Chaitra Navratri 2023 : नवरात्रि के चौथे दिन ऐसे करें मां कुष्मांडा की पूजा, दूर होंगे सभी रोग और दोष

Chaitra Navratri 2023 : चैत्र नवरात्रि के चौथे दिन कूष्मांडा की पूजा-अर्चना की जाती है, कहा जाता हैं कि जब संसार में चारों और अंधकार…

image 2023 03 24T161756.773 | Sach Bedhadak

Chaitra Navratri 2023 : चैत्र नवरात्रि के चौथे दिन कूष्मांडा की पूजा-अर्चना की जाती है, कहा जाता हैं कि जब संसार में चारों और अंधकार छाया हुआ था, तब मां कूष्मांडा ने ही अपनी मधुर मुस्कार से ब्रह्मांड की रचना की थी। मान्यता है कि नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्मांडा की पूजा-अर्चना करने वालों को रोगों से मुक्ति मिलती है, वहीं जातक के धन में बढ़ोतरी होती है। जानिए मां कूष्मांडा का भोग, पूजा विधि और शुभ रंग।

यह खबर भी पढ़ें:-पाकिस्तान में बसा है माता हिंगलाज का मंदिर, मुस्लिम भी करते हैं देवी की पूजा, यहां जाने से पहले लेनी पड़ती है 2 कसमें

image 2023 03 24T161715.388 | Sach Bedhadak

मां कूष्मांडा की स्वरूप और शुभ रंग

नवरात्रि के चौथे मां कूष्मांडा की पूजा-अर्चना की जाती है, सभी हाथों में मां कूष्मांडा अस्त्र-शस्त्र ले रखें है। मां दुर्गा की सवारी सिंह है। मां कूष्मांडा को भोग में मालपुआ चढ़ाया जाता है, कहा जाता है कि ऐसा करने से मां खुश होती है और अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करती है। मां कूष्मांडा को हरा रंग बहुत प्रिय है।

image 2023 03 24T162600.332 | Sach Bedhadak

मां कूष्मांडा की पूजा-विधि
नवरात्रि के चौथे दिन मां दुर्गा के चौथे स्वरूप की पूजा-अर्चना की जाती है, इस दिन सुबह जल्दी उठकर नाह-धोकर तैयार हो जाये और हरे रंग के वस्त्र पहने। माता को मेंहदी, चंदन, हरी चूड़ी, चढ़ाये।

मां कूष्मांडा मंत्र

कुष्मांडा : ऐं ह्री देव्यै नम:
वन्दे वांछित कामर्थे चन्द्रार्घकृत शेखराम्। सिंहरूढ़ा अष्टभुजा कूष्माण्डा यशस्वनीम्॥
ॐ कूष्माण्डायै नम:
सुरासम्पूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च। दधाना हस्तपद्माभ्यां कुष्मांडा शुभदास्तु मे।

मां कूष्मांडा की कहानी
नवरात्रि के चौथे दिन कूष्माण्डा देवी के स्वरूप की उपासना की जाती है। इस दिन साधक का मन ‘अनाहत’ चक्र में अवस्थित होता है। अतः इस दिन उसे अत्यंत पवित्र और अचंचल मन से कूष्माण्डा देवी के स्वरूप को ध्यान में रखकर पूजा-उपासना के कार्य में लगना चाहिए। कहा जाता है कि जब सृष्टि का अस्तित्व नहीं था, तब इन्हीं देवी ने ब्रह्मांड की रचना की थी। अतः ये ही सृष्टि की आदि-स्वरूपा, आदिशक्ति हैं। इनका निवास सूर्यमंडल के भीतर के लोक में है।

image 2023 03 24T161940.571 | Sach Bedhadak

वहाँ निवास कर सकने की क्षमता और शक्ति केवल इन्हीं में है। इनके शरीर की कांति और प्रभा भी सूर्य के समान ही दैदीप्यमान हैं। इनके तेज और प्रकाश से दसों दिशाएँ प्रकाशित हो रही हैं। ब्रह्मांड की सभी वस्तुओं और प्राणियों में अवस्थित तेज इन्हीं की छाया है। माँ की आठ भुजाएँ हैं। अतः ये अष्टभुजा देवी के नाम से भी विख्यात हैं। इनके सात हाथों में क्रमशः कमंडल, धनुष, बाण, कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र तथा गदा है। आठवें हाथ में सभी सिद्धियों और निधियों को देने वाली जपमाला है। इनका वाहन सिंह है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *