बेधड़क.जयपुर। हाईकोर्ट ने आठ पहले एक जब्त किए गए डीजल से भरे टैंकर को अब तक नहीं छोड़ने के मामले में राज्य के खाद्य सचिव,जयपुर कलक्टर,जिला रसद अधिकारी जयपुर ग्रामीण सैकेंड,सर्कल आफिसर कोटपूतली और पनियाला थाने के इंचार्ज को 20 अप्रेल को व्यक्तिगत रुप से कोर्ट में हाजिर होने के निर्देश दिए हैंं। कोर्ट ने इन अधिकारियों से पूछा है कि क्यों ना उनके खिलाफ मामले में अनियमितता और लापरवाही बरतने पर कार्यवाही क्यों ना की जाए। जस्टिस अशोक गौड़ ने यह अंतरिम आदेश वडोडरा निवासी महेश कुमार खत्री की याचिका पर दिए।
याचिकाकर्ता के एडवोकेट ने गौरव गुप्ता ने बताया कि याचिकाकर्ता के डीजल लेकर जा रहे टैंकर को आवश्यक वस्तु कानून और धोखाधड़ी के एक मामले में 2014 में जब्त किया था। टैंकर परियाला थाने में खड़ा है। याचिकाकर्ता की अर्जी पर जयपुर कलक्टर ने 9 अक्टूबर,2014 को टैंकर को सुपुर्दगी पर रिलीज करने के आदेश दिए थे। इसके बावजूद टैंकर रिलीज नहीं किया। कलक्टर ने 13 नवंबर,2014 को पुन: टैंकर रिलीज करने के आदेश दिए,लेकिन इसके बावजूद टैंकर रिलीज नहीं हुआ। मामले में हाईकोर्ट में 2015 में याचिका दायर की थी,लेकिन सुनवाई का नंबर इस साल मार्च में आया।
अदालत ने 14 मार्च,2022 को डीएसओ को 11 अप्रेल को व्यक्तिगत तौर पर हाजिर होने के निर्देश दिए थे। इस संबंध में सरकारी वकील ने डीएसओ को सूचना भी दे दी थी,इसके बावजूद डीएसओ हाजिर नहीं हुए। डीएसओ ने 24 मार्च को एक तथ्यात्मक रिपोर्ट भेजकर इतिश्री कर कर ली। रिपोर्ट में टैंकर में भरे हुए डीजल को नीलाम करने के लिए 2016 और 2021 में नोटिस जारी करने की सूचना बताई है,लेकिन इसके बाद हुआ कुछ नहीं। यह मामला सिर्फ टैंकर रिलीज करने का नहीं है बल्कि टैंकर में भरे हुए ज्वलनशील डीजल का है। पुलिस कई बार संभावित खतरे की आशंका जताकर मामले के निपटारे को कह चुकी है।
यह सिर्फ लापरवाही नहीं है बल्कि कोर्ट ने आठ साल से थाने में डीजल से भरे टैंकर को अब तक नहीं छोड़ने पर आश्चर्य जताते हुए कहा है कि मामले में अफसरों ने ना केवल लापरवाही की है बल्कि घोर अनियमितता भी की है। आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत जब्त मैटिरियल के निपटारे के लिए कमेटी बनी हुई है,लेकिन इस कमेटी ने मामले में कुछ नहीं किया। कोर्ट को आठ साल से जब्त टैंकर को रिलीज करने की चिंता तो है ही साथ में अधिकारियों की लापरवाही के कारण पुलिसकर्मियों के जीवन को खतरे के साथ ही पूरे एरिया के नुकसान की भी चिंता है।
कोर्ट ने डीएसओ जयपुर ग्रामीण द्वितिय को पिछली तारीख पर हाजिर होने की सूचना सरकार वकील की ओर से देने के बावजूद नहीं आने पर कहा है कि कोर्ट चाहे तो सीधे ही जमानती या गैर—जमानती वारंट जारी कर सकती है,लेकिन कोई एक्शन लेने से पहले डीएसओ हाजिर होकर बताएं कि उन्होंने अदालती आदेश की परवाह क्यों नहीं की और सूचना मिलने के बावजूद अदालत में हाजिर क्यों नहीं हुए। कोर्ट ने आदेश की एक कॉपी अतिरिक्त महाधिवक्ता अनिल मेहता और मुख्य सचिव को भेजने के निर्देश देते हुए सुनवाई 20 अप्रेल को तय की है।
(Reporter- Mukesh Sharma)