प्रदेश की ऊर्जा कंपनियों की ओर से पूर्व में किए अनुबंध के तहत (Rajasthan Power Crisis) उधार ली गई बिजली गले की फांस बन गई है। भारी किल्लत के बीच भी कंपनियों को हर रोज दूसरी कंपनियों को करीब पचास लाख यूनिट बिजली वापस देनी पड़ रही है। वहीं, प्रदेश में एक बार फिर खपत में बढ़ोतरी हो गई है। इसको देखते हुए फिलहाल बिजली कंपनियों ने कुछ स्थानों पर लोड शेडिंग की है। ऊर्जा विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, प्रदेश में बिजली की उपलब्धता 29.62 और खपत 29.88 करोड़ यूनिट रही है। खपत के अंतर को कम करने के लिए बिजली कंपनियों की ओर से करीब 26 लाख यूनिट से अधिक बिजली ओवर ड्रा की गई।
रबी के मौसम में बिजली की कमी को देखते हुए बिजली कंपनियों की ओर से उपलब्धता (Rajasthan Power Crisis) वाले राज्यों से बैंकिंग के आधार पर बिजली ली जाती है। इस बिजली को गर्मी के मौसम में संबंधित राज्य को वापस लौटाना होता है। कंपनियों ने रबी की फसल के दौरान करीब 50 लाख यूनिट प्रतिदिन ली थी। अब इस बिजली को संबंधित राज्य को किल्लत के दौरान भी चुकाना पड़ रहा है।
गौरतलब है कि विभिन्न राज्यों की बिजली कंपनियों के बीच बिजली की अधिकता और कमी को देखते हुए आपस में बैंकिंग अनुबंध होते हैं। इसके तहत कमी के समय में एक कंपनी दूसरे को बिजली देती है। इसमें आपस में राशि का भुगतान नहीं होता है और कंपनियों के बीच बैंकिंग सर्विस की तरह ये बिजली (Rajasthan Power Crisis) दर्ज हो जाती है। इसी प्रकार जब बिजली देने वाली कंपनी को जरूरत होती है तो वह संबंधित दूसरी कंपनी से बिजली वापस मांग लेती है। आपसी अनुबंध के तहत बिजली का यह आदान-प्रदान चलता है। प्रदेश में यह अनुबंध सितंबर से मार्च तक के लिए किया जाता है और अप्रैल से अगस्त के बीच ली हुई बिजली को वापस लिया जाता है।
प्रदेश में थर्मल पावर स्टेशन में कोयले की उपब्धता बढ़ी है। कोटा थर्मल (Rajasthan Power Crisis) में 8 दिन, सूरतगढ़ थर्मल और सूरतगढ़ सुपर क्रिटिकल में 5-5 दिन, छबड़ा थर्मल और कालीसिंध थर्मल में 6-6 दिन, छबड़ा सुपर क्रिटिकल पावर प्लांट में 3 दिन के कोयले का स्टॉक है।
प्रदेश में फिलहाल विभिन्न कारणों से करीब 2700 मेगावाट की पावर प्लांट्स (Rajasthan Power Crisis) की 8 इकाइयां अब भी बंद पड़ी है। इसमें सूरतगढ़ की तीन, छबड़ा, कालीसिंध और कोटा थर्मल की एक-एक और रामगढ़ की एक इकाई बंद है। इसके अलावा न्यूकिलयर पावर की आरएपीपी की भी एक इकाई फिलहाल बंद है। इन इकाइयों से प्रदेश को करीब 2400 मेगावाट बिजली मिलती थी।