विश्व में कईं नदियां है जो अपने आस-पास के क्षेत्रों में जलापूर्ती के साथ-साथ उस क्षेत्र के विकास में भी भाागीदारी निभाती है। ऐसी ही एक नदी है नील नदी। जो अफ्रीका महाद्धीप के इथोपिया देश में है। यह अफ़्रीका का दूसरा सबसे ज़्यादा जनसंख्या वाला देश है। नील नदी विश्व की सबसे लंबी नदी है जो कईं देशों से होकर गुजरती है। इस नदी का नाम यूनानी भाषा के नीलोस शब्द से बना है। मिस्र की प्राचीन सभ्यता का विकास इसी नदी की घाटी से माना जाता है। इस नदी पर मिस्र देश का प्रसिद्ध अस्वान बाँध बना हुआ है। यह नदी अफ्रीका (Africa) की सबसे बड़ी झील विक्टोरिया से निकलकर सहारा मरुस्थल (Sahara Desert) से होते हुए उत्तर में भूमध्यसागर में गिरती है।
नील नदी (Nile River) की घाटी का दक्षिणी भाग भूमध्य रेखा के पास ही स्थित है, इसलिए वहाँ भूमध्यरेखीय जलवायु पायी जाती है। यहाँ वर्ष भर तापमान बहुत ज्यादा रहता है तथा वर्षा भी वर्ष भर होती है। यहां वार्षिक वर्षा का औसत 212 सेन्टीमीटर है। यह नदी भूमध्य रेखा के पास भारी वर्षा वाले क्षेत्रों से निकलकर दक्षिण से उत्तर में युगाण्डा, इथियोपिया, सूडान एवं मिस्र से होते हुए एक लंबी घाटी बनाती है। नदी के दोनों ओर की भूमि एक पतली पट्टी के रूप नजर आती है। जो कि विश्व का सबसे बड़ा मरूद्यान है। इस नदी की घाटी एक सँकरी पट्टी सी है जिसकी चौड़ाई लगभग 16 किलोमीटर है।
इस नदी की चौड़ाई कईं स्थानों पर 200 मीटर से भी कम होती है। यह नदी 10 देशों से होकर गुज़रती है। ये देश हैं… तंज़ानिया, बुरुंडी, रवांडा, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य, केन्या, युगांडा, दक्षिण सूडान, इथियोपिया, सूडान और मिस्र। इसे इन 10 देशों की जीवनरेखा कहा जाता है। इस नदी की लंबाई लगभग 4,132 मील यानि 6,650 किलोमीटर है। इसके अपवाह बेसिन का क्षेत्रफल लगभग 3,349,000 वर्ग किलोमीटर है।
नील नदी की कई सहायक नदियाँ हैं जिनमें श्वेत नील एवं नीली नील मुख्य हैं। यह नदी अपने मुहाने पर यह 160 किलोमीटर लम्बा तथा 240 किलोमीटर चौड़ा विशाल डेल्टा बनाती है। सफेद नील नदी का उद्गम स्थान मध्य अफ्रीका का ‘महान अफ्रीकी झील’ क्षेत्र है। जबकि ब्लू नील का उद्गम स्थान इथियोपिया की ‘लेक टाना’ है। नील नदी को सदानीरा कहा जाता है। जिसका अर्थ हमेशा बहने वाली नदी। यह नदीं परिवहन के साथ-साथ मिस्र के आर्थिक, सामाजिक व सांस्कृतिक क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसलिए मिस्र को नील नदी का वरदान कहा गया है।
नील नदी के बारे में कहा जाता है कि यदि मिस्र में नील नदी नहीं होती तो यह पूरा देश एक मरुस्थल होता। नील नदी के आस-पास की भूमि बहुत उपजाऊ है। इसलिए मिस्र को नील नदी का उपहार कहा जाता है। एक ग्रीक इतिहासकार हेरोडोटस ने ही मिस्र को ‘नील का उपहार’ कहा है। मिस्र देश ‘लीग ऑफ अरब स्टेट्स’ का एक सदस्य है। यह देश वहां बने पिरामिडों के कारण पूरे विश्व में जाना जाता है।