राइट टू हेल्थ बिल के विरोध में आर-पार की लड़ाई, परिवार संग जयपुर कूच करेंगे प्राइवेट डॉक्टर

राजस्थान में राइट टू हेल्थ बिल के विरोध में प्रदेश के सरकारी और निजी डॉक्टर्स का विरोध आज भी जारी है।

Right To Health Bill05 | Sach Bedhadak

जयपुर। राजस्थान में राइट टू हेल्थ बिल के विरोध में प्रदेश के सरकारी और निजी डॉक्टर्स का विरोध आज भी जारी है। अस्पताल से लेकर सड़क तक डॉक्टर्स बिल का विरोध कर रहे हैं, लेकिन सरकार द्वारा कोई कदम नहीं उठाया गया। इन सबके बीच मरीजों का दर्द बढ़ रहा है। निजी अस्पतालों के बंद का असर जयपुर में अधिक देखने को मिल रहा है। हालांकि, कई स्थानों पर छोटे अस्पतालों में मरीजों को इलाज मिल रहा है। इधर, डॉक्टर्स के आंदोलन में शुक्रवार को महिला डॉक्टर्स ने मोर्चा संभालते हुए विरोध दर्ज कराया। इसके बाद शाम को अमर जवान ज्योति के सामने मोमबत्तियां जलाकर सरकार के ख़िलाफ विरोध प्रदर्शन किया। वहीं, शाम को हुई मीटिंग में शनिवार को प्रदेश भर के डॉक्टर्स को परिजनों के साथ जयपुर कूच करने का आह्वान किया है। उन्होंने कहा कि बिल में गंभीर बीमारियां इमरजेंसी में शामिल नहीं है।

बिल का विरोध करते हुए प्राइवेट हॉस्पिटल एंड नर्सिंग होम सोसाइटी के सेक्रेटरी डॉ. विजय कपूर ने कहा कि यह कानून असल में चिकित्सकों और अस्पतालों से ज़्यादा नुकसान आम जानता को पहुंचाएगा। इस बिल में इमरजेंसी की जो परिभाषा है, उसके अनुसार केवल सर्प दंश, जानवर द्वारा हमला या सड़क दुर्घटना ही इमरजेंसी है। हमारे देश में मृत्यु के सबसे बड़े कारण जैसे हार्ट अटैक, रेस्पिरेटरी फेल्यर, सेप्टिसेमिया, स्ट्रोक इत्यादि इस बिल में शामिल ही नहीं हैं। यह बिल जो अब तक लागू भी नहीं हुआ है, के बारे सरकार के नेताओं द्वारा अभी से गलत प्रचार किया जा रहा है और जनता को गुमराह किया जा रहा है। उसके कारण कई लोग इमरजेंसी उपचार के लिए निजी अस्पतालों में पहुंच रहे हैं और उपचार ना मिल पाने के कारण जनता में रोष फेल रहा है।

सरकारी अस्पतालों पर बढ़ा दबाव

बिल के विरोध में निजी अस्पतालों के बंद के चलते मरीजों को परेशानी हो रही है। इसके चलते सरकारी अस्पतालों में मरीजों का दबाव बढ़ गया है। वहीं, एसएमएस मेडिकल कॉलेज के रेजिडेंट डॉक्टर्स के कार्य बहिष्कार और सरकारी चिकित्सकों के घर पर देखने का काम बंद करने के कारण भी मरीजों को इलाज में समस्या आ रही है। एसएमएस अस्पताल में सीनियर और मेडिकल टीचर्स ने मोर्चा संभाल रखा है। वहीं, जार्ड अध्यक्ष डॉ. नीरज दामोर का कहना है कि प्रदर्शनों को देखते रहने के बावजूद सरकार का ये नकारात्मक रवैया चिकित्सक संवर्ग के लिए किसी भी हालत में स्वीकार्य नहीं है। वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए संपूर्ण कार्यबहिष्कार अग्रिम आदेशों तक जारी रखा जाएगा। रेजिडेंट के कार्यबहिष्कार को लेकर एसएमएस मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. राजीव बागरट्टा ने कहा कि रेजिडेंट्स से लगातार वार्ता कर काम पर लौटने की अपील की जा रही है। उन्होंने कार्यबहिष्कार जारी रखने की बात नहीं कही। अगर काम पर नहीं लौटते है तो सरकार जैसे कहेगी, वैसे रेजिडेंट के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

महिला डॉक्टर्स ने रैली निकाली

शुक्रवार को बिल के विरोध में बड़ी संख्या में महिला डॉक्टर्स पंहुची। महिला डॉक्टर्स ने रैली निकाली। जो जेएमए सभागार से शुरू होकर महिला चिकित्सकों की बड़ी रैली जेएलएन मार्ग होते हुए त्रिमूर्ति सर्किल तक पहुंची और जमकर सरकार और बिल के विरोध में नारेबाजी की। रैली के दौरान महिला चिकित्सकों ने दो बार सड़क जाम की, एक बार जेके लोन अस्पताल के बाहर और फिर त्रिमूर्ति सर्किल पर नारायण सिहं सर्किल तक जाने वाले रास्ते को कुछ देर के लिए जाम कर दिया। डॉक्टर्स के विरोध और मरीजों की परेशानी को देखते हुए भाजपा के उपनेता प्रतिपक्ष ने सरकार को घेरते हुए कहा कि सरकार ईगो छोड़कर मरीजों के हित्त को ध्यान में रखते हुए आंदोलन कर रहे चिकित्सकों से वार्ता करें और हड़ताल समाप्त कराएं।

ये खबर भी पढ़ें:-तबादला नीति तैयार नहीं तो भी सत्र से पहले थर्ड ग्रेड तबादलों की कवायद

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *