नई दिल्ली- केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) ने मंगलवार को कहा कि उन्होंने प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कार्बन उत्सर्जन के बारे में जानकारी जुटाने को लेकर भारत के प्रत्येक हवाई अड्डे के लिए कार्बन-मैपिंग की कवायद को अनिवार्य किया है। वाणिज्यिक उड्डयन लगभग दो से तीन प्रतिशत वैश्विक कार्बन उत्सर्जन (Carbon Mapping In India) के लिए जिम्मेदार है।
स्वीडिश जलवायु कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग ने कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए अपनी व्यक्तिगत उड़ान छोड़ दी है, जिससे यूरोप और दुनिया के अन्य हिस्सों में ‘‘फ्लाइट शेम’’ आंदोलन को बढ़ावा मिला है। उद्योग मंडल सीआईआई (CII) के एक कार्यक्रम में अपने भाषण में, सिंधिया ने कहा, ‘‘ मैने बेहद स्पष्ट तौर पर कहा है कि प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों स्तर पर हमारे उत्सर्जन को जानने के लिए हमे कॉर्बन मैपिंग कवायद की आवश्यकता है।’’
सिंधिया ने कहा कि प्रत्यक्ष उत्सर्जन हवाई अड्डे पर उपयोग की जाने वाली बिजली की मात्रा, हमारे द्वारा उपयोग की जाने वाली मशीनरी का उत्सर्जन आदि होगा। उन्होंने कहा, ‘‘अप्रत्यक्ष उत्सर्जन ग्राउंड हैंडलिंग, हवाई जहाज और अन्य संबंधित सेवाएं होंगी।’’
केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘‘इसलिए, मुझे लगता है कि हमें हर हवाई अड्डे की कार्बन मैपिंग करने की आवश्यकता है और उस कार्बन मैपिंग के बाद, अनुकूलन को देखें… और अल्पकालिक लक्ष्य, मध्यम अवधि के लक्ष्य और दीर्घकालिक लक्ष्य बनाएं।’’ नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री वी के सिंह ने सोमवार को कहा था कि भारत में एयरलाइंस ने 2016 और 2020 के बीच वातावरण में लगभग 84,322 किलोटन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जित किया है।
Input- PTI
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