जाट महाकुंभ में उठी मांग, राजस्थान में जाट ही बने अगला CM, एक साथ मंच पर दिखे कांग्रेस-बीजेपी के नेता

राजस्थान में इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले जाटों ने जाट महाकुंभ में जातिगत जनगणना और ओबीसी का आरक्षण 21 से बढ़ाकर 27 फीसदी करने को लेकर हुंकार भरी।

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जयपुर। राजस्थान में इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले जाटों ने जाट महाकुंभ में जातिगत जनगणना और ओबीसी का आरक्षण 21 से बढ़ाकर 27 फीसदी करने को लेकर हुंकार भरी। लेकिन, जयपुर में आयोजित जाट महाकुंभ में प्रमुख मुद्दा यही रहा कि राजस्थान में अगला मुख्यमंत्री जाट समुदाय से ही बने। विद्याधर नगर में सोमवार जाट महाकुंभ में कांग्रेसी नेताओं ने प्रदेश में नंबर वन और नंबर टू की कुर्सी पर जाट समाज के व्यक्ति को बिठाने का आह्वान किया। एक तरह रिछपाल सिंह मिर्धा ने कहा कि एक नंबर की कुर्सी नहीं मिले तो कम से कम दो नंबर की कुर्सी तो हमें मिलनी चाहिए। वहीं, दूसरी ओर रामेश्वर डूडी ने साफ कहा कि हमें टू नंबर नहीं, वन नंबर की कुर्सी ही चाहिए। जाट महाकुंभ में खास बात ये भी रही कि बीजेपी और कांग्रेस सहित कई पार्टियों के नेता एक ही मंच पर दिखाई दिए।

मंच से संबोधित करते हुए कांग्रेस नेता रामेश्वर डूडी ने कहा कि नंबर टू की कुर्सी से काम नहीं चलेगा। राजस्थान में अगला मुख्यमंत्री जाट समाज से ही होना चाहिए। डूडी ने कहा कि रिछपाल जी राजस्थान में दूसरे नंबर की कुर्सी मांग रहे है। लेकिन, राजस्थान में 25 फीसदी जाट है। जब हमारी ताकत ही इतनी है तो हमें नंबर दो की कुर्सी नहीं, नंबर वन यानी मुख्यमंत्री की कुर्सी चाहिए। इससे कम में काम नहीं चलेगा। राजस्थान से अगला मुख्यमंत्री जाट समाज से होना चाहिए। क्योंकि यह हमारी मांग है। देश की आजादी में जाट समाज के लोगों ने अपना बलिदान दिया है।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और डेगाना विधानसभा से पूर्व विधायक रिछपाल सिंह मिर्धा ने कहा कि एक नंबर की कुर्सी हमें नहीं मिलेगी। लेकिन, दो नम्बर की कुर्सी जाट भाइयों को लेनी है। जाट महाकुंभ में रिछपाल मिर्धा ने कहा कि यहां आए जाट नेताओं के दो शब्द सुनकर जाएं। लेकिन, दो बात याद रखनी है। हमें इस बार राजस्थान में दो नंबर की कुर्सी लेनी है और सींघा डालकर लेनी है। हमें कोई एक नंबर तो नही देगा, लेकिन दो नंबर की सीट लेनी है और वो भी सींघा डालकर लेनी है।

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जाट समुदाय को डोटासरा ने दी ये नसीहत

कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने समाज के नेताओं को नसीहत देते हुए कहा कि हमें 2 बातों का ध्यान रखना चाहिए। पहली-किसी भी दूसरे समाज के खिलाफ एक भी गलत शब्द नहीं बोले और सभी आज ये प्रण लेकर जाएं। दूसरी-अगर हम किसी की मदद कर रहे हैं तो चुपचाप करें। हमारे समाज में यह कमी है कि हल्ला करते हैं कि हम मदद करेंगे, तब तक दुश्मन सक्रिय हो जाता है और हमारे समाज के व्यक्ति की मदद नहीं हो पाती है।

छत्तीस कौम में फूट पैदा करने की कोशिश-पूनिया

बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा कि जो जाट गांव में सामाजिक सद्भाव के लिए जाना जाता था, जो परिश्रम, ईमानदारी, देशभक्ति के लिए जाना जाता था, वही हमारा चरित्र और हमारी ताकत भी है। इसलिए छत्तीस कौम जो पंचायती राज चुनावों में आपके पीछे खड़ी होती थी, उसमें फूट पैदा करने की कोशिश हुई है। समय की इस नजाकत को समझिए, बुद्धि कौशल का इस्तेमाल करिए।

कार्यक्रम में शामिल नहीं हुई वसुंधरा राजे

पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का भी जाट महाकुंभ में आने का कार्यक्रम था। लेकिन, सालासर कार्यक्रम के कारण वो यहां नहीं पहुंच पाई। ऐसे में उनका बेटा बारां-झालावाड़ सांसद दुष्यंत सिंह अपनी मां का संदेश लेकर कार्यक्रम में पहुंचे। लेकिन, उन्होंने तबीयत खराब होने की बात कहते हुए मंच से बोलने से इनकार कर दिया। हालांकि, अन्य वक्ताओं ने वसुंधरा राजे का संदेश मंच से पढ़कर सुनाया।

महाकुंभ में ये नेता रहे मौजूद

जाट महाकुंभ बीजेपी, कांग्रेस सहित सभी पार्टियों से जुड़े जाट नेता पहुंचे हैं। इस दौरान बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया, कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा, सांसद दुष्यंत सिंह, केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी, सीकर सांसद सुमेधानंद सरस्वती, कैबिनेट मंत्री विश्वेंद्र सिंह, किसान नेता राकेश टिकैत, शाहपुरा MLA आलोक बेनीवाल, राजाराम मील, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सुमित्रा सिंह, मंत्री हेमाराम चौधरी, बृजेंद्र सिंह ओला, रामलाल जाट, लालचंद कटारिया, मंडावा विधायक रीटा चौधरी और दीपचंद खेरिया सहित प्रदेश व अन्य राज्यों से अनेक जाट नेता मौजूद रहे।

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