देश में 11% से अधिक लोग डायबिटीज… 36% लोग हाई बीपी से ग्रस्त

भारत में 11.4 प्रतिशत लोग मधुमेह (डायबिटीज) और 35.5 प्रतिशत लोग उच्च रक्तचाप से पीड़ित हैं। वहीं, 15.3 प्रतिशत लोग प्री- डायबिटीज की स्थिति में हैं।

image 2023 06 10T083035.586 | Sach Bedhadak

नई दिल्ली। भारत में 11.4 प्रतिशत लोग मधुमेह (डायबिटीज) और 35.5 प्रतिशत लोग उच्च रक्तचाप से पीड़ित हैं। वहीं, 15.3 प्रतिशत लोग प्री- डायबिटीज की स्थिति में हैं। लांसेट डायबिटीज एंड एंडोक्राइनोलॉजी पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन में यह बात सामने आई। देश में मधुमेह और गैर-संचारी रोगों (एनसीडी) पर हुए सबसे बड़े अध्ययन में आकलन किया गया है कि 2021 में भारत में 10.1 करोड़ लोग मधुमेह के शिकार थे।

वहीं 13.6 करोड़ लोग पूर्व मधुमेह (डायबिटीज से पहले के स्तर) की चपेट में थे और 31.5 करोड़ लोग उच्च रक्तचाप से ग्रस्त थे। मद्रास डायबिटीज रिसर्च फाउंडेशन (एमडीआरएफ) ने भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के साथ मिलकर यह अध्ययन किया, जिसे स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने वित्तपोषित किया है।  

सर्वाधिक मधुमेह रोगी गोवा में 

अध्ययन में यह भी पाया गया कि भारत में 28.6 प्रतिशत लोग सामान्य मोटापे से ग्रस्त हैं, वहीं 39.5 प्रतिशत लोग पेट (तोंद) के मोटापे से ग्रस्त हैं। अध्ययन में पाया गया कि 2017 में भारत में करीब 7.5 प्रतिशत लोगों को मधुमेह की समस्या थी। इसका मतलब हुआ कि तब से अब तक यह संख्या 50 प्रतिशत से अधिक बढ़ गई है। राज्यों की बात करें तो मधुमेह के सर्वाधिक मामले गोवा (26.4 प्रतिशत) में हैं, वहीं उत्तर प्रदेश में सबसे कम (4.8 प्रतिशत) मामले हैं। उच्च रक्तचाप के सबसे अधिक रोगी पंजाब में (51.8 प्रतिशत) हैं।

विशेषज्ञ ने ये बताए कारण

एमडीआरएफ की अध्यक्ष डॉ. आर एम अंजना ने कहा, ‘गैर-संचारी रोगों में तेजी से वृद्धि के लिए सर्वाधिक रूप से आहार, शारीरिक गतिविधियों और तनाव के स्तर जैसी जीवन शैलियों को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। अच्छी खबर यह है कि इस प्रवृत्ति को रोकने के लिए हस्तक्षेप किए जा सकते हैं। हमारे अध्ययन में भारत में स्वास्थ्य देखभाल की योजना और प्रावधान को लेकर अनेक निहितार्थनिकाले जा सकते हैं।’ 

31 राज्यों में 12 साल की गई स्टडी

यह अध्ययन 2008 से 2020 के बीच देश के 31 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में 1,13,043 लोगों पर किया गया जिनमें 33,537 शहरी और 79,506 ग्रामीण क्षेत्रों के निवासी थे। डॉ. मोहन डायबिटीज स्पेशिएलिटीज सेंटर के अध्यक्ष वी. मोहन ने कहा, ‘भारत में राज्य सरकारों की रुचि विशेष रूप से इन एनसीडी पर विस्तृत राज्यस्तरीय आंकड़ों में होगी, क्योंकि इससे वे एनसीडी को सफलतापूर्वक रोकने तथा उनकी जटिलताओं को संभालने के लिए साक्ष्य आधारित हस्तक्षेप विकसित कर सकेंगे।’ अध्ययन दल में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), नयी दिल्ली के अनुसंधानकर्ता भी शामिल थे।

ये खबर भी पढ़ें:-मुख्यमंत्री गहलोत का बड़ा ऐलान, समय पर मोबाइल नहीं मिल पाए तो खाते में आएगी फिक्स राशि

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *