राजस्थान में अब विदेशी तकनीक से होगी पानी की बचत, डेनमार्क और गहलोत सरकार के बीच हुआ MOU

राजस्थान में पेयजल के मैनेजमेंट को लेकर प्रदेश सरकार ने डेनमार्क के साथ हाथ मिलाया है। जिससे अब विदेशी तकनीक से पानी की बचत होगी।

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Water saving in Rajasthan : जयपुर। राजस्थान में पेयजल के मैनेजमेंट को लेकर प्रदेश सरकार ने डेनमार्क के साथ हाथ मिलाया है। जिससे अब विदेशी तकनीक से पानी की बचत होगी। वहीं अब पेयजल प्रबंधन की दिशा में नए आयाम स्थापित होंगे। जिसके चलते शहरी जल प्रबंधन के लिए डेनमार्क और राजस्थान सरकार के बीच शुक्रवार को सचिवालय में एमओयू हुआ। एमओयू पर राज्य सरकार की ओर से अति.मुख्य सचिव पीएचईडी एवं जल संसाधन डॉ. सुबोध अग्रवाल ने हस्ताक्षर किए। जबकि आहूस (डेनमार्क) की ओर से डायरेक्टर प्लानिंग लुइसे पेपे के डिजिटल हस्ताक्षर हुए।

 इस एमओयू से अब शहरी क्षेत्रों में अलग-अलग योजनाओं के माध्यम से जल स्त्रोतों के विकास, पेयजल वितरण व्यवस्था को मजबूत करने और पेयजल छीजत कम करने की दिशा में काम किए जाएंगे। जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी मंत्री डॉ. महेश जोशी ने एमओयू के बाद कहा कि राजस्थान और डेनमार्क के बीच आपसी सहयोग की कड़ी को आगे बढ़ाते हुए अब पेयजल बचाने की दिशा में काम होगा। शहरी पेयजल क्षेत्र में सेवाओं एवं गुणवत्ता में सुधार, वितरण तंत्र की दक्षता में बढ़ोतरी से गैर-राजस्व जल (छीजत) में कमी, जल स्त्रोतों के प्रबंधन और भूजल एक्विफर मैपिंग व नदियों के कायाकल्प के लिए राजस्थान ने डेनमार्क के साथ हाथ मिलाया है। 

डेनमार्क में पानी की छीजत जीरो 

जलदाय मंत्री महेश जोशी ने पानी के सदुपयोग एवं जल संरक्षण पर जोर देते हुए कहा कि डेनमार्क में पानी की छीजत जीरो है और वहां पानी का पूरा इस्माल होता है। अलग-अलग तरीकों से पानी बचाने की उनकी तकनीक, पेयजल, अपशिष्ट जल प्रबंधन एवं पुर्नचक्रण, नदियों के कायाकल्प आदि में आपसी सहयोग से राजस्थान को इसका लाभ होगा। प्रदेश की सरकार इस दिशा में लगातार काम कर रही है। जिससे पेयजल का कुशल प्रबंधन हो सके। शहरी क्षेत्रों में विभिन्न योजनाओं के माध्यम से जल स्त्रोतों के विकास, पेयजल वितरण व्यवस्था के सुदृढ़ीकरण, पेयजल छीजत कम करने की दिशा में काम लगातार जारी है। जिससे प्रदेश में पेयजल प्रबंधन के क्षेत्र में नए आयाम स्थापित हो रहे हैं। जोशी ने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत प्रदेश की जनता को शुद्ध एवं स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने का कार्य प्राथमिकता को लेकर कर रहे हैं।

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डेनमार्क का मिलेगा तकनीकी सहयोग 

अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ. सुबोध अग्रवाल ने कहा कि केन्द्र सरकार के जल शक्ति मंत्रालय सहित विभिन्न स्तरों पर मंजूरी और प्रक्रियाएं पूरी करने के बाद यह एमओयू हुआ है। इस एमओयू के बाद जोधपुर, कोटा और जयपुर जैसे जिलों में जल प्रबंधन के क्षेत्र में सहयोग बढ़ेगा। डेनमार्क के राजदूत फ्रेडी स्वान ने कहा कि दोनों देश के बीच पहले से ही स्ट्रेटजिक पार्टनरशिप है। वीसी के माध्यम से जुड़ी आहूस की डायरेक्टर प्लानिंग लुइसे पेपे ने कहा कि शहरी पानी की बचत करना ही इसका उत्पादन है। कार्यक्रम में एमडी, जल जीवन मिशन अविचल चतुर्वेदी, मुख्य अभियंता जेजेएम आरके मीणा, मुख्य अभियंता स्पेशल प्रोजेक्ट दिनेश गोयल, मुख्य अभियंता (शहरी) के डी गुप्ता, मुख्य अभियंता जल संसाधन भुवन भास्कर और पीएचईडी के अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।

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