गहलोत का पायलट पर पलटवार, बोले- मुआवजे की मांग ‘दिवालियापन’, दिल्ली में होने वाली ‘सुलह’ बैठक टली

पेपर लीक मामले को लेकर मुआवजे की मांग कर रहे पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने तीखा पलटवार किया।

Gehlot vs Pilot

Gehlot vs Pilot : जयपुर। पेपर लीक मामले को लेकर मुआवजे की मांग कर रहे पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने तीखा पलटवार किया। साथ ही सीएम गहलोत ने पायलट की पेपरलीक से प्रभावित अभ्यर्थियों को मुआवजा देने की मांग को ‘बुद्धि का दिवालियापन’ करार दिया। गहलोत के इस बयान के बाद दिल्ली में आज होने वाली सुलह बैठक टल गई है। इस बैठक में राजस्थान, मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़ के होने वाले विधानसभा चुनावों सहित गहलोत-पायलट विवाद पर चर्चा की संभावना थी। मीटिंग के लिए पार्टी आलाकमान ने पूरी तैयारी भी कर ली थी। सियासी गलियारों में चर्चा है कि विपक्ष की आड़ में पायलट पर किए गए गहलोत के पलटवार के बाद बैठक टली है।

सीएम गहलोत ने गुरुवार शाम को जयपुर केंद्रीय बस अड्डा और सिन्धी कैंप पर बस टर्मिनल के लोकार्पण के बाद मीडिया से रुबरू होते हुए कहा कि विपक्ष के पास कोई मुद्दा नहीं तो वे पेपर लीक की बात करने लगे हैं। पेपर लीक मामले में सरकार ने कानून बनाया है और आरोपियों को जेल भेजा है। अब विपक्ष के पास कोई बात कहने के लिए नहीं है तो फिर वो पेपर आउट होने को लेकर मुआवजे की मांग कर रहे हैं। और कह रहे हैं कि इन्हें मुआवजा दो, जो 26 लाख लोग बैठे हैं। ऐसी मांग की जाती है कि पेपर आउट हो गए, इसलिए इन्हें मुआवजा मिलना चाहिए। इसको आप क्या कहेंगे? इसे बुद्धि का दिवालियापन नहीं कहेंगे? इनको मुआवजा दो। मुख्यमंत्री ने कहा कि दुनिया के इतिहास में किसी ने यह मांग की है क्या? पेपर आउट हो गया तो अच्छे काम किए वो तो पीछे हो गए। पेपर आउट…पेपर आउट हो गया। पेपर आउट कहां नहीं हो रहे हैं? गुजरात में 15 और गुजरात में 22 पेपर आउट हुए हैं। लेकिन, क्या किसी को जेल भेजा? हमारी सरकार ने पेपर माफियाओं पर शिकंजा कसने के लिए कानून बनाया और 200 लोगों को जेल की सलाखों की पीछे भेज दिया।

विपक्ष पर साधा निशाना

भाजपा के भ्रष्टाचार के मुद्दे उठाए जाने की बात पर गहलोत ने कहा कि ये लोग घबराए हुए हैं। इनकी हालत बहुत खराब हो गई है। कर्नाटक में पूर्व भाजपा मुख्यमंत्री के बारे में जो 40 प्रतिशत (कमीशन) के जो आरोप लगे थे, वो इनसे चिपक गए हैं। गुरुवार को मीडिया से गहलोत ने कहा कि हमने भ्रष्टाचार पर ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति अपना रखी है। गहलोत ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि इनसे पूछो कि आपने साढ़े चार साल राजस्थान में क्या किया, कोई मुद्दा तो बनाते हमारे खिलाफ। कोई मुद्दा ही नहीं है।

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भाजपा की फितरत जनता को गुमराह करने की

मुख्यमंत्री ने कहा कि वह जनता को बताएंगे कि उनकी सरकार ने क्या-क्या किया, कैसी सरकार दी है और महंगाई, बेरोजगारी, नौकरियों को लेकर क्या कर रही है। भाजपा वालों की असत्य बोलने और जनता को गुमराह करने की फितरत है, लेकिन इस बार चलनेवाली नहीं है। गहलोत ने कहा कि चाहेमोदी आएं या अमित शाह। इनके खूब पैसे खर्च होंगे, पैसे बांटे जाएंगे, पर मैं सोचता हूं कि राजस्थान की जनता मन बना चुकी है।

सबसे पहले पायलट ने उठाई थी मुआवजे की मांग

हालांकि, पेपर लीक पर दिए गए बयान के दौरान गहलोत ने पायलट का नाम नहीं लिया और विपक्ष पर निशाना साधा। लेकिन, यह बयान सीधा-सीधा पायलट पर पलटवार माना जा रहा है। क्योंकि हाल ही में जब सचिन पायलट ने पेपर लीक और भ्रष्टाचार को लेकर अजमेर से जयपुर तक जन संघर्ष पदयात्रा निकाले के बाद जयपुर में 15 मई को सभा की थी तो सबसे पहले पेपर लीक के पीड़ितों को मुआवजना देने की मांग उठाई थी। पायलट की पहली मांग थी कि आरपीएससी को भंग कर पूरे तंत्र का पुनर्गठन करें और नए कानून मापदंड बनें व पारदर्शिता से लोगों का चयन हो। दूसरी मांग रखी कि अब तक की प्रतियोगी परीक्षाओं में गड़बड़ी से प्रभावित युवाओं को आर्थिक मुआवजा मिले। तीसरी मांग रखी कि पूर्ववर्ती वसुंधरा राजे सरकार में हुए भ्रष्टाचार की उच्च स्तरीय जांच की जाएं। साथ ही गहलोत सरकार को 15 दिन का अल्टीमेटम दिया था। सचिन पायलट का अल्टीमेटम 30 मई को पूरा हो रहा है।

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