जयपुर- अवैध खनन के चलते चार साल से माइनिंग विभाग का राजस्व लक्ष्य प्राप्त करने का गणित बिगड़ गया है। वर्ष 2017 से 20 के बीच एक बार भी विभाग अपना तय लक्ष्य प्राप्त नहीं कर पाया है। वहीं, 2021 में भी राजस्व का लक्ष्य खदानों की नीलामी से पूरा किया है। विभागीय जानकारी के अनुसार, (Illegal Mining In Rajasthan) विभाग ने 2017-18 से 2020-21 के बीच माइनिंग के जरिए 24,500 करोड़ का राजस्व प्राप्ति का लक्ष्य तय किया। इसके मुकाबले करीब 19,200 करोड़ रुपए राजस्व ही प्राप्त कर पाया है। इस पूरी अवधि के दौरान विभाग के राजस्व में करीब पांच हजार करोड़ रुपए से अधिक की कमी आई है।
विभागीय जानकारी के अनुसार, प्रदेश में वर्ष 2018 से वर्ष 2021 तक अवैध खनन और स्टॉक के 46,867 मामले प्रदेश में हुए। इनमें 4142 मामलों में विभाग की ओर से एफआईआर दर्ज की गई। इस दौरान विभाग (Illegal Mining In Rajasthan) ने 47,533 वाहन, औजार, मशीने जब्त की। इन तमाम मामलों में विभाग को करीब 322 करोड़ रुपए जुर्माना राशि के रूप में प्राप्त हुए हैं।
विभाग की ओर से जारी आंकड़ों को देखे तो साल दर साल प्रदेश में अवैध खनन को लेकर शिकायते तो हुई, लेकिन मामले कम होेते चले गए। प्रदेश में अवैध खनन के सर्वाधिक 16,856 मामले वर्ष 2018-19 में सामने (Illegal Mining In Rajasthan) आए। वहीं, आगामी सालों में यह कम होते हुए वर्ष 2020-21 में 10,142 ही रह गए हैं। इसके कारण एफआईआर और जुर्माना राशि में भी कमी आई है।
विभाग की ओर से माइनिंग से राजस्व का लक्ष्य पिछले चार सालों में सालाना बढ़ोतरी की गई है। इसमें वर्ष 2017-18 में 4900 करोड़ रुपए का लक्ष्य था। इसे बढ़ाकर वर्ष 2018-19 में 6000 करोड़ रुपए किया गया। इसके बाद वर्ष 2019-20 में इसे 6600 करोड़ और वर्ष 2020-21 में 7000 करोड़ रुपए किया गया है। वित्तीय वर्ष 2021-22 में यह लक्ष्य 7100 करोड़ रुपए निर्धारित किया गया था।
विभाग की ओर से निर्धारित लक्ष्य के मुकाबले राजस्व प्राप्ति कम रही है। इसमें वर्ष 2017-18 में 4521 करोड़ रुपए, वर्ष 2018-19 में 5301 करोड़ रुपए राजस्व प्राप्त (Illegal Mining In Rajasthan) किया गया। इसी प्रकार वर्ष 2019-20 में 4579 करोड़ और वर्ष 2020-21 में 4965 करोड़ रुपए राजस्व अर्जित किया गया है।
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