बेधड़क।जयपुर: प्रदेश में इस बार गर्मियों में पानी की भारी किल्लत होने की संभावना बन गई है। पिछले साल मानसून की स्थिति विकट होने से मुख्य रूप से जयपुर और जोधपुर संभाग में पेयजल और सिंचाई के काम आने वाले बांधों में 40 से 42 फीसदी पानी ही आ पाया था।
जल संसाधन विभाग की ओर से जारी रिपोर्ट पर नजर डालें तो प्रदेश में जयपुर और जोधपुर सहित बीस ऐसे जिले हैं, जहां पर बांधों में पानी की आवक सामान्य या उससे कम रही है। प्रदेश के 13 जिलों में सामान्य से अधिक पानी आया है। इसको देखते हुए जलदाय विभाग की ओर से कंटीजेंसी प्लान तैयार कर जल परिवहन, नलकूप खोदने सहित विभिन्न कार्य शुरू कर दिए गए हैं।
प्रदेश में राजधानी जयपुर को छोड़ दिया जाए तो अधिकांश जिलों में पानी की सप्लाई दो से चार दिन में हो रही है। मुख्य रूप से पश्चिमी राजस्थान में हालात बदतर होने जा रहे हैं। राजधानी के आस-पास के क्षेत्र की बात करें तो दौसा, भीलवाड़ा, पाली सहित विभिन्न क्षेत्रों में दो से तीन दिन में पानी की सप्लाई हो रही है।
जल संसाधन विभाग की रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में 22 बड़े बांधों मेें से नौ प्रमुख बांधों मेंं पानी पचास फीसदी या उससे कम रहा है। इन में जयपुर सहित विभिन्न जिलों को पेयजल सप्लाई करने वाले बीसलपुर बांध प्रमुख है। यहां पर करीब 50 फीसदी ही पानी की आवक मानसून के दौरान हुई है। इसके अलावा दौसा का मोरल और जयपुर जिले का छापरवाडा बांध में भी करीब इतना ही पानी आया है। अन्य बांधों में टोंक में टोरड़ी, जयपुर में रामगढ़ और कालख, भरतपुर में सिकरी, पाली में जवाई और सरदार समंद, भीलवाड़ा में मेज और राजसमंद में राजसमंद बांध में फिलहाल रीते पड़े हैं।
जानकारी के अनुसार, पिछले साल बीसलपुर में निर्धारित क्षमता के मुकाबले करीब पचास फीसदी ही पानी की आवक हुई है। इसके कारण कई बार जलदाय विभाग की ओर से इसकी सप्लाई में कटौती भी की गई है। वर्तमान हालात पर नजर डालें तो बीसलपुर में फिलहाल दो माह का पानी ही रह गया है।ऐसे में जून के अंत तक पेयजल सप्लाई की स्थिति विकट होने वाली है।
प्रदेश में 426 छोटे बांधों में भी औसतन 40 फीसदी पानी ही आया है। इसमें जयपुर संभाग में कुल बांधों में करीब 43 फीसदी से अधिक पानी आया है। हालांकि, दौसा, झुंझुनूं, सीकर में दस फीसदी से कम, अलवर, जयपुर में बीस फीसदी से कम, अजमेर में पच्चीस फीसदी से अधिक और भरतपुर, करौली, सवाईमाधोपुर, टोंक में पचास फीसदी से अधिक पानी आया है। अन्य में जोधपुर संभाग में आठ फीसदी, कोेेटा संभाग में 95 फीसदी, उदयपुर संभाग में पचास फीसदी से अधिक पानी की आवक हुई है।
प्रदेश में भूजल स्तर की बात करें तो फिलहाल 237 ब्लॉक की स्थिति विकट है। इनमें अति दोहन के कारण पानी अपने निर्धारित स्तर से काफी नीचे पहुंच गया है। वहीं, राज्य सरकार की ओर से अब नलकूप खोदने के नियमों में शिथिलता दिए जाने से गर्मियों में भूजल के अत्यधिक दोहन की संभावनाएं प्रबल हो गई है।
पीएचईडी की ओर से गर्मियों में जयपुर शहर, बगरू, चाकसू, शाहपुरा, मनोहरपुर, विराटनगर और कोटपूतली के विशिष्ट क्षेत्रों में एक अप्रैल से 31 अगस्त तक जल परिवहन के लिए 652.70 लाख स्वीकृत किए हैं। इनमें से बगरू, विराटनगर और जयपुर में 152 से 855 टैंकर ट्रिप प्रतिदिन जल परिवहन कर लोगों को पेयजल आपूर्ति की जा रही है। जयपुर जिले में स्वीकृत 40 हैंडपम्प में से 38 की खुदाई पूरी कर 33 की कमिश्निंग और 443 नलकूपों की स्वीकृति के विरुद्ध 350 की खुदाई करते हुए 278 नलकूप के कार्य पूरे कर लिए गए हैं।
पीएचईडी में पेयजल की सम्भावित अतिरिक्त मांग को देखते हुए व्यापक बंदोबस्त किए जा रहे हैं। इसी सिलसिले में सभी कलक्टर्स को आकस्मिक तौर पर 50 लाख रुपए तक के कार्य कराने के लिए अधिकृत किया गया है।