प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 28 जनवरी को भीलवाड़ा दौरे पर आ रहे हैं। इसके लिए प्रदेश भाजपा के नेताओं ने तो कमर कस ही ली है साथ ही केंद्र के नेताओं ने भी मोर्चा संभाल लिया है। केंद्रीय सांस्कृतिक मंत्री अर्जुन राम मेघवाल को तो भीलवाड़ा के आसींद में हो रहे इस देवनारायण प्रकटोत्सव कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आगमन की पूरी जिम्मेदारी दी गई है तो राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा भी कल सोमवार 23 जनवरी को जयपुर आ रहे हैं। वे प्रदेश की कार्यकारिणी की दो दिवसीय बैठक को संबोधित करेंगे। इन सबके बीच सवाल यह है कि क्या नरेंद्र मोदी का यह भीलवाड़ा दौरा सिर्फ एक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए है या फिर प्रधानमंत्री अपने इस दौरे से प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनाव के लिए कोई संदेश देकर जाएंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बीती 1 नवंबर को बांसवाड़ा के मानगढ़ दौरे पर आए थे। उनका इस दौरे से यह संभावना जताई जा रही थी कि मानगढ़ को राष्ट्रीय स्मारक घोषित कर आदिवासियों को साधेंगे। हालांकि उन्होंने मानगढ़ के राष्ट्रीय़ स्मारक घोषित करने की बात को 4 राज्यों के कंधों पर डाल दी थी। लेकिन उन्होंने यह संकेत तो दिया था कि मानगढ़ के विकास के बाद इसे राष्ट्रीय स्मारक या किसी और नाम से घोषित कर दिया जाएगा। उनके इस कदम से आदिवासियों को यह सुनिश्चितता तो मिल ही गई कि आदिवासियों के इस आस्था के प्रतीक का विकास जल्द होगा। लेकिन अब बारी भीलवाड़ा की है। यहां पर प्रधानमंत्री 28 जनवरी को आ रहे हैं। भीलवाड़ा के आसींद में देवनारायण के 1111वें प्रकटोत्सव का कार्यक्रम है। इसी समारोह के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को न्यौता भेजा गया है। अब प्रधानमंत्री चुनावी मौसम में राजस्थान आ रहे हैं तो प्रदेश को कोई संदेश तो देकर ही जाएंगे। राजनीतिक विश्लेषक यह संभावना जता रहे हैं कि प्रधानमंत्री इस बार गुर्जरों को साधेंगे।
दरअसल भीलवाड़ा राजस्थान के गुर्जर बहुल जिलों में शामिल हैं। इस जिले में 7 विधानसभा सीटें हैं। मांडल, भीलवाड़ा, शाहपुरा, सहाड़ा, मांडलगढ़, आसींद और जहाजपुर। साल 2018 के चुनाव में भीलवाड़ा विधानसभा सीट से भाजपा के विट्ठल शंकर अवस्थी ने जीत हासिल की थी। जो लगातार 3 बार के विधायक हैं। इससे पहले भी 2003 के चुनाव में भी भाजपा के जालम सिंह ने चुनाव जीता था। साल 1977 से 2018 तक हुए 10 चुनावों में 5 बार भाजपा जीती है। तो 3 बार कांग्रेस ने जीत का ताज पहना है। वहीं पूरे भीलवाड़ा जिले के 7 विधानसभा क्षेत्रों की बात करें तो यहां की 2 सीटों पर कांग्रेस तो बाकी की 5 सीटों पर भाजपा का कब्जा है। 2018 के चुनावों में भाजपा के विट्ठल शंकर अवस्थी आधे मार्जिन से कांग्रेस के प्रत्याशी ओमप्रकाश नरानीवाल से जीते थे।
भीलवाड़ा में इन सात विधानसभा सीटों पर गुर्जरों का दबदबा है यहां के प्रत्याशियों की हार-जीत का फैसला ये गुर्जर ही करते हैं। वहीं अगर पूरे राजस्थान की बात करें तो यहां पर गुर्जरों का प्रतिशत लगभग 6 है। पूरे राजस्थान के 14 जिले गुर्जर बहुल क्षेत्रों में आते हैं। इनमें से भीलवाड़ा, अलवर, अजमेर, जयपुर, टोंक, सवाई माधोपुर, कोटा, बारां, झालावाड़, धौलपुर, करौली, झुंझुनूं, दौसा शामिल हैं। इनमें से भी 18 सीटों पर सीधे तौर पर गुर्जर समाज का दबदबा है। राजस्थान की 25 लोकसभा सीटों पर भाजपा का ही दबदबा है। लेकिन इसमें से सिर्फ एक सांसद सुखबीर जौनपुरिया ही गुर्जर समाज से आते हैं। इसलिए भाजपा को एक बड़े गुर्जर चेहरे की तलाश है जो राजस्थान में हार जीत तय करने वाले इस गुर्जर समाज को साध सके। जो कि अभी भाजपा के पास नहीं है।
वसुंधरा सरकार में हुए गुर्जर आंदोलन के बाद तो भाजपा से गुर्जर कटते हुए से नजर आए। जो भाजपा की 2008 में हुई हार का एक बड़ा कारण माना जाता है। लेकिन एक वक्त था जब राजस्थान में गुर्जर समुदाय का वोट ही भाजपा का मूल मत माना जाता था। प्रधानमंत्री का यह दौरा गुर्जरों को अपनी तरफ साधने के लिए भी बेहद अहम साबित हो सकता है। वहीं अगर पूरे राजस्थान की विधानसभा सीटों की बात करें तो 40 से ज्यादा सीटों पर गुर्जरों का कब्जा है या ऐसे कह सकते हैं कि इन सीटों वाले क्षेत्रों में भी गुर्जर समुदाय प्रत्याशियों की हार-जीत का फैसला करते हैं।
गुर्जर समुदाय राजस्थान के लिए कितना अहम है यह जानकर ही साल 2018 के चुनाव में कांग्रेस ने अपने कुल प्रत्याशियों में से 11 उम्मीदवार गुर्जर समुदाय से ही निकाले थे। जिनमें से 7 गुर्जर नेताओं ने जीत दर्ज की थी। इसका सबसे बड़ा कारण कांग्रेस नेता सचिन पायलट की तरफ गुर्जर वोटों का जाना था। कांग्रेस ने 2018 के चुनाव में सचिन पायलट को गुर्जरों को साधने की जिम्मेदारी थी, जिसे उन्होंने बखूबी निभाया भी, इसी का असर था भाजपा का मूल वोट कहा जाने वाला गुर्जर समुदाय कांग्रेस की तरफ झिटक गया और भाजपा की झोली खाली हो गई। इस वक्त भाजपा के पास सिर्फ गुर्जर नेताओं के नाम पर सिर्फ एक सांसद है। ऐसे में प्रधानमंत्री की यह दौरा गुर्जर वोटबैंक के मद्देनजर भाजपा को एक बड़ी संजीवनी दे सकता है।