प्रदेश को चाहिए 100 और IAS अफसर, नए जिलों में SP-कलेक्टर लगाने होंगे, केंद्र से कराना होगा कैडर रिव्यू

प्रदेश केंद्र से कैडर रिव्यू नहीं होने के कारण आईएएस व आईपीएस अफसरों की कमी से जूझ रहा है।

image 16 2 | Sach Bedhadak

जयपुर। प्रदेश केंद्र से कैडर रिव्यू नहीं होने के कारण आईएएस व आईपीएस अफसरों की कमी से जूझ रहा है। आलम यह है कि कई सीनियर आईएएस के पास तो एक से अधिक विभागों का चार्ज हैं। प्रदेश में 19 नए जिले व 3 संभाग बनाने की घोषणा के साथ ही प्रदेश में 22 नए आईएएस व 19 आईपीएस ऑफिसर्स की जरूरत होगी। हर जिले में एसपी, जिला कलेक्टर और नए संभाग में संभागीय आयुक्त लगाना होगा। जाहिर है, नई प्रशासनिक व्यवस्थाओं लिए नए अफसरों की जरूरत पूरी करने के लिए केंद्र सरकार से कैडर रिव्यू करवाना होगा। इसके लिए राज्य सरकार 7 साल से इंतजार कर रही है।

सीनियर RPS व RAS को मिल सकता है जिम्मा

कै डर रिव्यू करना कें द्र के हाथ में हैं, लेकिन सरकार चाहे तो सीनियर आरपीएस व आरएएस को एसपी व कलेक्टर का जिम्मा दे सकती हैं, क्योंकि सरकारें इस तरह पहले भी राजस्थान प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों को ये जिम्मा दे चुकी है।

प्रदेश को 100 आईएएस अफसर और चाहिए

नए घोषित जिलों के हिसाब से प्रदेश के पास अफसर नहीं हैं। आईएएस का कै डर 365 का होना चाहिए, जो केंद्र ने 313 का निर्धारित कर रखा है। अभी करीब 100 से अधिक आईएएस की जरूरत हैं। राज्य केंद्र को 365 आईएएस कै डर करने का प्रस्ताव भेज चुका है। साल 2016 के बाद से प्रदेश को आईएएस का कै डर रिव्यू होने का इंतजार है। केंद्र सरकार हर 5 साल में कैडर रिव्यू करती है, जबकि राजस्थान 7 साल से इसका इंतजार कर रहा है। पिछली बार 2016 में कें द्र ने कै डर 313 का किया था, जबकि 243 ही कार्यरत हैं।

222 आईपीएस की कैडर स्ट्रेंथ

राज्य को वर्तमान में 222 आईपीएस अधिकारियों का कैडर है। इनमें से 200 पद भरे हुए हैं। 19 नए जिलों की घोषण के बाद अब प्रदेश के इन जिलों में एसपी के लिए 19 आईपीएस की ओर जरूरत तो होगी ही। जबकि वर्तमान में कै डर में से भी 22 अफसर कम हैं।

RAS एसो. ने जताया सीएम का आभार

आरएएस एसोसिएशन ने प्रदेश में 19 नए जिले और 3 संभाग की घोषणा पर अशोक गहलोत का आभार व्यक्त किया है। एसोसिएशन के अध्यक्ष गौरव बजाड़ ने कहा कि यह कदम प्रदेश के विकास के लिए मील का पत्थर साबित होगा। प्रशासनिक ढांचा मजबूत होने के साथ ही विकास कार्यक्रमों एवं योजनाओं के बेहतर क्रियान्वयन में आसानी होगी। साथ ही, इससे आमजन तक प्रशासन की सुगम पहुंच सुनिश्चित होगी तथा जन कल्याण के कार्यों को धरातल पर साकार करना अधिक सरल होगा।

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