रोशन मीणा ने 3 बार जीता सिविल सर्विस परीक्षा का किला, हौसलों से ऐसे पाई सफलता

जयपुर। संसाधनों की कमी का रोना रोते हुए अपनी क्षमताओं को दरकिनार कर जीवन में हार मान लेने वाले युवाओं के लिए एक छोटे से…

Roshan Meena won the fort of civil service exam 3 times, this is how he got success with courage

जयपुर। संसाधनों की कमी का रोना रोते हुए अपनी क्षमताओं को दरकिनार कर जीवन में हार मान लेने वाले युवाओं के लिए एक छोटे से गांव के युवा रोशन मीणा ने नजीर पेश की है। रोशन ने इस वर्ष यूपीएससी की सिविल सर्विस परीक्षा में 565वीं रैंक हासिल की है। यहां तक तो यह खबर सामान्य है, असली खबर इससे आगे है। 

जमवारामढ़ के नटाटा गांव निवासी रोशन ने देश की सबसे मुश्किल मानी जाने वाली यूपीएससी की इस परीक्षा को पहली बार नहीं तीसरी बार क्रैक किया है। तीन बार सिविल सर्विस एग्जाम पास करने के साथ ही रोशन अब तक 10 से अिधक सरकारी नौकरियों के एग्जाम पास कर चुके हैं। वे फिलहाल पुलिस अकादमी हैदराबाद में आईपीएस के रूप में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं।

सेल्फ स्टडी से पाई सफलता 

रोशन मीणा का कहना है कि उन्होंने जब आईएएस परीक्षा की तैयारी के लिए कोचिंग जॉइन की ताे उन्हें एक महीने में ही एहसास हो गया कि ये समय की बर्बादी है। पढ़ाई का ‘माहौल’ ढूंढने के लिए वे दिल्ली शिफ्ट हुए तो वहां मन नहीं लगा। अंत में जयपुर स्थित अपने भाई के घर पर रहकर सेल्फ स्टडी पर फोकस किया। यह निर्णय उनके सिविल सर्विस के सफर के लिए टर्निंग पॉइंट साबित हुआ। 

अपनी सारी पढ़ाई सरकारी स्कूल से करने वाले रोशन का कहना है कि सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को उतना एक्सपोजर नहीं मिल पाता जितना मिलना चाहिए। इन बच्चों में बहुत क्षमताएं छुपी हैं जरूरत है उसे तराशने की। आज के आईटी के दौर में ये बच्चे इंटरनेट का सार्थक उपयोग कर बड़ी सफलताएं पा सकते हैं। 

10 से ज्यादा सरकारी एग्जाम किए पास 

बैंक कर्मी बद्री प्रसाद मीणा के पुत्र रोशन मीणा ने अपनी स्कूलिंग अपने गांव नटाटा से ही की। पिता बैंक कर्मी थे तो आर्थिक दिक्कत तो नहीं थी लेकिन गांव के माहौल के कारण कुछ बड़ा करने का मोटिवेशन नहीं था। स्कूलिंग के बाद जयपुर में राजस्थान कॉलेज से ग्रेजुएशन की और उसके बाद आसपास के लोगों के प्रभाव में आकर एक अदद सरकारी नौकरी के लिए हाथ-पैर मारना शुरू कर दिया। 

इस दौरान उन्होंने विभिन्न वर्गों के 10 से ज्यादा कॉम्पिटिशन एग्जाम दिए और सभी में सफल रहे। यहीं से लगा कि आईएएस एग्जाम भी क्लीयर किया जा सकता है और उन्होंने एग्जाम देना शुरू किया। पहले अटैम्प्ट में इंटरव्यू तक पहुंचे। वर्ष 2020 में दूसरे अटैम्प्ट में 565वीं  रैंक हासिल की, 2021 में 666वीं रैंक पर रहे और 2022 एग्जाम में 567वीं रैक हासिल की है। वे अपनी सफलता का श्रेय माता- पिता, परिवार और मित्रों को देते हैं।

IAS एस्पिरेंट्स के लिए ‘रोशन मंत्र’ 

अपनी कैपेसिटी को पहचानें। उसी के अनुसार आगे की स्ट्रेटजी बनाएं। इस स्ट्रेटजी काे सख्ती से फॉलो करें। इस पर टिके रहें।

एग्जामिनर के माइंडसेट को समझने की कोशिश करें। ट्रेंड्स के अनुसार किस तरह के प्रश्न पूछे जा सकते हैं, समझें। 

चाय की थड़ी पर बैठकर न्यूज पेपर पढ़ने के माइंडसेट को बदलें। कॉम्पिटिटर माइंडसेट के साथ न्यूज पेपर के डेप्थ में जाएं। 

कॉम्पिटिशन बहुत है ये सही है, इसलिए कॉम्पिटिशन में बने रहें। हार्ड वर्क का कोई विकल्प नहीं। 

केवल कोचिंग पर डिपेंड रहना समय की बर्बादी है। इसके बजाय इंटरनेट पर फ्री अवेलेबल लैक्चर्स की मदद लें। एक्सपर्ट्स के वीडियो देखें। 

पहले एग्जाम दे चुके छात्रों के विचार सुनें, उनके विजन को समझें और उनकी स्ट्रेटजी से बेस्ट प्रैक्टिस निकालकर उसे फॉलो करें। उनसे बेहतर कोच कोई नहीं हो सकता।

सिविल सर्विस ही भगवान नहीं है। इसलिए अगर लंबे समय से सफल नहीं हो पा रहे और आपको लगता है कि सफल नहीं हो पाएंगे तो दूसरे विकल्प तलाशें। दूसरे एग्जाम दें। अपनी रुचियों को आजीविका बनाने के बारे में सोचें। बिजनेस करके भी बहुत सफल हो सकते हैं। कभी अपनी सोच को सीमित ना करें।

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