बकरियां चराने वाला महावीर बन गया 12वीं क्लास का टॉपर, कभी स्कूल जाने के लिए 40 रुपए भी नहीं थे पास 

हर व्यक्ति जीवन में सफल होना चाहता है, और इसके लिए वह भरसक प्रयास भी करता है। लेकिन कहते हैं ना कि सफलता के पीछे…

Goat herder Mahavir became the 12th class topper, never even had 40 rupees to go to school

हर व्यक्ति जीवन में सफल होना चाहता है, और इसके लिए वह भरसक प्रयास भी करता है। लेकिन कहते हैं ना कि सफलता के पीछे ना सिर्फ किस्मत का अच्छा होना बल्कि मेहनत करना भी जरूरी है। बता दें कि हाल ही में माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के कक्षा 12वीं के रिजल्ट घोषित किए गए। इस परीक्षा में राजस्थान के कई छात्र-छात्राओं ने अपने परिवार और विद्यालय का नाम रोशन किया है। वहीं इन टॉपर्स में एक छात्र ऐसा भी था, जिसे यह मालूम नहीं था कि उसने परिक्षा में टॉप किया है। 

जी हां हम बात कर रहे हैं कोटा जिले के सांगोद में रहने वाले महावीर मेघवाल की। जिसे बकरिया चराते समय पता चला कि उसने 12वीं में टॉप किया है। ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले साधारण से इस बालक ने साबित कर दिया कि, व्यक्ति चाहे तो क्या नहीं कर सकता। फिर चाहे उसके पास तमाम संसाधन मौजूद न हो। वहीं बात करें एजुकेशन सिस्टम की तो, वर्तमान में स्कूल की पढ़ाई से लेकर किताबों का खर्चा काफी महंगा हो गया है। लेकिन महावीर ने सभी भ्रांतियों को छोड़ परीक्षा में टॉप कर अपने परिवार को गौरवान्वित महसूस करवाया है।  

image 47 1 | Sach Bedhadak

बकरियां चराने वाले महावीर मेघवाल का रिजल्ट देखकर उसके परिवार और शिक्षकों को उस पर गर्व महसूस हो रहा है। महावीर ने साबित कर दिया कि केवल पढ़ाई काे लक्ष्य बनाकर मेहनत करने वाले छात्र ही अपना भविष्य संवार सकते हैं। ऐसा ही कुछ कर दिखाया सांगोद तहसील के नयागांव के रहने वाले महावीर मेघवाल ने। बता दें कि महावीर का सपना टीचर बनना है। 

कभी स्कूल जाने के लिए नहीं होते थे 40 रुपए 

बात करें महावीर के फेमिली बैकग्राउंड की, तो उसके परिवार की आर्थिक हालत ठीक नहीं है। उसके पिता मोहनलाल मेघवाल का 8 साल पहले बीमारी के कारण निधन हो गया था। पिता की मौत के बाद महावीर के घर हालत और खराब हो गई थी। ऐसे में कई बार उसे पढ़ाई छोड़ने को मजबूर होना पढ़ा। लेकिन कहते हैं ना कि होनी को कुछ और ही मंजूर था। वह बताता है कि उसके गांव और विद्यालय की दूरी अधिक थी। इसलिए स्कूल तक जाने में 40 रूपये खर्च होते थे। इसलिए कभी-कभी 40 रूपये बचाने के लिए वह स्कूल नहीं जाता था। वहीं जैसै-तैसे उसने अपनी पढ़ाई को जारी रखा, और आज 12वीं क्लास में टॉप किया। 

हिंदी और इतिहास में आए 97 नंबर 

बता दें कि महावीर की पढ़ाई जारी रखने में उसके नाना का खास योगदान रहा। सांगोद के रहने वाले महावीर मेघवाल ने जब परीक्षा में 92.20 प्रतिशत नंबर हासिल किए तो उसके मां की खुशी का ठिकाना न रहा। महावीर ने कुल 461 नंबर प्राप्त किए है। इतिहास और हिंदी विषय में 97 और भूगोल में 96 नंबर हासिल किए हैं। बता दें कि उसके परिवार में कमाई का एकमात्र साधन बकरियां ही है। इसलिए स्कूल से आने के बाद वह रोजाना बकरियां चराता था। उसकी मां खेतों में जाकर लहसुन कटाई-छिलने का काम कर है।

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