‘मेरा या मंत्री जी का इस्तीफा ले लो’… राजेंद्र राठौड़ ने कहा- वीरांगनाओं का चरित्र हनन करते शर्म नहीं आती आपको

Rajasthan Assembly Session : वीरांगनाओं और किरोड़ी मीणा के मुद्दे पर सदन में जमकर हंगामा हुआ। इस बीच राजेंद्र राठौड़ ने वीरांगनाओं का मुद्दा उठाया…

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Rajasthan Assembly Session : वीरांगनाओं और किरोड़ी मीणा के मुद्दे पर सदन में जमकर हंगामा हुआ। इस बीच राजेंद्र राठौड़ ने वीरांगनाओं का मुद्दा उठाया और शांति धारीवाल के जवाब पर तथ्यात्मक रिपोर्ट पेश की। राठौड़ ने सदन में यह तक कह दिया कि अगर मैंने इसमें से एक भी तथ्य गलत बताया हो तो आप मेरा त्यागपत्र ले लें। साथ ही यह भी कहा कि वीरांगनाओं का इस तरह का चरित्र हनन किसी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। दरअसल मंत्री शांति धारीवाल वीरांगना मंजू बाला को लेकर एक विवादित बयान दे दिया जिसमें उन्होंने कहा था कि वे नाते गई थीं।

सदन में किरोड़ी मीणा को आतंकवादी कैसे कहा…

राठौड़ ने तथ्य दिखाते हुए कहा कि मंत्री जी ने इस मामले में तीन एफआईआर दर्ज कराने की बात कही, किरोड़ी लाल मीणा के आंदोलन की बात कही, भारतीय जनता पार्टी के आंदोलन की बात कही, उसका मतलब क्या है? सवाल इस बात का है कि जिन्होंने अपने जीवन का सर्वोच्च बलिदान कर दिया उनकी वीरांगनाओं को राजस्थान के अंदर विधानसभा का दरवाजा खटखटाना पड़ा। मैं उम्मीद करता था कि राजस्थान की वीरांगनाओं यह सोच रही थी कि मंत्री जब उत्तर देंगे तो यह सिद्ध करने की कोशिश नहीं करेंगे कि डॉक्टर किरोड़ी लाल मीणा आतंकवादी हैं। यह कहने की कोशिश करेंगे कि उन वीरांगनाओं को जो आज आपकी नजरबंद कैद में हैं, जो 6 दिन तक राजभवन में सचिन पायलट के घर के बाहर आमरण अनशन पर बैठी रहीं, जिन वीरांगना को मुख्यमंत्री से सिर्फ 500 मीटर दूर होने पर भी उनसे मिलने की अनुमति नहीं दी गई और 500 किलोमीटर की दूर से वीरांगनाओं के दल को उनसे मिलने के लिए बुलाया गया तो बताइए क्या यह सही है?

वीरांगनाओं से वादे-घोषणा करने वाले सभी मंत्रियों की दी रिपोर्ट

राजेंद्र राठौड़ ने वह तथ्य रखा जिसमें राजस्थान सरकार के मंत्री, विधायक वीरांगनाओं के घर जाकर शहीदों की मूर्ति लगाने, कॉलेज स्कूल का नाम पर शहीदों के नाम करने की घोषणा की थी। राजेंद्र राठौड़ ने उसका वीडियो भी सदन में दिखाया। राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि पशुपालन मंत्री लालचंद कटारिया, प्रताप सिंह खाचरियावास ने शहीदों के परिवार में जाकर कहा था कि परिवार जिस किसी को भी कह देगा उसे हम नौकरी दे देंगे। ममता भूपेश और टीकाराम जूली भी गए थे जिन्होंने कहा था कि शहीदों के भाई को नौकरी देंगे।

34 में से 31 वीरांगनाओं को नौकरी तक नहीं मिली

राठौड़ ने एक रिपोर्ट पेश करते हुए दिखाया कि ये सवाल है कोटा से कि 3 साल में कितने शहीदों की शहादत हुई, तो कोटा के मंत्री ने कहा कि 34… लेकिन आपने अपने ही उत्तर में कहा कि इन 34 में से 28 मामले ऐसे हैं जिनमें शहीदों के आश्रितों को अनुकंपा पर नियुक्ति नहीं मिली है। इनमें से 11 मामले ऐसे हैं जिनमें 45 लाख की सहायता जिलों के कलेक्टर के पास लंबित है। आपके खुद के उत्तर है ये,मेरे नहीं हैं। इसीमें 34 में से 28 मामलों में शहीदों के नाम के स्कूल और कॉलेजों के नामकरण अभी नहीं हुआ है मैं इसमें सियासत करना नहीं चाहता।

राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि मंत्री जी और मुख्यमंत्री जी कहते हैं कि हमने देश का सबसे अच्छा पैकेज वीरांगनाओं को दिया है। एक रिपोर्ट को जारी करते हुए उन्होंने कहा कि 34 में से 31 वीरांगनाओं को अभी तक नौकरी नहीं मिली है, स्कूलों का नामकरण शहीदों के नाम पर नहीं हुआ है और तो और गृह राज्य मंत्री जब वहां पर गए तो उन्होंने यह कहा कि पुलवामा के अंदर तो हादसा हुआ था शहीद नहीं हुए थे। अगर इसमें एक भी बात ऐसी है जो मैं गलत कह रहा हूं तो मैं अभी त्यागपत्र देने को तैयार हूं।

जिन वीरांगनाओं को मारा-पीटा उनका नाम क्यों नहीं लिया

राजेंद्र राठौड़ ने सभापति सीपी जोशी से कहा कि यह सवाल संवेदना का है आपका खुद का वीडियो चला कर दिखा दूं कि आपने खुद यह क्यों कहा कि आप वीरांगनाओं के परिवार में से किसी को भी चाहेंगे उसको नौकरी दे देंगे लेकिन आपने सारी शिकायतों में सिर्फ किरोड़ी लाल का नाम लिया है, आपने उन वीरांगनाओं का नाम क्यों नहीं लिया जिन्हें आप ने मारा है, पीटा है क्या आप हमें डराना चाहते हैं धमकाना चाहते हैं।

मंत्रियों ने खुद ही कैसे सार्वजनिक घोषणा की

राठौड़ ने कहा कि आपका कहना है कि आर्टिकल 164 के मुताबिक कलेक्टिव रिस्पांसिबिलिटी से काम किया जाता है। तो फिर इनके मंत्रियों ने खुद कैसे कह दिया कि परिवार के लोग जिसको चाहेंगे उसे नौकरी मिलेगी, जब सरकार के ये नियमों में ही नहीं है तो आप के मंत्रियों ने यह सार्वजनिक रूप से घोषणा की कैसे। मैंने तो इसकी वीडियो तक सदन में दिखा दिए हैं। राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि यह सर्वोच्च सदन है। एक वीरांगना के लिए यह कह देना कि वह किसके नाते चलेगी किसके नाते नहीं चलेगी, आप मेरा त्यागपत्र ले लें, आप बताइये कि आपके पास कौन सा प्रमाण पत्र हैकि वह नाते चलेगी… आपको थोड़ी बहुत शर्म है या नहीं। वीरांगनाओं का इस तरह का चरित्र हनन जरा भी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

धारीवाल ने कहा, वीरांगना देवर के नाते चली गई

बता दें कि शांति धारीवाल ने वीरांगना को लेकर कहा था कि भाजपा के लोगों ने इन्हें सिखाकर भेजा है। धारीवाल ने यह भी कहा कि सभी वीरांगनाओं को उनका अधिकार दिया गया है लेकिन अभी अजीब तमाशा हो रहा है। महिला का देवर पहले से ही शादीशुदा है, उसके दो बच्चे भी हैं। महिला उसके नाते चली गई। अब कहती है कि मेरे देवर को नौकरी दे दो, यह क्या तमाशा है, ऐसा कभी हुआ है क्या, नियम के खिलाफ किसी को नौकरी मिली है क्या।

सदन की कार्यवाही से डिलीट किए गए आपत्तिजनक शब्द

धारीवाल के इन शब्दों को लेकर सदन में जबरदस्त हंगामा शुरू हो गया था, इसके चलते सदन की कार्यवाही को 10 मिनट के लिए स्थगित भी कर दिया था। जब कार्यवाही दोबारा शुरू हुई तो फिर से भाजपा ने हंगामा बरपाना शुरू कर दिया। दोबारा कार्यवाही शुरू होने के बाद करीब डेढ़ घंटे तक यूं ही हंगामा चलता रहा और नारेबाजी होती रही। इसके बाद स्पीकर सीपी जोशी ने सदन में आकर जानकारी दी कि चर्चा के दौरान जो आपत्तिजनक शब्द थे उन्हें कार्यवाही से हटा दिया गया है। जिसमें ‘वीरांगना के नाते जाने’ शब्द ‘किरोड़ी लाल मीणा को आतंकित’ कहने वाले शब्द और विधायक मदन दिलावर के वीरांगनाओं से मारपीट करने वाले को ‘देशद्रोही’ कहने वाला शब्द शामिल है।

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