कर्नाटक की प्रचंड जीत से निकलेगा राजस्थान में रिपीट का रास्ता! गहलोत ने बनाई ये रणनीति

सीएम अशोक गहलोत ने हाल में कहा कि ओबीसी की जनसंख्या लगातार बढ़ रही है और हम चाहते हैं कि उनके आरक्षण को नए सिरे से देखा जाए.

Ashok Gehlot | Sach Bedhadak

जयपुर: राजस्थान विधानसभा चुनावों के लिए बीजेपी और कांग्रेस की जोर आजमाइश तेज हो गई है जहां बीजेपी भ्रष्टाचार को बड़ा मुद्दा बनाने जा रही है वहीं कांग्रेस कर्नाटक चुनावों में जीत के बाद एक खास तरह की रणनीति पर आगे बढ़ती हुई दिख रही है. कर्नाटक में जहां ओबीसी समुदाय ने कांग्रेस की सत्ता में वापसी का रास्ता आसान किया जिसके बाद अब राजस्थान में ओबीसी वोटबैंक को लेकर सुगबुगाहट तेज होने लग गई है. सीएम अशोक गहलोत ने उदयपुर दौरे पर जातिगत जनगणना करवाने के संकेत दिए हैं. वहीं इससे पहले ओबीसी आरक्षण को 21 से बढ़ाकर 27 प्रतिशत करने की दिशा में भी सकारात्मक रुख दिखाया.

सीएम ने हाल में राजीव गांधी की पुण्यतिथि के मौके पर कहा कि ओबीसी की जनसंख्या लगातार बढ़ रही है और हम चाहते हैं कि उनके आरक्षण को नए सिरे से देखा जाए. गहलोत ने कहा कि हम ओबीसी-एससी और एसटी आरक्षण का ओबीसी कमीशन के रिव्यू करवाएंगे. वहीं गहलोत ने जातिगत जनगणना को लेकर भी पीएम मोदी को पत्र लिखा है जिसके बाद माना जा रहा है कि जिस मसले पर बीजेपी केंद्र स्तर पर पशोपेश में फंसी थी गहलोत ने वहीं गेंद उनके पाले में डाल दी है.

मालूम हो कि बीते दिनों राजस्थान में कई समाजों और जातियों की महापंचायत और समागम हुए थे जहां अलग-अलग जातियों ने जातिगत जनगणना करने के साथ ही समाज की मांगों पर सुर तेज किए थे. इधर कर्नाटक चुनावों के दौरान राहुल गांधी ने ओबीसी आरक्षण के मुद्दे को हवा देते हुए जातिगत जनगणना के आंकड़े छुपाने को ओबीसी अपमान से जोड़ा था. हालांकि बीजेपी ने मोदी सरनेम मामले में राहुल के बयान के बाद ओबीसी अपमान का मुद्दा बनाया था लेकिन चुनावों में उसका असर कम देखने को मिला.

कांग्रेस का ओबीसी कार्ड!

दरअसल राजस्थान में 25 लोकसभा सीटें हैं जहां 11 सांसद ओबीसी समाज से हैं. वहीं 200 विधानसभा सीटों को देखा जाए तो यहां करीब 30 फीसदी विधायक ओबीसी के हैं. इसके अलावा वोटबैंक के लिहाज से ओबीसी नतीजों को काफी प्रभावित करता है जहां प्रदेश में ओबीसी की आबादी करीब 55 फीसदी से अधिक है. वहीं ओबीसी वोटर्स राजस्थान के हर जिलों में फैले हुए हैं जो कई सीटों पर निर्णायक भूमिका में होते हैं.

बता दें कि कई अन्य राजयों के चुनाव परिणाम से पता चलता है कि जातिगत जनगणना का मुद्दा हावी होने पर उस राजनीतिक दल को फायदा मिलता है. हालांकि जातिगत जनगणना के मसले पर बीजेपी किनारा करती रही है लेकिन अब कांग्रेस की इस बदली रणनीति के सामने बीजेपी को अपनी रणनीति में बदलाव करना पड़ेगा.

चुनावों से पहले सोशल इंजीनियरिंग

गौरतलब है कि राजस्थान में वर्तमान में सरकारी नौकरियों में ओबीसी के लिए 21 प्रतिशत आरक्षण दिया जा रहा है जिसको बढ़ाकर 27 प्रतिशत करने की मांग काफी समय से की जा रही है. वहीं गहलोत ने अब ओबीसी कमीशन से रिव्यू करवाने को लेकर अपना दांव चल दिया है जिसके बाद देखना होगा कि चुनावों तक इस मुद्दे को कांग्रेस किस तरह भुनाती है.

दरअसल राजस्थान सरकार इस बार चुनावों से पहले जन कल्याणकारी योजनाओं पर फोकस कर रही है जहां महंगाई राहत कैंप लगाए जा रहे हैं लेकिन सरकारी योजनाओं के अलावा जातिगत समीकरणों को साधते हुए सोशल इंजीनियरिंग करना भी उतना ही अहम है, ऐसे में राजस्थान में कांग्रेस अब कर्नाटक के रास्ते आगे की रणनीति तैय़ार कर सकती है.

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