NIA ने जिसकी तलाश में अलवर में रेड डाली, वो 7 दिन से गर्लफ्रेंड संग जयपुर में घूम रहा, जानें-कैसे ‘लादेन’ बना विक्रम?

एनआईए की टीम ने जिस गैंगस्टर की तलाश में हाल ही अलवर जिले में बहरोड़ थाना क्षेत्र के पहाड़ी गांव में रेड डाली, वो पिछले सात दिन से जयपुर में छिपा बैठा है।

Vikram Gurjar alias Laden | Sach Bedhadak

Gangster Vikram Gurjar : जयपुर। एनआईए की टीम ने जिस गैंगस्टर की तलाश में हाल ही अलवर जिले में बहरोड़ थाना क्षेत्र के पहाड़ी गांव में रेड डाली, वो पिछले सात दिन से जयपुर में छिपा बैठा है। यह खुलासा अलवर की एक लड़की ने किया। लेकिन, जयपुर पुलिस गैंगस्टर विक्रम गुर्जर उर्फ लादेन को नहीं पहचान सकी। दरअसल, सोमवार रात गैंगस्टर विक्रम अपनी गर्लफ्रेंड के साथ कार में घूम रहा था। लेकिन, गश्ती दल की जिप्सी को देखकर वह पुलिस को गच्चा देकर फरार हो गया। पुलिस ने जब उसके साथ बैठी लड़की से पूछताछ कि तो पता चला कि भागने वाला शख्स हिस्ट्रीशीटर विक्रम गुर्जर उर्फ लादेन है और एनआईए की गिरफ्तारी से बचने के लिए पिछले सात दिन से जयपुर में घूम रहा है। यह सुनते ही पुलिस के होश उड़ गए। फिलहाल, सांगानेर थाना पुलिस आरोपी लादेन की तलाश में जुटी हुई है।

पुलिस के मुताबिक चीलगाड़ी रेस्टोरेंट के पास सोमवार शाम करीब 7.15 बजे गस्ती दल को एक कार संदिग्ध हालत में खड़ी हुई मिली। जिसमें पीछे वाली सीट पर एक लड़की बैठी हुई और ड्राइवर वाली सीट एक शख्स बैठा हुआ था, जो पुलिस को देखते ही भाग गया। इस दौरान पुलिस ने उसका पीछा किया। लेकिन, वो अंधेरे का फायदा उठाकर मौके से गया। हालांकि, पुलिस ने मौके से एक पिस्टल और पांच जिंदा कारतूस बरामद किए, जो भागने वाले शख्स की जेब से गिर गए थे। इस पर पुलिस ने कार में बैठी लड़की से सख्ती से पूछताछ की तो उसकी बात सुन पुलिस के होश उड़ गए।

अलवर जिले के बहरोड़ थाना इलाके के माधोसिंहपुरा गांव की रहने वाली प्रिया सैनी पुत्री फूलसिंह सैनी ने बताया कि भागने वाला शख्स उसका दोस्त है, जो बहरोड़ थाना क्षेत्र के पहाड़ी गांव का रहने वाला है और उसका नाम विक्रम गुर्जर उर्फ लादेन है। युवती ने बताया कि वह उसके साथ कुछ दिन पहले ही घूमने के लिए जयपुर आई थी। पुलिस ने मौके से एक पिस्टल और पांच जिंदा कारतूस बरामद कर कार को जब्त कर लिया है। साथ ही लड़की से लादेन के बारे में पूछताछ जारी है। फिलहाल, पुलिस आरोपी लादेन की तलाश में जुटी हुई है।

7 दिन पहले ही एनआईए ने लादेन के गांव में डाली थी रेड

व्यापारी से रंगदारी मामले में जेल में बंद हिस्ट्रीशीटर विक्रम उर्फ लादेन पुत्र हंसराज गुर्जर को 10 दिन पहले ही बहरोड़ कोर्ट से जमानत मिली थी। इसके सात दिन बाद ही 17 मई को दिल्ली से आई एनआईए की टीम ने उसे गांव पहाड़ी में रेड डाली थी। लेकिन, वह एनआईए को गच्चा देकर भाग गया था और जयपुर में घूम रहा था। तभी से एनआईए की टीम और राजस्थान पुलिस को हिस्ट्रीशीटर की तलाश थी। लेकिन, एक बार फिर गैंगस्टर फरार होने में कामयाब हो गया।

6 जनवरी को हुई थी लादेन पर फायरिंग

बता दें कि जयपुर की क्राइम ब्रांच ने हिस्ट्रीशीटर विक्रम उर्फ लादेन को 31 दिसंबर 2022 को हथियारों से लैस लग्जरी गाड़ी में पकड़ा था। इसके बाद व्यापारी से रंगदारी मांगने के मामले में बहरोड़ पुलिस उसे जनवरी 2023 में जयपुर जेल से लेकर गई थी। लेकिन, 6 जनवरी को जिला अस्पताल में मेडिकल के लिए ले जाते समय तीन बदमाशों ने गैंगस्टर लादेन पर ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी थी। हालांकि, लादेन को तो गोली नहीं लगी थी, लेकिन वहां बैठी नांगल खोडिया की 2 महिलाएं पैरों में गोली लगने से घायल हो गई थी। इसके बाद बुलेट प्रूफ जैकेट पहनाकर ही उसे पेशी पर ले जाया गया था। हालांकि, इसी महीन उसे जमानत मिल गई थे।

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कौन है विक्रम गुर्जर उर्फ लादेन?

हिस्ट्रीशीटर विक्रम उर्फ लादेन पुत्र हंसराज गुर्जर बहरोड़ थाना क्षेत्र के पहाड़ी गांव का रहने वाला है और बहरोड़ क्षेत्र का आदतन बदमाश है। उसके खिलाफ शराब की तस्करी, अवैध हथियार रखने, मारपीट, लूटपाट के साथ ही तोड़फोड़, रंगदारी सहित अनेक मुकदमें दर्ज है। विक्रम ने लादेन गैंग बना रखी है। जो बहरोड़, कोटपूतली, मनोहरपुरा, पनियाला, भरतपुर, सीकर और जयपुर ग्रामीण इलाके सक्रिय है। लादेन की धाक राजस्थान के अलावा हरियाणा में भी है। लादेन गैंग के गुर्गें लोगों को डरा धमका कर वसूली करते हैं।

विक्रम कैसे बना कुख्यात अपराधी?

पहाड़ी गांव के रहने वाले विक्रम गुर्जर को गैंगस्टर पपला गुर्जर ने ही अपराध की दुनिया में एंट्री करवाई थी। विक्रम ने सबसे पहले चीकू गैंग ज्वॉइन की। लेकिन, कुछ दिनों बाद ही उसका किसी बात को लेकर पपला से विवाद हो गया। इसके बाद उसने चीकू गैंग छोड़ दी और खुद की गैंग बना ली। उसने लादेन के नाम से गैंग बनाई। इसके बाद से लोग उसको विक्रम गुर्जर उर्फ लादेन के नाम से जानने लगे। लेकिन, अपराध की दुनिया में जड़े जमाना काफी मुश्किल था। एक तरफ तो पपला गुर्जर से दुश्मनी और दूसरी तरफ उसके ही गांव में जयराम का दबदबा था। जयराम बदमाश होने के साथ-साथ बसपा नेता भी था। ऐसे में सबसे पहले उसने जयराम को ठिकाने लगाने का प्लान बनाया और फिर आज से करीब 10 साल पहले जयराम की हत्या करवाने के बाद उसने अपराध की दुनिया में अपनी जड़े मजबूत कर ली। वह लग्जरी लाइफ का झांसा देकर युवाओं को अपनी गैंग में शामिल करता है और फिर आपराधिक मुकदमों में फंसा देता है, ताकि वे उसकी गैंग को ना छोड़ सकें।

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