भारतीय सेना की शक्ति में होगा इजाफा, अग्नि-1 बैलिस्टिक मिसाइल का हुआ सफल ट्रेनिंग प्रक्षेपण

नई दिल्ली। भारत ने गुरुवार को अग्नि-1 बैलिस्टिक मिसाइल का सफल प्रशिक्षण प्रक्षेपण किया। इससे रणनीतिक हथियार के सभी परिचालन और तकनीकी मापदंडों को सत्यापित…

Indian Army's power will increase, successful training launch of Agni-1 ballistic missile

नई दिल्ली। भारत ने गुरुवार को अग्नि-1 बैलिस्टिक मिसाइल का सफल प्रशिक्षण प्रक्षेपण किया। इससे रणनीतिक हथियार के सभी परिचालन और तकनीकी मापदंडों को सत्यापित किया गया। मिसाइल बहुत उच्च स्तर की सटीकता के साथ लक्ष्य पर वार करने में सक्षम हैं। इसके जरिए लक्ष्य को सटीकता से भेदा जा सकता है। ट्रेनिंग लॉन्च के दौरान मिसाइल के सभी परिचालन और तकनीकी मापदंड सभी पैमानों पर खरे उतरे। रक्षा मंत्रालय के मुख्य प्रवक्ता ए. भारत भूषण बाबू ने यह जानकारी दी है।

ऊंचाई से लक्ष्य को भेदने में सक्षम 

रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, एक जून 2023 को ओडिशा के एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से सामरिक बल कमान द्वारा एक मध्यम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि-1 का सफलतापूर्वक प्रशिक्षण प्रक्षेपण किया गया। यह पाया गया कि मिसाइल बहुत ऊंचाई से लक्ष्य को भेदने में सक्षम हैं। इस प्रक्षेपण के जरिए मिसाइल के सभी परिचालन और तकनीकी मापदंडों को सफलतापूर्वक सत्यापित किया गया।

विभिन्न बैलिस्टिक मिसाइलों पर काम कर रहा 

भारत भारत पिछले 2 दशकों में विभिन्न बैलिस्टिक मिसाइलों पर काम कर रहा है। इसके अलावा भारत सटीक-ताकतवर रक्षा उत्पाद और संबंधित प्लेटफॉर्म को विकसित करने में भी लगा हुआ है। भारत का फोकस अपनी सामरिक क्षमता को बढ़ाने पर है। इसी के तहत भारत ने ‘अग्नि’ शृंखला की मिसाइलों के विभिन्न रूपों को विकसित किया है।

अग्नि-5 का किया गया था सफलतापूर्वक परीक्षण 

पिछले दिसंबर में भारत ने परमाणु-सक्षम बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि-5 का सफलतापूर्वक परीक्षण किया था, जो 5,000 किलोमीटर तक के लक्ष्य को भेद सकती है। अग्नि 1 से 4 मिसाइलों की रेंज 700 किलोमीटर से 3,500 किलोमीटर तक है और उन्हें पहले ही तैनात किया जा चुका है।

एक और मंगल अभियान के लिए विकल्पों पर विचार कर रहा इसरो 

बेंगलुरु। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक ने गुरुवार को कहा कि मंगल ग्रह के लिए दूसरा अभियान अध्ययन के चरण में है और भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इस अभियान को पूरा करने के लिए उपलब्ध विभिन्न विकल्पों पर विचार कर रही है। इसरो के यूआर राव उपग्रह केंद्र के निदेशक एम. शंकरन ने कहा कि मंगल अभियान को अधिक वैज्ञानिक निष्कर्षों के साथ व्यापक होना चाहिए। शंकरन ने कहा कि यदि आप मंगल ग्रह से जुड़े किसी नए अभियान की बात कर रहे हैं, तो वह अभी भी अध्ययन के चरण में है। 

हम अभियान को साकार करने के लिए हमारे पास उपलब्ध विभिन्न विकल्पों पर विचार कर रहे हैं। भारत ने मंगल ग्रह के लिए पांच नवंबर, 2013 को पहली बार मंगलयान का प्रक्षेपण किया था, जिसने 24 सितंबर, 2014 से लाल ग्रह की परिक्रमा शुरू की थी। अक्टूबर 2022 में मंगलयान से संपर्क टूट गया और इस तरह ‘मंगलयान-1’ अभियान समाप्त हो गया। वहीं, चंद्रयान-3 के बारे में वैज्ञानिक ने कहा कि चंद्रमा पर जाने वाला अंतरिक्ष यान पहले ही प्रक्षेपण केंद्र पर पहुंच चुका है। उन्होंने कहा कि श्री हरिकोटा में तैयारी चल रही है। 

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