Chaitra Navratri 2023: चैत्र नवरात्रि कल से शुरू, जानिए घट स्थापना का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Chaitra Navratri 2023: हिंदू धर्म में नवरात्रि के पर्व का काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ रूपों की विधि-विधान से…

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Chaitra Navratri 2023: हिंदू धर्म में नवरात्रि के पर्व का काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ रूपों की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है। चैत्र नवरात्रि-शारदीय नवरात्रि का महत्व काफी ज्यादा होता है। कहा जाता हे कि इस दौरान माता की पूजा-अर्चना करने से जातक की किस्मत खुल जाती है। अबकी बार चैत्र नवरात्रि मार्च 2023 से शुरू हो रहे है। वैसे तो माता रानी शेर की सवारी करती है लेकिन जब वो धरती पर आती हैं तो सवारी बदल जाती है। अबकी बार मां दुर्गा नाव पर सवार होकर धरती पर आयेगी।

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जानिए चैत्र नवरात्रि का शुभ मुहूर्त

ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार इस बार चैत्र नवरात्रि की प्रतिपदा तारीख 21 मार्च रात में 11:34 मिनट से लग जायेगी, वहीं 22 मार्च को सूर्योदय के साथ नवरात्रि की शुरुआती कलश स्थापना के साथ होगी। अबकी बार मां दुर्गा का आगमन नौका पर है, जिसे सुख-शांति का प्रतीक कहा जाता है।

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जानिए घट स्थापना का शुभ मुहूर्त

चैत्र नवरात्रि के पर्व की 22 मार्च से लेकर 30 मार्च 2023 तक चलेगा। यह 9 दिनों के उत्सव की शुरुआत का प्रतीक है। घटस्थापना देवी शक्ति का आवाहन है और इसे गलत वक्त पर करने से बुरा हो सकता है। नवरात्रि में कलश की स्थापना शुभ मुहूर्त में करना चाहिए। चैत्र नवरात्रि में घट स्थापना प्रतिपदा तिथि आती है।

(1) घट स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 6:23 से 7:30 बजे तक करना फलदायी होगा, इसकी अवधि 1 घंटा 09 मिनिट रहेगी।
(2) नवरात्रि प्रतिपदा तिथी का आरम्भ 21 मार्च को रात्रि 11:30 से शुरू होगा और तिथी समाप्त 22 मार्च 2023 को 6:23 को सुबह तक रहेगा।

चैत्र नवरात्रि घट स्थापना की पूजा-विधि

नवरात्रि के कलश को भगवान विष्णु और नारायण का रूप माना जाता है, मां दुर्गा की पूजा से पहले कलश की पूजा की जाती है। कलश की स्थापना करने से पहले उस स्थान को गंगाजल से साफ किया जाता है, इसके बाद सभी देवी-देवताओं कोआमंत्रित किया जाता है। इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद पूजा और मां दुर्गा के व्रत का संकल्प लें। इसके बाद चौकी पर कलश में पानी भरकर रखें, इसके बाद कलश पर मौली लपेटें। इसके बाद कलश के मुख पर आम के पेड़ का पत्ता लगाएं और इसके बाद नारियल को लाल चुनरी में लपटेकर कलश में रख दें। इसके बाद मां दुर्गा की विधि-विधान से पूजा करें।

मां दुर्गा के 9 स्वरूप

(1) नवरात्रि पहला: मां शैलपुत्री पूजा (घटस्थापना), (2) नवरात्रि दूसरा : मां ब्रह्मचारिणी पूजा, (3) नवरात्रि तीसरा : मां चंद्रघंटा पूजा, (4) नवरात्रि चौथा : मां कुष्मांडा पूजा, (5) नवरात्रि पांचवां दिन : मां स्कंदमाता पूजा, (6) नवरात्रि छठवां दिन : मां कात्यायनी पूजा, (7) नवरात्रि सातवं दिन : मां कालरात्रि पूजा (8) नवरात्रि आठवां दिन : मां महागौरी (9) नवरात्रि 9वां दिन : मां सिद्धिदात्री।

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