माध्यमिक शिक्षा में नियम लागू कर भूला शिक्षा विभाग, बच्चों के भविष्य पर संकट

श्रवण भाटी। जयपुर। ‘जितनी जरूरत, उतना स्टाफ’ की मूल भावना के साथ 8 साल पहले माध्यमिक शिक्षा विभाग में शुरू किया गया स्टाफिंग पैटर्न समीक्षा…

Education department forgets to implement rules in secondary education, crisis on children's future

श्रवण भाटी। जयपुर। ‘जितनी जरूरत, उतना स्टाफ’ की मूल भावना के साथ 8 साल पहले माध्यमिक शिक्षा विभाग में शुरू किया गया स्टाफिंग पैटर्न समीक्षा के अभाव में दम तोड़ रहा है। माध्यमिक शिक्षा विभाग ने वर्ष 2015 में बहुत हो हल्ले के साथ स्टाफिंग पैटर्न लागू किया था। इसके तहत प्रदेश भर के स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या के आधार पर शिक्षकों के पद आवंटित किए गए थे। हर दो वर्ष में स्टाफिंग पैटर्न की समीक्षा करने का नियम बनाया गया था, लेकिन पिछले 8 साल में एक बार भी समीक्षा नहीं की गई। विभाग की इस लापरवाही का नतीजा प्रदेश के हजारों स्कूलों के लाखों बच्चों को भुगतना पड़ रहा है। 

दुगुने स्कूल, नहीं बढ़े व्याख्याता

वर्ष 2015 में जब स्टाफिंग पैटर्न लागू हुआ तब प्रदेश में माध्यमिक-उच्च माध्यमिक स्कूलों की संख्या करीब 9 हजार थी। इनमें लगभग 34 लाख विद्यार्थी अध्ययनरत थे। 8 साल बाद 2023 की बात करें तो स्कूलों की संख्या 18 हजार से अधिक हो चुकी है, जिनमें 57 लाख से अधिक विद्यार्थी पढ़ रहे हैं। स्टाफिंग पैटर्न के तहत हर दो वर्ष में स्कूलों में विद्यार्थियों की बढ़ोतरी के अनुसार व्याख्याताओं को लगाया जाना था। समीक्षा नहीं होने से न तो व्याख्याताओं के पद बढ़ाए गए, ना ही उन्हें स्कूलों में लगाया गया।

व्याख्याता का काम कर रहे वरिष्ठ अध्यापक 

उच्च माध्यमिक स्कूलों में 11वीं व 12वीं कक्षाओं के छात्रों को पढ़ाने का काम वरिष्ठ अध्यापक कर रहे हैं। खास बात यह है कि शिक्षा विभाग इस मामले में अपने ही नियमों की अवहेलना कर रहा है। 11वीं व 12वीं कक्षा को पढ़ाने की योग्यता विभाग के अनुसार व्याख्याता की होती है। ऐसे में उनकी कक्षाएं व्याख्याताओं द्वारा ही ली जाने चाहिए, मगर ऐसा हो नहीं रहा है। व्याख्याताओं की कमी के चलते यह काम वरिष्ठ अध्यापकों के भरोसे चलाया जा रहा है। इसका खमियाजा अंतत: विद्यार्थियों को भुगतना पड़ रहा है।

जिम्मेदारों के अपने-अपने तर्क

माध्यमिक शिक्षा विभाग में स्टाफिंग पैटर्न की समीक्षा करने से पदों में वृद्धि से बहुप्रतीक्षित टीएसपी सहित तृतीय श्रेणी अध्यापकों के स्थानांतरण में आसानी हो सकेगी।  शिक्षकों की पदोन्नति की राह और गुणवत्ता शिक्षा के लिए विद्यार्थियों को छात्र अनुपात में शिक्षक मिल सकेंगे- शशिभूषण शर्मा, प्रदेश अध्यक्ष राजस्थान प्राथमिक माध्यमिक शिक्षक संघ

शिक्षा मंत्री से मांग करते आ रहे हैं कि स्टाफिंग पैटर्न समीक्षा की जाए। कई बार शिक्षा विभाग अधिकारियों द्वारा आश्वासन दिया गया है, लेकिन माध्यमिक शिक्षा में स्टाफिग पैटर्न नहीं हो रहा है। अगर स्टाफिं ग पैटर्न की समीक्षा हो तो वर्तमान विद्यार्थियों के अनुपात में शिक्षकों के 35 हजार नए पद सृजित होंगे। इससे नई शिक्षकों की भर्ती का रास्ता खुलेगा और प्रदेश के बेरोजगारों को रोजगार मिल पाएगा- विपिन प्रकाश शर्मा, वरिष्ठ उपाध्यक्ष राजस्थान प्राथमिक माध्यमिक शिक्षक संघ

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