RU की ग्लोबल रैंकिंग एक साल में गिरी 82 पायदान!

राजस्थान यूनिवर्सिटी की साख गिरती जा रही है। इसका सबसे बड़ा कारण इसकी लगातार गिरती जा रही रैंकिंग है।

image 2023 05 23T091914.334 | Sach Bedhadak

(श्रवण भाटी): जयपुर। राजस्थान यूनिवर्सिटी की साख गिरती जा रही है। इसका सबसे बड़ा कारण इसकी लगातार गिरती जा रही रैंकिंग है। एक साल में ही यूनिवर्सिटी की ग्लोबल रैंकिग 82 पाएदान तथा नेशनल रैंकिंग 5 पाएदान नीचे आ गई। उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार पिछले साल राजस्थान यूनिवर्सिटी की ग्लोबल रैंक 1817 और नेशनल रैंक 53 थी जो गिरकर क्रमश: 1899 व 58 रह गई। लगातार गिर रहीं रैंकिंग का कारण विश्वविद्यालय में कम होते जा रहे शोध को माना जा रहा है। राजस्थान यूनिवर्सिटी में लगातार शोध कार्य गिर रहे हैं।

एक तरफ केंद्र सरकार और यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन लगातार शोध बढ़ाने को लेकर नित नई पॉलिसी बना रही हैं और साल में दो बार पात्रता परीक्षा आयोजित करवा रही हैं। यूनिवर्सिटी में शोध के हालत सुधरे भी तो कैसे सुधरे, जब यूनिवर्सिटी 3 साल से प्रवेश परीक्षा भी आयोजित नहीं कर पा रही है। ऐसे में जब शोध में प्रवेश ही नहीं होंगे तो शोध कार्य कैसे होंगे। जब शोध कार्य ही नहीं होंगे तो रैंकिंग सुधरेगी तो कैसे सुधरेगी।

Rajasthan University : इन विषयों में बंद हुई पीएचडी 

सत्र 2017 की एमपेट परीक्षा में जहां 51 विषय में पीएचडी होती थी, वहीं अब सत्र 19-20 में घट कर केवल 38 सीटों पर ही रह गई। इन 38 विषयों में भी कई  विषय में बंद कर दी गई। 19- 20 की एक साथ हुई परीक्षा में एजुकेशन, गांधी स्टडीज, जेंडर स्टडीज में सीट नहीं मिल पाई। वहीं अब शोध गाइड की उम्र 60 साल से 57 साल करने से यूनिवर्सिटी को कई सीटों का नुकसान उठाना पड़ेगा। वहीं, कई वर्षों से प्रोफेसर के पदों पर भर्ती नहीं होने से कई शोध सीटों का नुकसान झेलना पड़ रहा है।

7 साल में हुई केवल प्रवेश 4 परीक्षा

विश्वविद्यालय में पीएचडी और एमफिल में प्रवेश के लिए आयोजित होने वाली एमपेट परीक्षा 7 साल में के वल 4 बार ही हो पाई। पिछले तीन सालों से तो प्रवेश परीक्षा भी नहीं हुई। यूनिवर्सिटी ने 2016, 2017, 2018, 2019-20 में परीक्षा आयोजित करवाई थी। सत्र 2018 में प्रवेश परीक्षा दो फेज में हुई थी। 2020 का एंट्रेंस टेस्ट दिसंबर 2021 को हुआ था। तीन साल बाद भी परीक्षा नहीं हुई। 2023 की एमपेट परीक्षा भी सिडिंकेंट मीटिंग नहीं होने से नहीं हो पाई। परीक्षा में साक्षात्कार जोड़ने की वजह से हंगामे के बाद विज्ञप्ति निकलने के बाद भी स्थगित हो गई।

ये कहना है

शोधार्थी गोविंद मीना ने कहा कि शोध कार्य के लिए यूनिवर्सिटी प्रशासन द्वारा प्रोफेसर और असिस्टें प्रोफेसर के रिक्त पदों पर विज्ञप्ति जारी की जाए, ताकि सीटों में भी बढ़ोतरी हो सके। समय पर परीक्षा करवाकर नए शोधार्थियों को रिसर्च करने के अवसर देना चाहिए। शोध छात्र संघ अध्यक्ष राम स्वरूप ओला ने बताया कि विवि प्रशसन की आपसी लड़ाई स्टूडेंट्स पर भारी पड़ रही है। दो बार सिडिंकेट बैठक स्थगित कर दी गई, जिसमें छात्र हितों और एमपेट को लेकर फैसला होना था। विवि प्रशासन की उदासीन रवैये से लगातार रैंकिंग गिर रहीं हैं। विवि के फैकल्टी में राजनीतिकरण से शिक्षा का स्तर लगातार गिर रहा है। वहीं, शोधार्थी शिवराज ने कहा कि परीक्षा का आयोजन नहीं होने से जेआरएफ फैलोशिप का समय खत्म होता जा रहा है। प्राइवेट इंस्टिट्यूट से पीएचडी करने पर भरी भरकम फीस से प्रवेश लेना पड़ रहा है।

यह रही सीटों की स्थिति 

वर्ष                एमफिल   पीएचडी          टीचर्स पीएचडी सीट 

2016             369        387                – 

2017             245        333               – 

2018 फेज 1    0           198 (एमफिल) 319 

2018 फेज 2   103        131                – 

2019-20        248        326 354        – 

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