शरद शर्मा । जयपुर: बिजली की खरीद और बेचान के कार्य में लगी ऊर्जा विकास निगम ने पिछले वित्तीय वर्ष में राज्य सरकार को करीब 270 करोड़ का नुकसान पहुंचा दिया है। निगम ने अप्रैल से दिसंबर 2021 के बीच उपलब्धता बढ़ाने के नाम पर महंगी दरों पर बिजली खरीदी। यही नहीं, इन्हीं महीनों में बिजली की अधिकता दिखाते हुए सस्ती दरों पर बिजली का बेचान भी कर दिया।
ऊर्जा विकास निगम ने समान माह में बिजली की अधिकता दिखाते हुए बेची गई औसत दर 3.20 रुपए प्रति यूनिट थी, जो कि खरीदी गई बिजली की औसत दर 4.52 रुपए प्रति यूनिट से करीब 1.32 रुपए प्रति यूनिट कम रही। इसके कारण विद्युत कंपनियों को करीब 270 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ।
राजस्थान ऊर्जा विकास निगम की ओर से प्रदेश में बिजली की उपलब्धता कम होने पर अप्रैल से दिसंबर माह के बीच करीब 333.58 करोड़ यूनिट से अधिक बिजली एनर्जी एक्सचेंज के माध्यम से खरीद की। खरीद पर निगम ने 1506 करोड़ से अधिक की राशि व्यय की। खरीद की औसत दर 4.52 रुपए प्रति यूनिट रही।
राजस्थान ऊर्जा विकास निगम की ओर से पिछले साल अप्रैल से दिसंबर माह के दौरान प्रदेश में बिजली की अधिकता दिखाते हुए करीब 210 करोड़ यूनिट से अधिक बिजली एनर्जी एक्सचेंज के माध्यम से बेची। इस बिजली को 3.20 रुपए प्रति यूनिट की औसत दर से बेचा गया और इससे निगम को 675 करोड़ रुपए प्राप्त हुए।
निगम की ओर से जारी सूची को देखा जाए तो अगस्त में 77.69 करोड़ यूनिट बिजली 6.23 रुपए प्रति यूनिट की दर से खरीदी गई। वहीं, इसी माह में 14.98 करोड़ यूनिट बिजली 3.13 रुपए प्रति यूनिट की दर से बेची गई। इसी प्रकार अक्टूबर माह में 28.95 करोड़ यूनिट बिजली 7.35 रुपए प्रति यूनिट की दर से खरीदी गई। वहीं इसी माह में 19.44 करोड़ यूनिट बिजली 4.16 की दर से बेच दी। इन दो माह में ही बिजली खरीद और बेचान में करीब सौ करोड़ रुपए से अधिक का नुकसान हुआ है। गौरतलब है इन दोनों महीनों में जरूरत बताकर ज्यादा बिजली की खरीद की गई थी।
ऊर्जा विकास निगम में एनर्जी एक्सचेंज के लिए कोई प्लानिंग नहीं है। इस मिस मैनेजमेंट के कारण लगातार नुकसान हो रहा है। साथ ही, इस प्रकार के मामलों में भ्रष्टाचार भी होता है, महंगी बिजली की खरीद होती और फिर बेचते समय बिजली की दर कम हो जाती है।
डी.पी. चिरानियां, सेवानिवृत्त मुख्य अभियंता, ऊर्जा विभाग।
बिजली की उपलब्धता बढ़ाने के लिए महंगी बिजली खरीदी जाती है और अधिक होने पर बेची जाती है। कई बार ग्रिड को बचाने के लिए सस्ती बिजली बेची जाती है। वैसेे दिन में बिजली महंगी और रात में सस्ती हो जाती है।
मुकेश बंसल, एसई, राजस्थान ऊर्जा विकास निगम