पुलिस ने हिरासत में लिया तो किरोड़ी मीणा बोले-क्या वीरांगनाओं के साथ खड़ा होना गुनाह है?

पुलवामा शहीदों की तीन वीरांगनाओं को देर रात धरने से उठाने के बाद राजस्थान में सियासत तेज हो गई है।

Kirodi Lal Meena01 1 | Sach Bedhadak

जयपुर। पुलवामा शहीदों की तीन वीरांगनाओं को देर रात धरने से उठाने के बाद राजस्थान में सियासत तेज हो गई है। वीरांगनाओं का धरना जबरन खत्म कराने के बाद अब पुलिस ने भाजपा सांसद किरोड़ीलाल मीणा को हिरासत में ले लिया है। हालांकि, पुलिस ने इसकी पुष्टि नहीं की है। दरअसल, हुआ यूं कि किरोड़ी मीणा जब वीरांगना मंजू जाट से मिलने के लिए गोविंदपुरा बासड़ी रवाना हुए तो पुलिस ने उन्हें सामोद थाना इलाके में रोक लिया। इस दौरान किरोड़ी और उनके समर्थक पुलिस से उलझ गए।

किरोड़ी समर्थकों ने सड़क पर लगाए बैरिकेट्स हटा दिए। हालांकि, पुलिस ने जैसे-तैसे किरोड़ी और समर्थकों पर काबू पाया। किरोड़ी की पुलिस अधिकारियों से हॉट टॉक भी हुई। इसके बाद पुलिस ने किरोड़ी मीणा को हिरासत में ले लिया और गाड़ी में बिठा दिया। लेकिन, किरोड़ी समर्थक पुलिस की गाड़ी के आगे लेट गए तो पुलिस को झुकना पड़ा और किरोड़ी को वापस गाड़ी से नीचे उतार दिया। फिलहाल, पुलिस के आला अधिकारी किरोड़ी से समझाइश का प्रयास कर रहे हैं।

किरोड़ी ने पूछा-क्या वीरांगनाओं के साथ खड़ा होना गुनाह है?

इस दौरान पुलिस और किरोड़ी के बीच तीखी खींचतान देखने को मिली। सांसद डॉ. किरोड़ीलाल मीणा ने आरोप लगाते हुए कहा कि पुलिस ने मेरे कपड़े फाड़ दिए और मुझे कॉलर पकड़कर गाड़ी में बिठाया। उन्होंने कहा कि मैं अपने समर्थकों के साथ सामोद बालाजी के दर्शन करने जा रहा था। लेकिन सामोद थाना पुलिस ने मुझे रोका, क्या वीरांगनाओं के साथ खड़ा होना गुनाह है?

किरोड़ी ने पुलिस पर लगाया गंभीर आरोप

किरोड़ी मीणा ने ट्वीट किया कि पुलिस का एक सांसद के साथ में यह कैसा व्यवहार है। हिरासत में लेने के लिए मेरे साथ धक्का-मुक्की व हाथापाई की गई। मेरे कपड़े फाड़ दिए गए। सरकार कान खोलकर सुन ले- इस तानाशाही के बाद मैं झुकने और रुकने वाला नहीं हूं। शहीदों की वीरांगनाओं को हर हाल में न्याय दिलवा कर रहूंगा।

किरोड़ी मीणा ने गहलोत सरकार पर साधा निशाना

इससे पहले किरोड़ी मीणा ने गहलोत सरकार तीखा हमला बोलते हुए कहा कि सरकार पुलिस के दम पर वीरांगनाओं की आवाज को दबाने की कोशिश कर रही है। लेकिन, सरकार अपने मनसूबों में कभी कामयाब नहीं हो पाएगी। किरोड़ी मीणा ने ट्वीट किया कि वीरांगनाओं से ससम्मान मिलने की बजाय मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पुलिस के दम पर उनका दमन करना चाहते हैं। अलसुबह 3 बजे पुलिस वीरांगनाओं, उनके परिजनों और कार्यकर्ताओं को उठाकर ले गई। ऐसा करके सरकार वीरांगनाओं के हौसले को तोड़ नहीं सकती। हक मिलने तक संघर्ष जारी रहेगा। सरकार पुलिस के दम पर वीरांगनाओं की आवाज को दबा नहीं पाएगी। ताकत के साथ निरंकुश और तानाशाही सरकार का प्रतिरोध किया जाएगा।

लॉकअप में बंद वीरांगनाओं के परिजनों व समर्थकों से की मुलाकात

जबरन वीरांगनाओं का धरना खत्म कराने के बाद शुक्रवार सुबह किरोड़ी मीणा महिंद्रा सेज थाना पहुंचे। मीणा ने लॉकअप में बंद वीरांगनाओं के परिजनों और समर्थकों से मुलाकात की। इसके बाद थाने के बाद धरने पर बैठ गए। हालांकि, कुछ देर बाद किरोड़ी मीणा ने वीरांगना के घर जाने का फैसला किया और अपने समर्थकों के साथ वीरांगना मंजू जाट से मिलने के लिए गोविंदपुरा बासड़ी के लिए रवाना हो गए। हालांकि, पुलिस ने रास्ते में ही रोक लिया।

पुलिस ने मौका देख कराया वीरांगनाओं को धरना खत्म

गौरतलब है कि न्याय की मांग को लेकर 11 दिन से बीजेपी सांसद किरोड़ी मीणा के साथ धरने पर बैठी वीरांगनाओं को पुलिस ने देर रात पायलट के निवास से उठा दिया था। यह पूरा वाकया उस वक्त हुआ था जब किरोड़ी मीणा तबीयत खराब होने के कारण अपने निवास पर चले गए थे। तभी रात करीब 3 बजे पुलिस ने मौका देखा और तीनों वीरांगनाओं को धरना स्थल से उठाकर अपने-अपने गांव ले जाकर छोड़ दिया था। वहीं, वीरांगनाओं के परिजनों और किरोड़ी मीणा के समर्थकों को महिंद्रा सेज थाने लाकर लॉकअप में बंद कर दिया था। पुलिस ने शहीद रोहिताश लांबा की पत्नी मंजू जाट को जयपुर के गोविंदपुरा बासड़ी गांव, शहीद हेमराज मीणा की पत्नी मधुबाला मीणा कोटा के विनोदकलां गांव और शहीद जीतराम गुर्जर की पत्नी सुंदरी देवी को भरतपुर जिले के सुंदरवाली में छोड़ा था।

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