वाशिंगटन। अवांछित, गैरजरूरी और आर्टिफिशियल लाइटिंग के बेतहाशा इस्तेमाल से दुनिया में प्रकाश प्रदूषण बढ़ा है। प्रकाश प्रदूषण रात में आसमान को चमका रहा है। इसकी वजह से तारे ‘गायब’ हो रहे हैं, यानी जिन आसमान में चमक बढ़ने की वजह से दिखने बंद हो गए हैं। स्टडी में बताया गया है कि 18 साल पहले एक आम इंसान या स्टार गेजर रात के समय आकाश में 250 रोशनी के छीटों या ऑब्जेक्ट्स को देख पाता था।
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अब यह संख्या सिमटकर 100 पर आ गई है। स्टडी में कहा गया है कि शहरों की लाइटें हर साल आसमान की चमक में 9.6 फीसदी की बढ़ोतरी कर रही हैं। शहरी वातावरण में जिस तेजी से तारे दिखाई देना बंद हो रहे हैं, वह बेहद नाटकीय है।
स्टडी कहती है कि दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में आसमान अलग-अलग दर से चमक रहा है। यूरोप में आसमान के चमकने की दर 6.5 फीसदी प्रति वर्ष है, जबकि उत्तरी अमेरिका में प्रकाश प्रदषूण के कारण आसमान की चमक हर साल 10.4 फीसदी बढ़ जाती है।
स्टडी कहती है कि प्रकाश प्रदषूण में बढ़ोतरी चिंता की बात है। इससे ना सिर्फ इंसान, बल्कि उन क्षेत्राें में रहने वाले जानवर भी प्रभावित हो रहे हैं। आकाश रात में कितना चमकता है, इसे पहले कभी मापा नहीं गया। हालांकि सैटेलाइट से मिले आंकड़ों के आधार पर कुछ अनुमान मौजूद हैं। स्टडी का एक पहलू यह भी है कि रिसर्चर्स के पास विकासशील देशों का पर्याप्त डेटा नहीं था, जहां यह बदलाव और तेजी से हो रहा है।
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