‘मैं और मेरा’ की सोच छोड़ें…सब समझती है जनता…मरुधरा में महामहिम का विधायकों को संदेश

राजस्थान विधानसभा के सत्र को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि मैं और मेरा से ऊपर उठकर हमारा देश और हमारा राज्य की सोच प्रभावी होनी चाहिए.

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President in Rajasthan: राजधानी जयपुर में 15वीं विधानसभा के 8वें और अंतिम सत्र की शुक्रवार से शुरूआत हो गई है जहां देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने विधानसभा की कार्यवाही शुरू होने से पहले विशेष संबोधन दिया. महामहिम ने राजस्थान की पावन धरती को नमन करते हुए कहा कि माणो सम्माणो और बलिदान सुरोगी राजस्थान की धोरां री धरती रा निबासियां ना घणी शुभकामनाएं. उन्होंने कहा कि 1952 में राजस्थान विधानसभा का गठन हुआ जिसके बाद 71 सालों का गौरवशाली सफर पूरा हुआ है जिसके लिए मैं राजस्थान की जनता को धन्यवाद देती हूं.

वहीं आज राजस्थान के लिए यह विशेष गौरव की बात है कि वर्तमान में लोकसभा और राज्यसभा की अधय्क्षता यहां की विधानसभा के पूर्व सदस्यों के द्वारा ही की जा रही है. बता दें कि यह पहला मौका है जब राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सदन को संबोधित किया है. वहीं महामहिम के स्वागत में स्पीकर सीपी जोशी और राज्यपाल कलराज मिश्र ने उद्बोधन दिया.

मान-सम्मान और बलिदान की धरती राजस्थान

महामहिम ने आगे अपने संबोधन में कहा कि राजस्थान में जैसलमेर के रेगिस्तान से लेकर सिरोही के माउंट आबू, उदयपुर के झीलों तथा रणथंभौर के आंचल में प्रकृति की इंद्रधनुष छटा दिखाई देती है और जयपुर को यूनेस्को द्वारा वर्ल्ड हैरिटेज सिटी का दर्जा दिया गया है. वहीं राष्ट्रपति भवन के निर्माण में अधिकांश पत्थर राजस्थान से ही गए हैं और भवन को बनाने में यहां के कर्मचारियों का खून-पसीना लगा है.

उन्होंने कहा कि अतिथि को देवता समझने का सबसे अच्छा उदाहरण राजस्थान है जहां यहां के लोगों के मधुर व्यवहार के चलते देश-विदेश के लोग यहां आते रहते हैं. वहीं राजस्थान के उद्दमी लोगों ने प्रदेश की पहचान विदेशों में बनाई है. इसके अलावा सभ्यता और संस्कृति के हर आयाम में राजस्थान की परंपरा समृद्ध रही है.

जनता के प्यार का सम्मान करें विधायक

वहीं महामहिम ने आगे विधायकों को संबोधित करते हुए कहा कि मैं सभी माननीय विधायकों से कहना चाहती हूं कि जनता अपने जनप्रतिनिधि से बहुत प्यार करती है कि एक से अधिक बार अपने नेता को वोट की ताकत से विधानसभा में भेजती है. उन्होंने कहा कि जनता अपने नेता को फॉलो करती है और उनको बहुत मानती है.

उन्होंने कहा कि आज तकनीक का युग है और घर-घर तक क्या चल रहा है और विधानसभा में विधायक मेरे लिए क्या बोल रहे हैं, वह सब देखते और समझते हैं. इसलिए मैं सभी विधायकों से गुजारिश करना चाहती हूं कि चाल-चलन के साथ-साथ आचार-विचार को जनता की दिशा में, जनता के लिए सोचना चाहिए और केवल मैं और मेरा की सोच छोड़कर हर काम हमारा होना चाहिए. सिर्फ मैं और मेरा सोचने से राज्य का भला नहीं होगा.

महामहिम ने आगे कहा कि मैं और मेरा से ऊपर उठकर हमारा देश और हमारा राज्य की सोच प्रभावी होनी चाहिए और वर्तमान की जरूरतों के हिसाब से नियम बनाने का दायित्व जनता ने सभी माननीयों को दिए हैं और सभी विधायकों को किसी से नहीं बल्कि अपने आप से पूछना चाहिए कि मैंने जनता के लिए क्या काम किया.

विधानसभा ने की राजस्थान के नवनिर्माण की कल्पना

वहीं विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का स्वागत करते हुए कहा कि आज आजादी के बाद यह हमारा सौभाग्य है कि हम विधानसभा में महामहिम का संबोधन सुन रहे हैं. उन्होंने कहा कि संविधान की कल्पना में न्याय और बराबरी की बात कही गई थी और आज मुझे यह कहते हुए खुशी है कि 75 सालों बाद हमनें राजनीतिक न्याय हासिल किया लेकिन आर्थिक और सामाजिक तौर पर हमें अभी लंबा सफर तय करना है.

जोशी ने कहा कि आज देश की जनता महामहिम आपसे यह उम्मीद करती है हम ऐसी प्रणाली विकसित करें कि संसदीय लोकतंत्र के माध्यम से राज्य सरकारों और केंद्र सरकार को कानून और नियम बनाने का जो अधिकार दिया है उसमें देश के संविधान की कल्पना साकार हो सके.

स्पीकर जोशी ने कहा कि राजस्थान की विधानसभा से निकले सदस्यों ने उपराष्ट्रपति पद को सुशोभित किया और आज राजस्थान से निकले हुए सदस्य लोकसभा और राज्यसभा तक पहुंचे. उन्होंने कहा कि यहां के अफसरों ने कई केंद्र सरकारों के साथ संवैधानिक पदों पर काम किया. जोशी ने कहा कि राजस्थान विधानसभा के सदस्यों और ब्यूरोक्रेसी ने राजस्थान के नवनिर्माण करने की कल्पना की और मैं ऐसे मौके पर हमारे भूतपूर्व सीएम और पूर्व सीएम वसुंधरा राजे और सीएम अशोक गहलोत को धन्यवाद ज्ञापित करता हूं.

इसके अलावा राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा कि ‘विधानसभा लोकसभा का पवित्र सदन है, यहां नियम और कानून बनाने सहित लोकतांत्रिक मूल्यों की स्थापना करने का काम होता, इसलिए हम सबकी जिम्मेदारी है हम सदन की गरिमा कायम रखें, लोकतंत्र में असली ताकत जनता के पास होती है, जो जनप्रतिनिधियों को चुनकर भेजती है, सदन एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाने का स्थान नहीं है, राजनीति का अर्थ होता है लोगों के लिए काम करना.

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