वॉशिंगटन। सूर्य के रहस्यों को उजागर करने के लिए 2018 में लॉन्च किए गए नासा के पार्कर सोलर प्रोब के डेटा ने सूर्य के सतह पर सौर हवा से स्रोत की खोज कर ली है। इस स्रोत से भारी संख्या में आवेशित कण सूर्य की सतह से निकलकर पृथ्वी की ओर बह रहे हैं। इस अभियान का प्रमुख मकसद यह पता करना था कि सूर्य की सतह पर सोलर विंड या सौर हवा कैसी दिखती है और यह सूर्य के गुरुत्वाकर्षण से कैसे बचती है। पार्कर सोलर प्रोब ने सूर्य की सतह के 13 मिलियन मील (20.9 मिलियन किलोमीटर) के भीतर जैसे ही जांच शुरू की, इसके उपकरणों ने सौर हवा की ठीक संरचनाओं का पता लगा लिया।
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पृथ्वी को क्या हो सकता है खतरा
तेज सौर हवा आमतौर पर पृथ्वी को प्रभावित नहीं करती है, लेकिन अधिकतम सौर चक्र के दौरान सूर्य का चुंबकीय क्षेत्र पलट जाता है। यह फ्लिप सूर्य की सतह पर कोरोनल छिद्रों को प्रकट करने का कारण बनता है और सौर हवा को सीधे पृथ्वी की ओर छोड़ता है। सौर हवा के स्रोत को समझने से वैज्ञानिकों को अंतरिक्ष के मौसम और पृथ्वी को प्रभावित करने वाले सौर तूफानों की बेहतर भविष्यवाणी करने में मदद मिल सकती है। इन सौर हवा के कारण पृथ्वी पर सुंदर अरौरा का नजारा बनता है हालांकि, ये सौर तूफान उपग्रहों और पृथ्वी के विद्युत ग्रिडों को भी प्रभावित कर सकते हैं।
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800 किमी प्रति सेकंड की स्पीड से बहती है हवा
यह हवा फोटोस्फीयर या सौर सतह के पास उत्पन्न होती है। इसमें प्रोटॉन और इलेक्ट्रॉन जैसे आवेशित कण होते हैं। इसमें सौर चुंबकीय क्षेत्र का हिस्सा भी शामिल है। यह हवा दो प्रकार की होती है। सूर्य के ध्रुवों पर 497 मील प्रति सेकंड (800 किलोमीटर प्रति सेकंड) की चरम गति से कोरोना के छेद से तेज सौर हवा बहती है। वहीं, बाकी हिस्सों में बहने वाली सौर हवा 249 मील प्रति सेकं ड (400 किलोमीटर प्रति सेकं ड) की शांत गति से बहती है।