जयपुर- मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने रविवार को अंतरराष्ट्रीय जैव विविधता दिवस पर मुख्यमंत्री निवास से 1636 हेक्टेयर और पेरिफेरी के हिसाब से 28.6 किलोमीटर के आमागढ़ लेपर्ड रिजर्व का उद्घाटन और लोकार्पण किया। इस मौके पर गहलोत ने कहा कि आमागढ़ लेपर्ड रिजर्व वन एवं वन्यजीव संरक्षण की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा। यह एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने कहा कि वन्यजीवों की मानव जीवन में अहम भूमिका है। गहलोत ने कहा कि राजस्थान अपनी ऐतिहासिक धरोहर, रेगिस्तान के साथ वन्यजीव पर्यटन के रूप में बड़ा स्थान कायम किए हुए है। प्रदेश के लिए शुभ संकेत है कि टाइगर, लेपर्ड और अन्य वन्यजीवों की संख्या में भी लगातार वृद्धि हो रही हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार वन और वन्यजीव की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। जैव विविधता को बनाए रखने के लिए वर्ष 2010 में ही राजस्थान जैविक विविधता नियम की अधिसूचना जारी की। प्रदेश में 3 राष्ट्रीय उद्यान, 27 वन्यजीव अभयारण्य, 16 कंजर्वेशन रिजर्व और 4 टाइगर प्रोजेक्ट हैं। इन सभी के संरक्षण और संवर्धन के लिए अधिक संवेदनशीलता के साथ कार्य किए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि वर्तमान सरकार द्वारा ही इको-टूरिज्म पॉलिसी-2021 लागू की गई। साथ ही सरिस्का और मुकंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में बॉर्डर होमगार्ड लगाकर विशेष बाघ संरक्षण बल की स्थापना की गई है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वन संरक्षण के लिए सरकार द्वारा कई ऐतिहासिक फैसले लिए गए हैं। झालाना डूंगरी स्थित विश्व वानिकी उद्यान की तर्ज पर जोधपुर, बीकानेर, कोटा, उदयपुर, भरतपुर और अजमेर में भी वानिकी उद्यान बनाए जा रहे हैं। ईको-टूरिज्म के लिए प्रत्येक जिले में एक-एक ईको-टूरिज्म लव-कुश वाटिका विकसित की जा रही है।
गहलोत ने कहा कि प्रदेश के वन क्षेत्रों में लेपर्ड, चीतल, सांभर, हिरण और ईको-सिस्टम से जुड़े जीवों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही हैं। उन्होंने कहा कि बाघ संरक्षण में राजस्थान की मिसाल पूरे देश में कायम है। जयपुर का झालाना क्षेत्र बघेरों की वजह से दुनियाभर के पर्यटकों के बीच आकर्षण का केंद्र बन गया है। इससे स्थानीय लोगों का रोजगार और प्रदेश का पर्यटन भी बढ़ा है। झालाना में वर्ष 2017-18 में जहां लगभग 15 हजार पर्यटक आए थे। वहीं, वर्ष 2021-22 में 26 हजार से अधिक पर्यटकों ने भ्रमण किया।
आमागढ़ में विभाग द्वारा लेपर्ड कंजर्वेशन के लिए कराए गए कार्याे में मुख्यतः 4 नए वाटर पॉइन्टों का निर्माण, 2 पुराने वाटर पॉइन्ट का पुनरुद्धार, 2 नए बोरवेल कराकर सोलर पैनल लगवाए गए हैं एवं इन वाटर पॉइन्टस पर पाइप लाइन के माध्यम से वन्य जीवों के लिए पीने के पानी की व्यवस्था की गई है।
अरावली पर्वत शृंखलाओं पर स्थित आरक्षित वन खण्ड आमागढ़ 1524 हेक्टेयर में फैला हुआ वन क्षेत्र है। यह क्षेत्र जयपुर शहर के पूर्व में स्थित है। प्रदेश के पहले लेपर्ड रिजर्व झालाना व नाहरगढ़ अभयारण्य के मध्य में स्थित होने के कारण यह वन क्षेत्र वन्य जीव संरक्षण एवं कॉरिडोर विकास की दृष्टि से अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है। आमागढ़ वन खंड से लगते हुए ही आरक्षित वन खंड लालबेरी 112 हेक्टेयर स्थित है। दोनों वन खंडो का कुल क्षेत्रफल 1636 हेक्टेयर है। इसकी पैरिफेरी करीब 28.6 किलोमीटर है। लेपर्ड यहां का प्रमुख वन्य जीव है।
पक्षियों में लोकल व माइग्रेटरी बर्ड्स सहित करीब 250 प्रकार की प्रजातियां पाई जाती हैं। मोर, तीतर, डव, बैवलर, मैना, पैराकीट, रौबिन, वुड पैकर, बुल-बुल, शिकरा आदि स्थानीय पक्षी हैं। पिट्ठा, पेराडाइज पलाई कैचर, गोल्डन ओरियल, पाइड कुक्कू यूरेशियन कुक्कू, यूरेशियन रोलर, ओरियंट स्कूप आउल, पेलिड स्कूप आउल, नोर्दन गौसौक, यूरेशियन स्पेरोहीक आदि प्रवासी पक्षी हैं जो देश-विदेश के विभिन्न कोनों से प्रजनन व भोजन की तलाश में आते हैं।
इस वन क्षेत्र में लगभग 15 लेपर्ड हैं, इसके अलावा मांसाहारी वन्य जीवों में मुख्यतः हायना, जैकाल, जंगली बिल्ली, लोमड़ी व सीवेट कैट हैं। शाकाहारी वन्य प्राणियों में सांभर, नीलगाय, खरगोश आदि वन्य प्राणी हैं। यह वन क्षेत्र एक उष्ण कटिबन्धीय, मिश्रित, पतझड़ , मानसूनी वन क्षेत्र है यहां मुख्यतः रेतीले प्लेन एरिया में टोटलिस, कुमठा, खेजड़ी पहाड़ी के ढलान पर धौंक, सालर, गोया खैर आदि वनस्पति मौजूद हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य पक्षी गोडावण के संरक्षण के लिए केंद्र सरकार, भारतीय वन्य जीव संस्थान और राज्य सरकार में करार से जैसलमेर में गोडावण का कृत्रिम प्रजनन शुरू किया गया। इसमें प्रदेश को सफलता मिली है। उन्होंने वन अधिकारियों को वन क्षेत्र बढ़ाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि भू-भाग का एक तिहाई भाग वन क्षेत्र होना चाहिए, इसके लिए विभाग को अधिक ध्यान देना होगा।
इस क्षेत्र में सफारी सुबह और शाम दो पारियों में होगी। प्रत्येक पारी में सीमित संख्या में वाहनों के प्रवेश की अनुमति होगी। पर्यटकों की सुविधा के लिए सफारी टिकट ऑनलाइन उपलब्ध होंगे। टिकट खिड़की और प्रवेश द्वार गलता मंदिर की ओर जाने वाली सड़क पर सिसोदिया रानी बाग के ठीक आगे स्थित है।