नई दिल्ली। पूर्वी पाकिस्तान (आज के बांग्लादेश) के समुद्र तट से 12 नवंबर 1970 को एक तूफान टकराया था, जिसे बाद में विश्व मौसम विज्ञान संगठन द्वारा विश्व का सबसे विनाशकारी उष्ण कटिबंधीय चक्रवात घोषित करना पड़ा। इससे मची तबाही ने पूर्वी पाकिस्तान में एक गृह युद्ध छेड़ दिया और आखिरकार विदेशी सैन्य हस्तक्षेप का मार्ग प्रशस्त किया, जिसने उसे बांग्लादेश के रूप में एक नए राष्ट्र में तब्दील कर दिया। यह तूफान के राजनीतिक और सामाजिक परिणाम और इतिहास की धारा बदलने का एक उदाहरण है। चक्रवात ‘भोला’ ने 3 से 5 लाख लोगों की जान ली, जिनमें से ज्यादातर की मौत बंगाल की खाड़ी के तट पर स्थित निचले इलाकों में हुई। लाखों लोग रातों-रात इसके शिकार हो गये और विद्वानों ने लिखा कि अपर्याप्त राहत कोशिशों ने असंतोष बढ़ाया, जिसका अत्यधिक राजनीतिक प्रभाव पड़ा और गृह युद्ध हुआ तथा नया राष्ट्र सृजित हुआ।
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20वीं सदी की भयावह प्राकृतिक आपदा
विशेषज्ञों का कहना है कि यह रिकाॅर्ड में उपलब्ध सर्वाधिक विनाशकारी प्राकृतिक आपदाओ में शा ं मिल है और 20वीं सदी की सबसे भयावह प्राकृतिक आपदा है। तूफान के तट से टकराने से ठीक पहले, रेडियो पर बार-बार विवरण के साथ ‘रेड-4, रेड-4’ चेतावनी जारी की गई। हालांकि, लोग चक्रवात शब्द से परिचित थे, लेकिन उन्हें यह नहीं पता था कि रेड-4 का मतलब ‘रेड अलर्ट’ है। वहां 10 अंकों वाली चेतावनी प्रणाली का इस्तेमाल किया जाता था, जिसमें तूफान की भयावहता को बताया जाता था। पश्चिमी पाकिस्तान (आज के पाकिस्तान) में जनरल याहया खान के नेतृत्व वाली तत्कालीन सरकार ने दावा किया था कि करीब 191,951 शव बरामद किए गए और करीब डेढ़ लाख लोग लापता हैं। उनके आंकड़ों में वे हजारों लोग शामिल नहीं किए गए हैं, जो समुद्र में बह गए, मिट्टी के नीचे दब गए या वे लोग जो दर-दराज ू के द्वीपों पर थे, जो फिर कभी नहीं मिल पाए। सर्वाधिक प्रभावित उपजिला ताजुमुद्दीन में 45 प्रतिशत से अधिक आबादी (1,67,000 लोगों) की मौत हो गई।
तबाही को दे दिया गया राजनीतिक रंग
विश्लेषकों ने दलील दी कि राजनीतिक उथल-पुथल और अलगाव के लिए 1970 के चक्रवात को श्रेय दिया जाना चाहिए। ‘भोला’ ने पूर्वी पाकिस्तान में सामाजिक-राजनीतिक और आर्थिक तनाव को बढ़ाया। 1970 के चक्रवात ने पूर्वी पाकिस्तान की राजनीतिक संरचना को नहीं बदला, बल्कि इसने पूर्वी पाक की स्वायत्ता की मांग को हवा दी।
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भारत के 32 करोड़ लोग होते हैं प्रभावित
‘बिपारजॉय’ के कारण प्रशासन संवेदनशील इलाकों में रहने वाले 74 हजार लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचा चुका है। भारत 8% उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के प्रति संवेदनशील है। नौ तटीय राज्यों और कु छ केंद्रशासित प्रदेशों के 32 करोड़ लोग चक्रवातों के प्रभाव के प्रति संवेदनशील हैं। पूर्व तट पर तमिलनाडु , आंध्र प्रदेश, ओडिशा और पश्चिम बंगाल हैं तो पश्चिमी तट पर के रल, कर्नाटक, महाराष्ट्र, गोवा और गुजरात हैं।