Uttarakhand Tunnel Collapse: उत्तराखंड की सिलक्यारा सुरंग में पिछले 15 दिनों से फंसे 41 मजदूरों को बचाने के लिए चल रहा रेस्क्यू ऑपरेशन रविवार (26 नवंबर) को रुक गया है। पिछले तीन दिनों से उम्मीद थी कि रेस्क्यू ऑपरेशन अंतिम चरण में है और किसी भी वक्त मजदूरों को बाहर निकाला जा सकता है, लेकिन आखिरी 10 मीटर पाइप बिछाने का काम मुश्किल हो गया है। इसके चलते मजदूरों को निकालने का काम अटक गया है। इसका सबसे बड़ा कारण सुरंग के मलबे को मजदूरों तक पहुंचाने के लिए ड्रिलिंग के लिए इस्तेमाल की जा रही अमेरिकी निर्मित मशीन में खराबी है।
ऑगर मशीन से ड्रिलिंग
मजदूरों तक पानी पहुंचाने के लिए 46.9 मीटर तक 80 सेमी व्यास की पाइप बिछाई गई है। इसके अंदर ऑगर मशीन के ड्रिलिंग ब्लेड डालकर ड्रिलिंग की जा रही थी, जहां शुक्रवार की रात स्टील का जाल होने के कारण मशीन का ब्लेड फंस गया। अब इन हिस्सों को काटकर निकालने के लिए हैदराबाद से हवाई मार्ग से प्लाज्मा कटर मशीन मंगाई गई है।
सेना आगे मैनुअल ड्रिलिंग करेगी
समाचार एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक, अब सेना के जवान रेस्क्यू ऑपरेशन में मैनुअल ड्रिलिंग का काम करेंगे। बचाव अभियान को आगे बढ़ाने के लिए पाइप के अंदर से मशीन के हिस्से को पूरी तरह से हटाना जरूरी है। मजदूरों के निकलने के लिए रास्ता तैयार करने के लिए मलबे में हैंड ड्रिलिंग के जरिए पाइप बिछाना होगा।
पहाड़ से वर्टिकल ड्रिलिंग की जाएगी
इसके अलावा सुरंग के ऊपर पहाड़ी की चोटी पर वर्टिकल ड्रिलिंग के लिए एक ड्रिल मशीन भेजी गई है। भारतीय सेना के ‘कोर ऑफ इंजीनियर्स’ के समूह ‘मद्रास सैपर्स’ की एक इकाई बचाव कार्यों में सहायता के लिए रविवार को घटनास्थल पर पहुंची।
शुक्रवार रात से ड्रिलिंग रोकी
सिल्कयारा में निर्माणाधीन सुरंग में ‘ड्रिल’ करने के लिए इस्तेमाल की जा रही ऑगर मशीन के ब्लेड शुक्रवार रात मलबे में फंस गए, जिसके बाद अधिकारियों को अन्य विकल्पों पर विचार करना पड़ा. इसके चलते बचाव कार्य में कई दिन या हफ्ते और लगने की संभावना है। समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, मलबे के बचे 10 या 12 मीटर हिस्से में हाथ से ‘ड्रिलिंग’ की जाएगी या फिर शीर्ष से 86 मीटर नीचे ‘ड्रिलिंग’ की जाएगी।