पंकज सोनी । जयपुर: महाराष्ट्र में सियासी संकट के बीच विधानसभा अध्यक्ष की भूमिका महत्वपूर्ण नजर आ रही है। देश में अक्सर बहुमत को लेकर उपजे सियासी संकट का हल विधानसभा के फ्लोर पर ही होता है। इसके पीछे कारण संविधान ने सत्र के दौरान विधानसभा अध्यक्ष को असीमित शक्तियां दी हुई हैं। इसी कारण राजस्थान में 2020 में कांग्रेस में विधायकों की टूट के बाद घमासान के बाद गहलोत सरकार ने सियासी संकट पर लगाम लगाने के लिए नया फाॅर्मूला इजाद कर लिया है।
सरकार की तरफ से एक बार राज्यपाल से सत्र आहूत करवाने के बाद उसका पूरे साल ही सत्रावसान नहीं किया जाता है। इस नई परंपरा के बनने से विधानसभा अध्यक्ष पास अधिकार होते हैं कि वो जब चाहे विधानसभा की बैठक को दुबारा बुला सकता है। विधानसभा सत्र का जारी रहना सियासी संकट में सरकार के लिए ढाल का काम करता है। राजस्थान में कांग्रेस सरकार इसी ढाल का उपयोग कर रही है। राजस्थान से पहले दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने भी सियासी संकट के प्रिकॉशन में विधानसभा सत्र जारी रखने का फाॅर्मूला अपना रखा है।
पायलट कैंप की बगावत के समय की जुलाई 2020 में सरकार 31 जुलाई 2020 तक विधानसभा सत्र बुलाना चाहती थी। राज्यपाल ने 21 दिन का नोटिस देने या अचानक सत्र बुलाने के पीछे कारण बताने की अनिवार्यता कहकर मंजूरी देने से इनकार कर दिया था। इस पर खूब विवाद हुआ, मुख्यमंत्री के साथ कांग्रेस विधायकों ने राजभवन में धरना दिया, नारेबाजी की। बाद में विवाद सुलझा, 14 अगस्त 2020 से राज्यपाल ने विधानसभा की बैठक बुलाने की मंजूरी दी। इस घटना के बाद सरकार ने विधानसभा सत्र बुलाने के मामले में राज्यपाल को बायपास करने का पैटर्न अपना लिया। इस सत्र का सत्रावसान 21 जनवरी, 2021 को किया गया था। गहलोत सरकार ने विधानसभा अध्यक्ष के जरिए ही इस बगावत से पार पाई थी।
सियासी संकट में यदि मामला बहुमत के आंकड़े या विधायकों की सदस्यता से जुड़े सवाल तक पहुंचता है तो विधानसभा के जारी सत्र में यह सभी अधिकार विधानसभा अध्यक्ष के पास सुरक्षित रहते हैं। विधायकों को तलब करने का अधिकार भी अध्यक्ष के पास रहता है। बहुमत पर फैसला करने का भी अधिकार स्पीकर का होता है। लेकिन सत्रावसान होने की स्थिति में विधानसभा की भूमिका राज्यपाल की मंशा पर सीमित हो जाती है।
गहलोत सरकार ने इसके बाद 10 फरवरी 2021 को विधानसभा का बजट सत्र राज्यपाल की अनुमति से बुलाया जो 30 दिसंबर तक जारी रहा। यानि विधानसभा का यह सत्र करीब 10 माह से भी ज्यादा चला। इसके बाद सरकार ने 9 फरवरी,2022 को सातवां बजट सत्र बुलाया जो अभी तक जारी है।