66 साल तक राजनीति की गवाह रही पुरानी विधानसभा में दिखेगी हमारी संस्कृति, अगले महीने से आ सकेंगे पर्यटक

राजधानी घूमने आने वाले पर्यटक अगले महीने से पुरानी विधानसभा (टाउन हॉल) भी घूम पाएंगे। दरअसल इन दिनों इसके रिनोवेशन का काम किया जा रहा है जो लगभग पूरा होने वाला है।

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(निरंजन चौधरी): जयपुर। राजधानी घूमने आने वाले पर्यटक अगले महीने से पुरानी विधानसभा (टाउन हॉल) भी घूम पाएंगे। दरअसल इन दिनों इसके रिनोवेशन का काम किया जा रहा है जो लगभग पूरा होने वाला है। यहां राजस्थान की कला संस्कृति के अलावा यहां के पहनावे समेत जयपुर के इतिहास से रूबरू करवाया जाएगा। इतना ही नहीं यहां बच्चों के लिए अलग से एक फ्लोर पर अलग से जोन बनाया गया है। इसके अलावा यहां चार फ्लोर बनाये जा रहे हैं, जिनमें से दो फ्लोर लगभग तैयार हैं, जिन्हें फाइनल टच देने का काम किया जा रहा है। दूसरी तरफ यहां प्रथम तल पर पर्यटकों के पैदल घूमने के लिए पथ और लॉन बनाया जा रहा है। 

गौरतलब है कि हवा महल के पास बनी इस विधानसभा को देखने के लिए पर्यटकों में खासा उत्साह देखा जा रहा है। दरअसल जयपुर शहर की नींव 1727 में सवाई जय सिंह द्वितीय ने रखी थी। टाउन हॉल को विभिन्न वास्तुशिल्पों के साथ जीवंत किया गया है, जिसे वहां लगी कई दीर्घाओं के माध्यम से देखा जाएगा। एक्सईएन रवि गुप्ता ने कहा कि टाउन हॉल का काम लगभग पूरा होने वाला है। फाइनल वर्क करके जून के आखिरी सप्ताह तक इसे पर्यटकों के लिए खोल दिया जाएगा।  

Old Assembly : यह रहेगा खास

मॉडल हॉल के रिनोवेशन के बाद जहां एक ओर प्रदेशभर की अलग- अलग जगहों के पहनावे को प्रदर्शित किया जाएगा। वहीं, दूसरी तरफ यहां की भौगोलिक परिस्थितियों को भी प्रदर्शनी के माध्यमों से दर्शाया जाएगा। भौगौलिक प्रदर्शनियों में वनस्पति और जीव, भूभाग और वास्तुकला को दिखाया जाएगा। इसके अलावा राजस्थान के त्यौहारों और जुलूसों को भी यहां प्रमुखता से जगह दी गई है। दूसरी तरफ यहां जयपुर के इतिहास को प्रमुखता से दिखाया जाएगा, जिसमें 36 कारखाने, जयपुर बनने की यात्रा, आमेर के कछवाहा वंश का इतिहास के अलावा सभागार शामिल है।

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1952 में बनी विधानसभा, 66 साल तक रही राजनीति की गवाह

पहली विधानसभा की बैठक 1952 में बनी सवाई मानसिंह टाउन हॉल से ही शुरू हुई। भवन 66 साल तक राजनीति के दावपेच का गवाह रहा है। इसकी खिड़कियां बड़ी चौपड़ के नीचे सिरह ड्योढ़ी की तरफ खुलती थीं। जहां से जनता की आवाज को सरकार सीधे सुन सकती थी। यहां अगर कोई बड़ा प्रदर्शन और धरना होता था तब तत्कालीन मुख्यमंत्री यहां लगी खिड़कियों से आमजन की ताकत को देखते थे और बात को सुनते थे। यहां प्रथम निर्वाचित राज्यपाल सरदार निहाल सिंह का अभिभाषण भी हुआ था।

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