भारत लॉन्च करेगा ई-रुपया, अब नहीं होगी बैंक अकाउंट और असली नोट-सिक्कों की जरूरत

यह एक वर्चुअल करेंसी होगी जो मोबाइल वॉलेट की तरह काम करेगी। इसे रखने के लिए किसी बैंक अकाउंट की भी जरूरत नहीं होगी और इससे कैशलेस पेमेंट किया जा सकेगा।

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भारतीय रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने भारत में डिजिटल करेंसी या ई-रुपी को लेकर अपना कॉन्सेप्ट पेपर जारी कर दिया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार अगले वर्ष की शुरूआत तक देश में डिजिटल करेंसी जारी की सकती है। जल्दी ही भारत डिजिटल करेंसी जारी करने वाला दुनिया पहला बड़ा देश बन जाएगा। उल्लेखनीय है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी एक फरवरी को प्रस्तुत किए गए बजट के दौरान डिजिटल करेंसी जारी करने की घोषणा की थी।

अन्य देशों की बात करें तो चीन, अमरीका और ब्रिटेन जैसे देश अभी इस पर रिसर्च और टेस्टिंग ही कर रहे हैं जबकि बहामास, जमैका, नाइजीरिया और ईस्टर्न कैरिबियन जैसे 8 छोटे देशों ने डिजिटल करेंसी को जारी भी कर दिया है।

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रिजर्व बैंक ने कहा कि भारत में पायलट आधार पर डिजिटल मुद्रा (CBDC) को लॉन्च किया जाएगा। इस पायलट प्रोजेक्ट में देश के 4 सरकारी बैंक भारतीय स्टेट बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया और बैंक ऑफ बड़ौदा को जोड़ा गया है।

शुरूआत में ई-रुपी को व्यापार के लिए प्रयोग किया जा सकेगा। प्रोजेक्ट के तहत ई-रूपी का प्रयोग करने के लिए कुछ शर्तें भी निर्धारित की जाएंगी। सरकार ने बताया कि ई-रुपी मार्केट में मौजूद करेंसी की जगह नहीं लेगा बल्कि लोगों को लेनदेन करने के लिए एक और माध्यम उपलब्ध करवाएगा।

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यह है ई-रूपी लाने की वजह

दुनिया भर के युवाओं और निवेशकों में इन दिनों क्रिप्टोकरेंसी को लेकर रूझान बढ़ रहा है। भारत में भी स्थिति अलग नहीं है लेकिन RBI इसके विरुद्ध है और इसके जवाब में ही ई-रुपी को लॉन्च किया जा रहा है। यह पूरी तरह से वर्चुअल डिजिटल करेंसी होगी जो एक्चुअल पेपर करेंसी (नोट और सिक्कों) के ही बराबर कीमत वाली होगी और इससे सरकार को कैश इकोनॉमी की वजह से होने वाली लागत घटाने में सहायता मिलेगी।

क्या फायदे होंगे ई-रूपी से

एक्सपर्ट्स के अनुसार यह एक वर्चुअल करेंसी होगी जो मोबाइल वॉलेट की तरह काम करेगी। इसे रखने के लिए किसी बैंक अकाउंट की भी जरूरत नहीं होगी और इससे कैशलेस पेमेंट किया जा सकेगा। सबसे पहला फायदा तो यही होगा कि नोट छापने में लगने वाली लागत कम हो जाएगी और देश में डिजीटल इकोनॉमी को बढ़ावा मिलेगा।

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यह पूरी तरह से कैशलेस करेंसी की तरह प्रयोग की जाएगी और इसमें क्रिप्टोकरेंसी के साथ जुड़ी समस्याओं का भी सामना नहीं करना पड़ेगा। आम यूजर को इससे यह फायदा होगा कि पैसा ट्रांजेक्शन में लगने वाला समय और खर्चा भी कम हो जाएगा जिससे आम जनता का भी पैसा बचेगा।

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