वकीलों ने फिर से राजस्थान एडवोकेट प्रोटेक्शन बिल को लेकर जताया विरोध, वकीलों की मांग के अनुरूप नहीं किया गया पेश

जयपुर। राजस्थान एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट को लेकर वकील फिर से विरोध में उतर आए हैं। वकीलों का कहना है कि जो बिल 15 मार्च को…

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जयपुर। राजस्थान एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट को लेकर वकील फिर से विरोध में उतर आए हैं। वकीलों का कहना है कि जो बिल 15 मार्च को विधानसभा में पेश किया गया है उसमें सिर्र कोर्ट परिसर में ही सुरक्षा के प्रावधान किए गए है और कहीं नहीं…इसलिए इसमें फिर से संसोधन कर विधानसभा में पेश किया जाए।

सिर्फ कोर्ट परिसर में ही सुरक्षा के प्रावधान बाकी कहीं नहीं…

राजस्थान एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट 15 मार्च को विधानसभा में पेश किया गया था। बिल को लेकर धारा 4,6 और 9 को लेकर भी वकीलों ने नाराजगी जताई है। इस बार में बार कौंसिल ऑफ राजस्थान के को चेयरमैन भुवनेश शर्मा ने बताया कि राज्य सरकार ने BCR यानी बार काउंसिल ऑफ राजस्थान की ओर से भेजे प्रस्तावित ड्राफ्ट में मनमर्जी से संसोधन कर दिया है और वैसे ही सदन में पेश कर दिया है। जिस तरह वकीलों ने मांग की थी वैसे ही संसोधन कर इसे पेश करना चाहिए था । इसे लेकर आज हाईकोर्ट परिसर में विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है, इस बिल की प्रतिया जलाई जाएंगी।

15 मार्च को पेश किया गया था बिल

बता दें कि बीती 9 मार्च को सरकार द्वारा सात मंत्रियों जिसमें विधि मंत्री शांति धारीवाल, मंत्री महेश जोशी, मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास समेत अन्य मंत्रियों, जोधपुर और जयपुर की बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों की गठित कमेटी की वर्चुअल बैठक हुई थी, उसमें शांति धारीवाल ने 15 मार्च को एडवोकेट प्रोटेक्शन बिल को विधानसभा में पेश करने और 21 मार्च को उसे विधानसभा में पास करवाने का ऐलान किया था।

जोधपुर में वकील की हत्या के बाद उठी मांग

बता दें कि जोधपुर में सीनियर वकील जुगराज की सरेआम बेरहमी से हत्या के विरोध मेंप्रदेश भर के 70 हजार से ज्यादा अधिवक्ता सड़कों पर आंदोलन कर रहे थे। वह एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट की मांग कर रहे थे। एक्ट समेत कई मांगों को लेकर उन्होंने 13 मार्च को विधानसभा घेराव की चेतावनी भी दी थी,लेकिन उससे पहले शांति धारीवाल ने 15 मार्च को बिल विधानसभा में पेश करने का ऐलान कर दिया था। जोधपुर में जुगराज की हत्या बीच सड़क पर उनके घर के पास की गई थ।ऐसे में अब वकीलों का कहना है कि जब बीच सड़क पर वकील सुरक्षित नहीं है तो सिर्फ कोर्ट परिसर में उनकी सुरक्षा का प्रावान करने का क्या औचित्य है?

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