नई दिल्ली। कई महीनों से चल रही तैयारियों के बाद देश की राजधानी दिल्ली में जी-20 सम्मेलन का समापन हो गया। जी-20 शिखर सम्मेलन में 20 देशों के प्रतिनिधित्व हिस्सा लिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में दो दिवसीय जी-20 समिट का भव्य आयोजन किया गया। इस सम्मलेन में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन, यूके के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक से लेकर विभिन्न देशों के राष्ट्राध्यक्ष और प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।
G-20 शिखर सम्मेलन के लिए दुनियाभर से भारत पहुंचे सभी विदेशी मेहमानों के लिए वीवीआईपी व्यवस्था की गई है। इस सम्मेलन में शामिल होने आए मेहमानों के लिए कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक लजीज व्यंजनों को परोसा गया। सभी विदेशी मेहमानों का भारतीय संस्कृति और परंपरा का पालन करते हुए अतिथि सत्कार व स्वागत किया गया।
जी-20 शिखर सम्मेलन में 20 देशों से शामिल होने के लिए आए विदेशी मेहमान जब वापस लौटे तो उन्हें भारतीय सांस्कृतिक परंपराओं के अनुकूल हस्तनिर्मित कलाकृति और उत्पाद उपहार में दिए गए।
विदेशी मेहमानों को भारत के जो उपहार दिए गए उनमें कश्मीर की केसर, दार्जिलिंग और नीलगिरि की चाय, अराकू कॉफी, सुंदरबन के शहद, कश्मीरी पश्मीना शॉल, जिगराना इत्र, खादी का दुपट्टा, सिक्कों का बक्सा, बनारसी सिल्क स्टोल, कश्मीरी पश्मीना स्टोल, असम का स्टोल, कांजीवरम का स्टोल, बनारसी रेशम का स्टोल और शहतूत रेशम स्टोल सहित अन्य उपहार शामिल हैं।
भारत के ये सभी उत्पाद अपनी अद्वितीय कारीगरी और गुणवत्ता के लिए दुनिया भर में पसंद किए जाते हैं। इन्हें कुशल कारीगरों के हाथों से सावधानीपूर्वक बनाया गया था और उनमें हमारे देश की अनूठी जैव-विविधता की झलक दिख रही थी।
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कश्मीर का केसर…
कश्मीर में पैदा होने वाला केसर दुनिया का सबसे विदेशी और महंगा मसाला है। सभी संस्कृतियों और सभ्यताओं में केसर को उसके अद्वितीय पाक और औषधीय महत्व के लिए जाना जाता है। कश्मीरी केसर विशिष्टता और असाधारण गुणवत्ता के लिए जाना जाता है। केसर एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर है और कई स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है। इसे विदेशों मेहमानों को उपहार में दिए गए।
दार्जिलिंग और नीलगिरि की चाय…
जी-20 शिखर सम्मेलन में आए सभी विदेशी मेहमानों को दार्जिलिंग और नीलगिरि की चाय उपहार में दिए गए। बता दें कि दार्जिलिंग और नीलगिरि चाय भारत की सबसे बेहतरीन चाय है। ये अपनी स्वाद के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध हैं। दार्जिलिंग चाय दुनिया की सबसे मूल्यवान चाय है। 3000-5000 फीट की ऊंचाई पर पश्चिम बंगाल की धुंध भरी पहाड़ियों पर स्थित झाड़ियों से केवल कोमल अंकुर (पत्ते) ही चुने जाते हैं। उसी तरह से नीलगिरि चाय दक्षिण भारत की सबसे शानदार पर्वत श्रृंखला से आती है। 1000-3000 फीट की ऊंचाई पर पहाड़ों के हरे-भरे इलाके के बीच इसकी खेती की जाती है।
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अराकू कॉफी
अराकू कॉफी सभी मेहमानों को उपहार में दिए गए। अराकू कॉफी दुनिया की पहली टेरोइर मैप्ड कॉफी है, जो आंध्र प्रदेश की अराकू घाटी में जैविक बागानों में उगाई जाती है। कॉफी के पौधों की खेती घाटी के किसानों द्वारा की जाती है। किसान के घर से पारंपरिक कॉफी पाउडर/बीन्स लिए जाते हैं। अराकू कॉफी अपनी अनूठी बनावट और अपने स्वाद के लिए जानी जाती है।
सुंदरबन का शहद
सुंरबदन का शहद भी विदेशी मेहमानों को उपहार में दिए गए। सुंदरबन में दुनिया का सबसे बड़ा मैंग्रोव वन है, जो बंगाल की खाड़ी में गंगा, ब्रह्मपुत्र और मेघना नदियों के संगम से बने डेल्टा पर स्थित है। सुंदरबन शहद का विशिष्ट और समृद्ध स्वाद क्षेत्र की जैव-विविधता को दर्शाता है। यह अन्य प्रकार के शहद की तुलना में कम चिपचिपा होता है। 100% प्राकृतिक और शुद्ध होने के अलावा, सुंदरबन शहद में फ्लेवोनोइड्स की मात्रा भी अधिक होती है और यह बहुमूल्य स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है।
कश्मीरी पश्मीना शॉल…
कश्मीरी पश्मीना शॉल अपने ताने-बाने के लिए जानी जाती है। कुशल कारीगर सदियों पुरानी प्रक्रियाओं का उपयोग करके अपने नाजुक रेशों को हाथ से घुमाते, बुनते और कढ़ाई करते हैं। यह काफी हल्का और गर्मी प्रदान करने वाला शॉल माना जाता है। यह सुंदरता और शिल्प कौशल का प्रतीक है। प्राचीन दरबारों में, पश्मीना का उपयोग पद और कुलीनता के संकेतक के रूप में किया जाता था। शिल्प कौशल का, विशिष्टता का, किंवदंती और शैली का मिश्रण है। मेहमानों को यह उपहार में दिए गया।
जिगराना इत्र…
जिगराना इत्र उत्तर प्रदेश के एक शहर, कन्नौज की खुशबू की उत्कृष्ट कृति है। कारीगर भोर में चमेली और गुलाब जैसे दुर्लभ फूलों को नाजुक ढंग से इकट्ठा करते हैं और उनसे जिगराना इत्र बनाए जाते हैं। एक सुगंधित इत्र कन्नौज की समृद्ध विरासत को दर्शाती है। प्राचीन बाजारों और शाही दरबारों में इस इत्र की खुशबू की चर्चा इतिहास में मिलती है। मेहमानों को जिगराना इत्र उपहार में दिए गए।
शीशम की लकड़ी का संदूक…
विदेशी मेहमानों को छोटे-छोटे ‘संदूक’ उपहार में दिए गए। परंपरागत रूप से यह ठोस पुरानी लकड़ी या धातु से बना एक मजबूत बक्सा होता है, जिसके शीर्ष पर एक ढक्कन होता है और हर तरफ अलंकरण होता है। उत्कृष्ट कारीगरी का प्रतीक होने के साथ-साथ यह भारतीय सांस्कृतिक और लोक कथाओं में एक विशेष स्थान रखता है। शीशम की लकड़ी से बने बक्से को पीतल की पट्टी से सजाया गया था।