हमारी रसोईघर में रखे हर मसाले किसी न किसी प्रकार से भोजन का जायका बढ़ाते हैं। गरम मसाला सब्जी को स्वादिष्ट बनाता है तो अमचूर खाने में खटास पैदा करता है। काली मिर्च व्यंजन में तीखापन लाती है, तो लोंग भोजन में सुगंध लाती है। उसी तरह कई प्रकार के स्वाद को बढ़ाने में मसालों का अहम किरदार होता है। लेकिन हमारे रसोईघर में कई ऐसे मसाले भी रखे होते हैं जिनका असल उपयोग हम नहीं जानते। इनमें काला नमक भी शामिल है।
दरअसल यह सामान्य नमक से कुछ अलग होता है, जिसे सफेद नमक भी कहते हैं। यूं तो नमक तीन प्रकार के होते हैं- काला, सफेद और सेंधा। इनमें काला नमक सबसे अधिक फायदेमंद होता है। इसके कई अनगिनत फायदे हैं। अंग्रेजी में इसे रॉक साल्ट कहते हैं। इसे देखने पर लगता है कि इसे पहाड़ या खदानों से प्राप्त किया जाता है जबकि इसे समुद्री नमक से रासायनिक प्रक्रिया के द्वारा तैयार किया जाता है।
कैसे बनता है काला नमक
काला नमक का समुद्र के भीतर खनन के द्वारा प्राप्त किया जाता है। भारत में इसका उत्पादन हिमालय से किया जाता है। इसलिए इसे हिमालयन रॉक साल्ट भी कहते हैं। इसमें पाए जाने वाले सल्फर लवण के कारण यह विशिष्ट स्वाद और गंध देता है। प्राकृतिक काला नमक चट्टानों से प्राप्त किया जाता है। ये चट्टानें मुख्य रूप से भारत और पाकिस्तान में पायी जाती है। लेकिन इसका अधिक उपयोग भारत में होता है।
इसे बनाने के लिए नमकीन पानी में हरड़ के बीज डालकर इसे उबाला जाता है। इसके बाद पानी भाप बन कर उड़ जाता है तथा जो शेष पदार्थ बचता है उसे क्रिस्टलीय नमक कहते हैं। इसका रंग काला होता है। यही काला नमक कहलाता है। यह रासायनिक रूप से सोडियम सल्फाइड ही होता है। इसमें कुछ मात्रा में खनिज लवण भी पाए जाते हैं। काले नमक का उत्पादन सोडियम थायोसल्फेट के निर्माण के दौरान एक बायप्रोडक्ट के रूप में किया जाता है।
इस वजह से आती है सुगंध
इस नमक में सोडियम क्लोराइड पाया जाता है। यही कारण है कि इसमें सुगंध आती है। यह दिखने में काली चट्टान की तरह प्रतीत होता है, लेकिन पीसने के बाद यह गुलाबी रंग का हो जाता है। इसमें पाए जाने वाले आयरन और अन्य खनिजों के कारण इसका रंग गुलाबी होता है। इसे कई नामों से जाना जाता है, जैसे- ब्लैक साल्ट, पिंक साल्ट व रॉक साल्ट। सोडियम क्लोराइड के अलावा इसमें सल्फेट्स, सल्फाइड, आयरन, पोटैशियम क्लोराइड और मैग्नीशियम भी पाया जाता है। इसलिए इसे स्वास्थ्य के लिए लाभदायक माना जाता है। सबसे अधिक काला नमक का उपयोग दक्षिण एशिया में किया जाता है।
इस नमक के तीन प्रकार
बात करें काला नमक के प्रकारों की तो, यह तीन तरह का होता है। हिमालयन काला नमक, काला लावा नमक और रिचुअल काला नमक है। सबसे अधिक इसका उपयोग चाट, चटनी, रायता, चाट मसाला जैसे भारतीय व्यंजनों में किया जाता है। आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धिति के अनुसार इसकी तासीर ठंडी होती है। यह पाचन के रूप में काम में लिया जाता है। पेट की गैस तथा जलन जैसी समस्याओं में भी यह कारगर साबित होता है।