पहले, दूसरे या तीसरे नंबर पर रहते हैं.

इधर दक्षिणी राजस्थान के बांसवाड़ा, डूंगरपुर, प्रतापगढ़, उदयपुर, सिरोही, राजसमंद जैसे जिलों में करीब 50 सीटों में आदिवासी इलाके होने के चलते यहां ओबीसी समुदाय की बहुलता नहीं है. इसके अलावा प्रदेश की 25 लोकसभा सीटों में से 11 सीटों पर ओबीसी सांसद हैं.

हरीश चौधरी भी उठा चुके हैं मुद्दा

गौरतलब है कि बाड़मेर के बायतु से आने वाले कांग्रेस विधायक हरीश चौधरी ने भी ओबीसी के मामले पर मुखरता से अपनी बात रखी थी और बीते दिनों उन्होंने लंबा आंदोलन करने के बाद जयपुर में धरना भी दिया था. चौधरी ने ओबीसी आरक्षण में विसंगति का मुद्दा उठाते हुए कहा था कि प्रदेश में ओबीसी को 21 से बढ़ाकर 27 प्रतिशत आरक्षण दिया जाए.

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