भगवान राम की पत्नी सीता माता को समर्पित सीता अम्मन मंदिर श्रीलंका में नुवारा एलिया की पहाड़ियों में स्थित है। यह एकमात्र मंदिर है, जो सम्पूर्ण विश्व में सीता माता को समर्पित है। यह स्थान श्रीलंका में रामायण से संबंधित सबसे महत्वपूर्ण स्थानों में से एक है। ऐसा माना जाता है कि लगभग हजारों वर्ष पूर्व रावण द्वारा अपहरण किए जाने के बाद सीता माता ने इसी स्थान पर समय व्यतीत किया था।
भक्त यह भी मानते है कि मंदिर के पास हनुमान जी के चरण दृष्टिगत होते हैं, ऐसे कुछ संकेत परिलक्षित होते हैं। यह मंदिर नुवारा एलिया की पहाड़ी ढलानों पर हरे-भरे उद्यान के बीच अवस्थित है। मंदिर के चारों ओर की मिट्टी का रंग काला है। इससे इस विश्वास को बल मिलता है कि भगवान हनुमान ने श्रीलंका छोड़ने से पहले इस क्षेत्र को जला दिया था।
मंदिर के समीप ही एक जलधारा है, जो पहाड़ी से नीचे की ओर बहती है। ऐसा मानते हैं कि इस जलधारा के माध्यम से यहां रहने के दौरान सीता माता की जरूरतें पूरी हुईं। लगभग एक सदी पहले, इस जलधारा में तीन मूर्तियां प्राप्त की गई थी, जिससे लोगों की आस्था को बल मिला और उन्हें विश्वास हो गया था कि उनके पूर्वज यकीनन उनकी पूजा किया करते थे।
वर्ष 1998 में कराया गया था मंदिर का निर्माण
इस मंदिर में मुख्य रूप से सीता माता की पूजा-अर्चना होती है। इस मंदिर में सीता माता की भव्य प्राण प्रतिमा प्रतिष्ठित है। यहां के तमिल भाषी लोग न हिंदी बोल पाते हैं और ना ही हिंदी समझ पाते हैं, किं तु फिर भी यहां हनुमान चालीसा पढ़ी व गुनगुनाई जाती है। साथ ही सीता माता को देवी के रूप में सम्मान दिया जाता है। सीता माता के इस एकमात्र भव्य मंदिर का निर्माण 1998 में हुआ। शांत, रमणीक ग्रामीण पृष्ठभूमि के इस क्षेत्र में झरने के निकट बने इस मंदिर की गोलाकार छत बहुरंगी पौराणिक चित्रों से समृद्ध है।
केलानी में भगवान राम और विभीषण की प्रतिमा
कोलंबो के पास केलानी में एक प्रतिमा है, जिसमें विजय के बाद राम को लंका का शासन विभीषण को सौंपते दिखाया गया है। इनके अलावा भी रामायण की कथा से जुड़े बहुत से स्थानों को श्रीलंका के पर्यटन मंत्रालय द्वारा चुना गया है। इनमें वह स्थान भी हैं, जहां रावण ने युद्ध की योजना बनाई थी।
युधागनापीटिया में हुआ राम-रावण युद्ध
नुवारा एलिया के उत्तर में माताले डिस्ट्रिक्ट है। यहां युधागनापीटिया नाम की जगह है, जहां राम और रावण के बीच युद्ध हुआ था। सिंहली मान्यताओं के मुताबिक, दुनुविला नामक जगह से राम ने रावण पर बाण चलाया, जिससे उसकी मौत हुई। इनके अलावा चिलाव में वह मंदिर है, जहां रावण वध के बाद राम ने पूजा की थी।
सीता झरना, जहां माता सीता करती थीं स्नान
इस मंदिर के पास एक झरना/ जल स्रोत है, जहां एक स्थल पर सीता जी स्नान करती थी। यहां के लोगों द्वारा बताया गया है कि झरने में एक स्थान ऐसा भी है, जहां का जल स्वाद रहित है। इसके बारे ये कथा प्रचलित है कि ऐसा सीता जी द्वारा दिए गए श्राप के कारण है।
इसके अलावा झरने के किनारे एक चट्टान है, जिसे ‘सीता साधना’ कहा जाता है। बताया जाता है कि नदी के किनारे लगभग एक शताब्दी पूर्व 3 मूर्तियां मिली थी, जिन्हें श्रीराम, सीता जी और लक्ष्मण जी के लंका युद्ध की मानकर इसी मंदिर में स्थापित कर दिया गया है। इससे ये प्रमाणित होता है कि स्थानीय श्रद्धालुओं द्वारा इन मूर्तियों की प्राचीनकाल से पूजा- अर्चना की जाती रही है।
चट्टानों पर पैरों के निशान
जलधारा के पास की चट्टानों पर अलग-अलग आकार के पैरों के निशान पाए गए हैं। यह इस बात से संबंधित हैं कि सीता माता को बचाने की कोशिश के समय भगवान हनुमान ने इन चट्टानों पर विश्राम किया था। पैरों के निशान के अलग-अलग आकार रामायण में वर्णित आकार बदलने की भगवान हनुमान की क्षमता से मेल खाते हैं। भक्तों की भारी भीड़ सीता जी के इस स्थान को देखने के लिए उमड़ती है। भक्तों के विश्वास और स्थान की प्राकृतिक सुंदरता के कारण यह स्थान श्रीलंका के शीर्ष पर्यटन स्थलों में अपनी जगह बना चुका है। इसे श्रीलंका सरकार ने सीता एलिया प्रोजेक्ट नाम दिया है।
वेरांगोट्टा में उतरा था लंकापति रावण का पुष्पक विमान
धार्मिक और पौराणिक मान्यता अनुसार रावण पुष्पक विमान पर सीता को हरकर लंका ले गया था। सिंहली बौद्ध मान्यता में भी ऐसे विमान का जिक्र है। रावण पुष्पक विमान लेकर उतरा, वह जगह वेरांगोट्टा को मानते हैं। मध्य श्रीलंका में नुवारा एलिया हिल स्टेशन के पूरब में माहियांगाना से वेरांगोट्टा करीब 10 किलोमीटर की दूरी पर है।
गूरुलुपोट्टा में रावण की पत्नी मंदोदरी का निवास
इसके बाद रावण सीता को गूरुलुपोट्टा ले गया, जिसे अब सीताकोटुवा के नाम से जाना जाता है। यहां रावण की धर्मपत्नी महारानी मंदोदरी का निवास था। माहियांगाना से सीताकोटुवा की दूरी करीब 10 किलोमीटर है। यह कैंडी जाने वाले रास्ते में पड़ता है। मान्यताओं के मुताबिक सीता को एक गुफा में रखा गया था, जो सीता एलिया नाम की जगह पर है।
राम मंदिर में लाया जा रहा है सीता एलिया से पत्थर
अयोध्या में भव्य राम मंदिर के निर्माण के लिए श्रीलंका के सीता एलिया के एक पत्थर को भगवान राम की जन्मस्थली लाया जाएगा। बताया जा रहा है कि इस पौराणिक स्थान के पत्थर का इस्तेमाल मंदिर के निर्माण में किया जाएगा।
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