केन्द्रीय जलशक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत के पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ERCP) के बयान पर राजस्थान के जलदाय मंत्री महेश जोशी ने पलटवार किया है। जोशी ने मंगलवार को कहा कि आज शेखावत कह रहे हैं कि ईआरसीपी की डीपीआर सही नहीं है जबकि ईआरसीपी की यह डीपीआर तत्कालीन भाजपा सरकार ने वर्ष 2017 में केन्द्र सरकार के उपक्रम वेप्कोस लिमिटेड के माध्यम से तैयार करवाई थी। वेप्कोस लिमिटेड जल सम्बंधी परियोजना के क्षेत्र में एक अंतरराष्ट्रीय कन्सलटेन्सी संस्था है। परियोजना की डीपीआर में उस समय राजस्थान रिवर बेसिन ऑथिरिटी के चैयरमेन श्रीराम वेदिरे की देखरेख में बनाई गई थी। वर्तमान में श्रीराम वेदिरे केन्द्रीय जल शक्ति मंत्रालय में सलाहकार भी हैं। जोशी ने कहा कि शेखावत को अपने सलाहकार से पूछना चाहिए कि उनकी डीपीआर सही है या नहीं।
जोशी ने कहा कि मेरे लिए तो ये आश्चर्य की बात है कि शेखावत अभी तक राजनीति में हैं, क्योंकि मेरे सामने उन्होंने खुले मंच पर कहा था कि अजमेर रैली में यदि पीएम मोदी ने ईआरसीपी पर एक शब्द कहा होगा तो मैं राजनीति से संन्यास ले लूंगा। जोशी ने कहा है कि सच्चाई यह है कि 6 अक्टूबर, 2018 को अजमेर रैली में प्रधानमंत्री मोदी ने ना सिर्फ ईआरसीपी का नाम लिया बल्कि लगभग ढ़ाई मिनट में पीएम ने इस योजना की उपयोगिता बताते हुए इसे राष्ट्रीय दर्जा देने के लिए सकारात्मक कदम उठाने की बात कही थी।
इसके वीडियो तक आ जाने के बाद उन्होंने संन्यास नहीं लिया, यही उनकी सत्यनिष्ठा दिखाता है। जलदाय मंत्री ने कहा कि के न्द्रीय मंत्री कह रहे हैं कि ईआरसीपी का काम नहीं हो रहा, यह सच्चाई से परे है। उन्होंने कहा कि सीएम अशोक गहलोत का कमिटमेंट है कि ईआरसीपी को पूरा करेंगे। राजस्थान सरकार ने 2019- 20 के बजट में ही बजट दे दिया था और अब तक 1000 करोड़ से अधिक की राशि खर्च की जा चुकी है।
वर्ष 2022-23 के बजट में सरकार ने राज्य के बजट से 9,600 करोड़ रुपए देने की घोषणा की है। राजस्थान सरकार के कमिटमेंट के कारण नवनेरा बैराज, कोटा एवं ईसरदा बांध, टोंक का काम चल रहा है। जो पानी व्यर्थ बहकर यमुना नदी और समुद्र में चला जा रहा है, उस पानी का इस्तेमाल किसान कर लेंगे तो इससे किसी को क्या दिक्कत है? जलशक्ति मंत्री राजस्थान को प्राथमिकता देने की बजाय बहानेबाजी क्यों कर रहे हैं। जलदाय मंत्री ने यह भी कहा है कि शेखावत को जानकारी होनी चाहिए कि इस परियोजना की डीपीआर राजस्थान-मध्य प्रदेश अंतरराज्यीय नियंत्रण मंडल की 13वीं बैठक, जो 25 अगस्त 2005 को हुई थी, में लिए गए निर्णय के अनुसार ही बनाई गई है। इसलिए इस परियोजना के लिए मध्य प्रदेश की अनापत्ति अपेक्षित नहीं है।