जयपुर: राज्य की थर्मल इकाइयों को कोयला आपूर्ति को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) के प्रयास आखिर रंग लाए। छत्तीसगढ़ सरकार ने राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम को पारसा ईस्ट-कांटा बासन कोल ब्लॉक के द्वितीय चरण के तहत 1136 हेक्टेयर क्षेत्र में कोयला खनन के लिए वन भूमि व्यपवर्तन की अनुमति दे दी है। अब प्रदेश की थर्मल इकाइयों को कोयले की सुचारू आपूर्ति हो सकेगी। उल्लेखनीय है कि सीएम गहलोत ने शुक्रवार को ही रायपुर जाकर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (bhupesh baghel) से मुलाकात की थी। उन्होंने राजस्थान को कोयले की सुचारू आपूर्ति के लिए राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम को आवंटित कोल ब्लॉक में माइनिंग करने की स्वीकृति शीघ्र जारी करने का अनुरोध किया था।
दोनों मुख्यमंत्रियों की बैठक के बाद छत्तीसगढ़ सरकार के वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग ने तत्काल प्रभाव से निर्णय लेते हुए पारसा ईस्ट-कांटा बासन कोल ब्लॉक के द्वितीय चरण में कोयला खनन के लिए वन भूमि व्यपवर्तन की अनुमति प्रदान कर दी। इस संबंध में छत्तीसगढ़ सरकार के वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के अवर सचिव ने प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं वन बल प्रमुख, छत्तीसगढ़ को पत्र लिखा है।
केंद्र सरकार ने पिछले साल दिसंबर में पारसा ईस्ट-कांटा बासन कोल ब्लॉक के द्वितीय चरण में खनन की इजाजत दी थी। प्रदेश में कोयले की कमी को देखते हुए राज्य सरकार पिछले तीन महीनों से छत्तीसगढ़ सरकार से नए ब्लॉक में खनन की अनुमति मांग रही थी। छत्तीसगढ़ सरकार ने पर्यावरण के नुकसान का कारण बताते हुए खनन की अनुमति देने से इंकार कर दिया था। मामले में राज्य के एसीएस ऊर्जा सुबोध अग्रवाल, उत्पादन निगम के सीएमडी आरके शर्मा सहित कई अन्य अधिकारियों ने छत्तीसगढ़ का दौरा भी किया था।
केन्द्र ने राजस्थान को वर्ष 2015 में छत्तीसगढ़ के पीईकेबी में 15 एमटीपीए तथा पारसा में 5 एमटीपीए क्षमता के कोल ब्लॉक आवंटित किए थे। पारसा ईस्ट-कांटा बासन कोल ब्लॉक के प्रथम चरण में खनन इस माह में पूरा हो चुका है।
सोनिया तक की थी गुहार
राजस्थान और छत्तीसगढ़ दोनों प्रदेशों में कांग्रेस की सरकारे होने के बाद भी छत्तीसगढ़ के सीएम बघेल ने खनन की अनुमति देने से इंकार कर दिया। गहलोत ने राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी से मामले में हस्तक्षेप का आग्रह किया था।