History Of Incense Sticks: वेदों में मिलता है अगरबत्ती का उल्लेख, सबसे ज्यादा भारत में किया जाता है इसका उत्पादन 

History Of Incense Sticks: हमारे देश में लगभग सभी घरों में अगरबत्ती का उपयोग किया जाता है। हमें कई घरों से सुबह होते ही अगरबत्ती…

The history of incense sticks is also found in the Vedas, most of it is produced in India.

History Of Incense Sticks: हमारे देश में लगभग सभी घरों में अगरबत्ती का उपयोग किया जाता है। हमें कई घरों से सुबह होते ही अगरबत्ती का धुआं नजर आने लगता है। इसका सुगंधित धुंआ पूरे घर को महका देता है। इसका उपयोग लगभग प्रत्येक घर, दुकान तथा मंदिर में किया जाता है। इसी के साथ कुछ लोग धुपबत्ती का भी उपयोग करते हैं। दिन की शुरूआत होते ही सबसे पहले हर घर में अगरबत्ती जलाई जाती है। सुगंध के लिए इसमें चंदन, केवड़ा, गुलाब तथा विभिन्न प्रकार के फुलों के इस्तेमाल किया जाता है। 

कुछ लोग इसकी महक के कारण ही इसे जलाते हैं। इसकी निर्माण विधि बहुत आसान हैं। इसे बनाने के लिए सबसे पहले सफेद चंदन और लकड़ी के कोयले को अच्छी तरह पीस लिया जाता है। इसके बाद गूगल नामक पदार्थ को पानी में मिलाकर उसकी लेई बनाई जाती है। इसमें पीसा हुआ सफेद चंदन, राल तथा चार कोल मिलाया जाता है। जब यह मसाला तैयार हो जाता है, तब उसे लकड़ी में लपेटकर सुखने के लिए रख दिया जाता है। 

अगरबत्ती का इतिहास 

अगरबत्ती का इतिहास बहुत पुराना है। इसका इतिहास वैदिक काल से जुड़ा हुआ है। अगरबत्ती के स्रोत वेदों में भी मिलते हैं। प्राचीन समय के कई ऐसे बर्तन मिले हैं जिनमें अगरबत्ती जलाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले छेद वाले बर्तन मिले हैं। विशेष रूप से अगरबत्ती का उल्लेख अथर्व वेद और ऋग्वेद में मिलता है। उस समय धूप बत्ती और अगरबत्ती बनाने के लिए सुगंध और एक औषधीय उपकरण का उपयोग किया जाता था। 

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माना जाता है कि शुरूआत में केवल हिंदू धर्म के लोग ही अगरबत्ती का उपयोग करते थे। धीरे-धीरे बौद्ध धर्म के अनुयायी भी अगरबत्ती का उपयोग करने लगे। इसके बाद कुछ भिक्षुओं ने चीन में अगरबत्ती का उपयोग शुरू किया। प्राचीन काल में धूप व अगरबत्ती बनाने का कार्य मुख्य रूप से केवल भिक्षुओं द्वारा किया जाता था। 

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अन्य देश भारत से करते हैं निर्यात

अन्य देशों की तुलना में भारत अगरबत्ती बनाने वाला दुनिया का मुख्य देश है। कई देश भारत से अगरबत्ती का निर्यात करते हैं। इस तरह भारत अगरबत्ती का निर्यात करने वाला प्रमुख देश बन गया। हालांकि आगे चलकर कच्चे माल की बढ़ती लागत और अन्य समस्याओं के कारण निर्यात धीरे-धीरे कम हो गया। इसलिए कुछ पश्चिमी देश बिना सुगंध वाली अगरबत्ती खरीदने लगे। 

बाद में भारतीय कंपनियां नकली अगरबत्ती का उत्पादन भी करने लगी। भारतीय लोग पुजा-अर्चना में हजारों वर्षों से अगरबत्ती का इस्तेमाल करते आएं हैं। चिकित्सा के क्षेत्र में अगरबत्ती के उपयोग को आयुर्वेद का पहला चरण माना गया है।

भारत में अगरबत्ती निर्माण

अगरबत्ती बनाने की प्रक्रिया बहुत सरल है। भारत में कई शहरों में छोटे व बड़े स्तर पर इसका निर्माण किया जाता है। इनमें बेंगलुरु, अहमदाबाद, मैसूर तथा कन्नौज प्रमुख शहर हैं। इन शहरों में लगभग हर घर में अगरबत्ती बनाने का कार्य किया जाता है। इसे बनाने के लिए कच्चे माल के रूप में लकड़ी, सफेद चंदन, लकड़ी का कोयला, राल तथा गूगल की आवश्यकता पड़ती है।

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